नई दिल्ली। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मंगलवार को लगातार दूसरे दिन मणिपुर की स्थिति पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था और संवैधानिक व्यवस्था पूरी तरह से खत्म हो गई है। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को तलब किया है और सात अगस्त को अदालत में हाजिर होकर राज्य की स्थिति बताने को कहा है। चीफ जस्टिस ने इसके अलावा पुलिस की जांच से भी नाराजगी जताई है और कहा है कि पुलिस की जांच बेहद सुस्त है।
मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाए जाने और उनके साथ यौन हिंसा के केस में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने लगातार दूसरे दिन सुनवाई की और पुलिस की जांच को सुस्त बताया। सर्वोच्च अदालत ने इस बात पर हैरानी जताई कि राज्य की जातीय हिंसा में करीब तीन महीने तक एफआईआर ही दर्ज नहीं की गई। बाद में जब छह हजार से ज्यादा एफआईआर हुईं तो इनमें सात गिरफ्तारियां की गईं। इस पर केंद्र ने बताया कि सात गिरफ्तारी वायरल वीडियो मामले में की गई है और अभी तक कुल ढाई सौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के पुलिस महानिदेशक को कोर्ट में हाजिर होकर इन सभी सवालों का जवाब देने का निर्देश दिया है। एफआईआर में देरी पर केंद्र ने कोर्ट से कहा कि मणिपुर में हालात बेहद खराब हैं। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के अलावा तीन जजों की बेंच में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं। इस मामले की अगली सुनवाई सात अगस्त को दोपहर दो बजे होगी।
कुकी महिलाओं से बलात्कार और हत्या के मामले में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर ने सरकार की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह रिपोर्ट कानून के खिलाफ है। इसमें पीड़ित महिलाओं के नाम हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तुरंत निर्देश दिया कि इस रिपोर्ट को किसी से शेयर नहीं किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार सुबह केंद्र को यह आदेश भी दिया था कि सुनवाई पूरी होने तक सीबीआई वायरल वीडियो केस की पीड़िताओं के बयान न ले।