नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र का आखिरी हफ्ता सोमवार से शुरू हो रहा है और पहले ही दिन सरकार व विपक्ष के बीच शक्ति परीक्षण होगा। पिछले तीन महीने से सरकार और विपक्ष के बीच टकराव का कारण बने दिल्ली का सेवा बिल सोमवार को राज्यसभा में पेश होगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस विवादित बिल को उच्च सदन में पेश करेंगे, जहां इस पर चर्चा होगी और मतदान होगा। विधेयक लोकसभा से पारित हो चुका है। विपक्षी पार्टियों के वाकआउट के बाद इसे ध्वनि मत से पास किया गया था।
विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडिया’ ने इस बिल को रोकने के लिए पूरा दम लगाया है। दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी ने इस बिल पर बहस और वोटिंग को धर्मयुद्ध बताया है और यहां तक कहा है कि इस बिल का साथ देने वाले देशद्रोही कहलाएंगे। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार को देने का फैसला किया था। लेकिन केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश के जरिए इस फैसले को पलट दिया। अब उसी अध्यादेश को कानून बनाने के लिए बिल लाया गया है।
इस बिल पर दोनों पक्षों के बीच राज्यसभा में शक्ति परीक्षण होना है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने अपने राज्यसभा सांसदों के लिए व्हिप जारी किया है। दोनों पार्टियों ने अपने राज्यसभा सांसदों से सदन में उपस्थित रहने के लिए कहा है। दिल्ली सेवा विधेयक को लेकर कांग्रेस ने अपने राज्यसभा सांसदों को सात अगस्त को सदन में उपस्थित रहने के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी किया है। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी ने भी अपने राज्ससभा सांसदों के लिए सात और आठ अगस्त को उच्च सदन में रहने का व्हिप जारी किया है।
हालांकि एनडीए और ‘इंडिया’ दोनों से समान दूरी रखने वाली दो पार्टियों- बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस के सरकार का साथ देने के बाद पलड़ा सरकार के पक्ष में झुका हुआ दिख रहा है। सरकार के पास 130 सांसदों का समर्थन है, जबकि विपक्ष के साथ अधिकतम 110 सांसद हो सकते हैं। गौरतलब है कि इस कानून के खिलाफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पूरे देश का दौरा किया और सभी पार्टियों को इसका विरोध करने के लिए राजी किया।
बहरहाल, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को राज्यसभा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार संशोधन विधेयक, 2023 पेश करेंगे। इसे सोमवार को राज्यसभा के एजेंडे में सूचीबद्ध किया गया है। इस विधेयक को प्रश्नकाल के बाद पेश किया जाएगा। इस विधेयक पर पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस की संभावना है। अब तक संसद के दोनों सदनों में कार्यवाही के दौरान हंगामा करते रहे विपक्षी सांसदों ने लोकसभा में भी इस बिल पर बहस में हिस्सा लिया था और इसका जम कर विरोध किया था।