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मणिपुर पर चीफ जस्टिस के सख्त तेवर

नई दिल्ली। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाने और उनके साथ यौन हिंसा के मामले में एक बार फिर बेहद सख्त तेवर दिखाए हैं। उन्होंने पूछा है कि चार मई की घटना के मामले में जीरो एफआईआर दर्ज करने में 14 दिन कैसे लग गए और पुलिस क्या कर रही थी। उन्होंने इस तर्क को भी सिरे से खारिज कर दिया कि मणिपुर जैसी घटना दूसरी जगहों पर भी हो रही है। उन्होंने कहा कि यह कह कर मणिपुर की घटना को सही नहीं ठहराया जा सकता है कि दूसरी जगह भी ऐसी घटना हो रही है।

गौरतलब है कि मणिपुर की महिलाओं का वीडियो सामने आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद परिसर में इस घटना पर दुख जताया था और साथ ही कहा था कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकारों को कानून व्यवस्था मजबूत करनी चाहिए। इसके बाद भाजपा नेताओं ने मणिपुर की घटना की तुलना करते हुए कहा कि विपक्ष के शासन वाले राज्यों में भी ऐसी घटनाएं हो रही हैं। सोमवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने इन तर्कों को पूरी तरह से खारिज कर दिया। साथ ही यह भी कहा कि दूसरे राज्यों में हो रही ऐसी घटनाओं की सुनवाई मणिपुर के साथ नहीं होगी।

सोमवार को हुई इस मसले पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा- सांप्रदायिक और जातीय हिंसा में हम महिलाओं के खिलाफ अभूतपूर्व स्तर की हिंसा की घटना देख रहे हैं। हम यह नहीं कह सकते कि इस तरह की घटनाएं दूसरी जगह भी हो रही हैं, यहां मामला अलग है। आप बताएं मणिपुर के बारे में आप क्या सुझाव देते हैं? हम यह कह कर मणिपुर की घटना को सही नहीं ठहरा सकते है कि ऐसा दूसरी जगहों पर भी हो रहा है।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के साथ इस बेंच में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्र भी शामिल हैं। तीन जजों की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कई बातों पर हैरानी जताई। अदालत ने पूछा कि चार मई को घटना को हुई तो जीरो एफआईआर दर्ज करने में दो हफ्ते का समय कैसे लग गया? अदालत ने इस घटना को भयानक बताते हुए पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए और कहा कि वह भी नहीं चाहती कि पुलिस इस मामले की जांच करे। चीफ जस्टिस ने कहा कि अदालत एक विशेष जांच टीम यानी एसआईटी बनाने और रिटायर जज की निगरानी में इसकी जांच कराने पर विचार कर सकती है। एक अगस्त को भी इस मामले में सुनवाई होगी।

गौरतलब है कि 19 जुलाई को वीडियो सामने आने के बाद चीफ जस्टिस ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया था और कहा था कि वे सरकार को समय दे रहे हैं कि वह कुछ कार्रवाई करे और अगर सरकार कार्रवाई नहीं करती है तो अदालत कार्रवाई करेगी। इस मामलों में दोनों पीड़ित महिलाएं भी अदालत पहुंची हैं और उन्होंने इस घटना की सीबीआई जांच का विरोध किया है। उनकी ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल अदालत में पेश हुए।

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