नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़ा विवादित बिल सोमवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा। पास होने के बाद यह बिल मई में जारी अध्यादेश की जगह लेगा। अध्यादेश के जरिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसल को पलट दिया था, जिसमें सर्वोच्च अदालत ने अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार को दिया था। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस बिल को राज्यसभा में पास होने से रोकने के लिए बड़ी मेहनत की है। लोकसभा से पास होने के बाद इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। राज्यसभा में भी इस बिल को पास कराने में सरकार को दिक्कत नहीं आएगी।
बहरहाल, इस बिल का मसौदा लोकसभा सांसदों के बीच वितरित किया गया है तभी माना जा रहा है कि इसे सोमवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा। लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह यह बिल पेश करेंगे। इसका नाम, ‘एनसीटी दिल्ली संशोधन बिल 2023’ है। यह 19 मई 2023 को लागू हुए अध्यादेश की जगह लेगा। इस बिल में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, एनसीटी दिल्ली के अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के बारे में प्रावधान किया गया है।
इस विधेयक में राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण बनाने का प्रावधान है। दिल्ली के मुख्यमंत्री इस प्राधिकरण के अध्यक्ष होंगे। इसमें में दिल्ली के मुख्य सचिव पदेन सदस्य होंगे और गृह विभाग के प्रधान सचिव इसके सदस्य सचिव होंगे। प्राधिकरण में सारे फैसले बहुमत से किए जाएंगे। इस प्राधिकरण की सिफारिश पर उप राज्यपाल फैसला करेंगे। वे चाहें तो ग्रुप-ए के अधिकारियों के बारे में संबधित दस्तावेज मांग सकते हैं। अगर प्राधिकरण और उप राज्यपाल की राय अलग-अलग होगी तो उप राज्यपाल का फैसला ही अंतिम माना जाएगा।
सोमवार को पेश होने वाले बिल के मुताबिक दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है लिहाजा इसका प्रशासन राष्ट्रपति के पास है। दिल्ली में राष्ट्रपति भवन, संसद, सुप्रीम कोर्ट, दूतावास, अंतरराष्ट्रीय एजेंसिया आदि हैं इसलिए देश हित में जरूरी है कि यहां प्रशासन में सर्वोच्च मानदंडों का पालन हो। बिल के मुताबिक, दिल्ली के बारे में कोई भी फैसला सिर्फ यहां के नागरिकों को ही नहीं, बल्कि पूरे देश को प्रभावित करता है।
संसद के मानसून सत्र में अभी तक विपक्ष मणिपुर के मसले पर लगातार हंगामा कर रहा है। लेकिन इस बिल के पेश होने पर राज्यसभा में हंगामा नहीं होगा। कांग्रेस सहित सभी विपक्षी पार्टियां इसके खिलाफ वोट डालेंगी। लेकिन जगन मोहन रेड्डी के समर्थन के बाद सरकार के पास बहुमत के लिए जरूरी 121 वोट से ज्यादा का आंकड़ा है। इस बीच खबर है कि विपक्षी पार्टियां बीमार सांसदों को भी किसी तरह से मतदान के सदन में लाने के उपाय कर रही हैं। विपक्ष करीबी मुकाबला बनाने की कोशिश कर रहा है लेकिन इसकी संभावना नहीं है।