नई दिल्ली। इस साल के नोबल पुरस्कारों की घोषणा शुरू हो गई है। सबसे पहले मेडिसीन के क्षेत्र में दिए जाने वाले नोबल पुरस्कार की घोषणा हुई है। वैक्सीन बनाने की एमआरएनए तकनीक के लिए मेडिसीन का 2023 का नोबल पुरस्कार कैटलिन कारिको और ड्रू वीसमैन को दिय गया है। नोबेल प्राइज देने वाली कमेटी ने माना है कि इनकी दी गई एमआरएनए तकनीक से बनी कोरोना वैक्सीन के जरिए दुनिया कोरोना महामारी से निकल पाई।
गौरतलब है कि एमआरएनए तकनीक की खोज साठ के दशक में हुई थी लेकिन कोरोना के वक्त पहली बार ऐसा हुआ था जब इस तकनीक पर आधारित वैक्सीन बनी थी। इसे फाइजर, बायो एनटेक और मॉडर्ना ने बनाया था। बहरहाल, नोबल पुरस्कार में 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर यानी करीब आठ करोड़ रुपए का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। यह राशि 10 दिसंबर को विजेताओं को दी जाएगी। इस साल अलग-अलग क्षेत्रों में नोबल पुरस्कार के लिए 351 उम्मीदवार हैं।
गौरतलब है कि 1901 में जब नोबल पुरस्कार की शुरुआत हुई थी, तब से 2023 तक मेडिसीन के क्षेत्र में 227 लोगों को यह पुरस्कार दिया जा चुका है। बहरहाल, कैटलिन कारिको का जन्म 17 अक्टूबर 1955 को हंगरी में हुआ। कारिको ने कई सालों तक हंगरी की सेज्ड यूनिवर्सिटी में आरएनए तकनीक पर काम किया। 1985 में वे अमेरिका चली गईं। वहां उन्होंने पेन्सिल्वेनिया यूनिवर्सिटी में एमआरएनए तकनीक पर काम शुरू किया। दूसरे विजेता ड्रू जाने-माने इम्यूनोलॉजिस्ट हैं। ड्रू और कारिको ने साझेदारी करके एमआरएन तकनीकर पर काम किया।