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सरकार खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव

नई दिल्ली। विपक्षी पार्टियों ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। मणिपुर में चल रही हिंसा और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के मसले पर चर्चा की मांग को लेकर संसद के मानसून सत्र में चल रहे गतिरोध के बीच कांग्रेस के गौरव गोगोई ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। लोकसभा स्पीकर ने इस प्रस्ताव को मंजूर भी कर लिया है। स्पीकर ने कहा है कि इस पर सबसे बात करके समय तय करेंगे। बताया जा रहा है कि अगले हफ्ते अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हो सकती है।

इस बीच मणिपुर को लेकर बुधवार को पांचवें दिन भी संसद में सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध बना रहा। विपक्ष नियम 267 के तहत चर्चा की मांग पर अड़ा हुआ है। दूसरी ओर राज्यसभा के सभापति ने विपक्ष के सभी नोटिस खारिज करते हुए कहा कि नियम 176 के तहत चर्चा का प्रस्ताव पहले ही वे मंजूर कर चुके हैं। दोनों सदनों में विपक्ष के भारी हंगामे के चलते कार्यवाही दिन भर बाधित रही।

इससे पहले बुधवार को लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के दो नोटिस दिए गए। एक नोटिस कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने दिया, जबकि दूसरा नोटिस नौ सांसदों वाली भारत राष्ट्र समिति के नमा नागेश्वर राव ने दिया था। हालांकि उनका नोटिस वैध नहीं है क्योंकि अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस के लिए 50 सांसदों का समर्थन जरूरी होता है। वैसे बीआरएस विपक्षी मोर्चे में भी शामिल नहीं है। इस बीच अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस देने के बाद कांग्रेस ने अपने लोकसभा सांसदों को व्हिप जारी करके सदन में मौजूद रहने को कहा।

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। स्पीकर ने नियमों के तहत 50 से ज्यादा सांसदों के समर्थन के बाद कहा कि विश्वास प्रस्ताव पर बहस का समय गुरुवार को सभी दलों से बातचीत के बाद तय करेंगे। बताया जा रहा है कि इस बात पर भी चर्चा होगी कि किस दल को कितना समय दिया जाए और कितनी देर चर्चा हो। जानकार सूत्रों के मुताबिक, अविश्वास प्रस्ताव पर अगले हफ्ते चर्चा शुरू हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पर हुई चर्चा का जवाब देंगे।

हालांकि विपक्ष इस प्रस्ताव का विफल होना तय है। फिर भी विपक्ष का कहना है कि प्रधानमंत्री को संसद में बोलने के लिए मजबूर करने के वास्ते यह प्रस्ताव पेश किया गया है। गौरतलब है कि 543 सदस्यों की लोकसभा में अभी पांच सीटें खाली हैं। ऐसे में 538 की संख्या के लिहाज से बहुमत का आंकड़ा 270 है। स्पीकर को छोड़ कर भाजपा के अपने सांसदों की संख्या 301 है, जो बहुमत के आकंडे से ज्यादा है। सहयोगी दलों के साथ एनडीए का आंकड़ा 331 पहुंचता है। दूसरी ओर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के सांसदों की संख्या 140 के करीब है। इसलिए सरकार आसानी से बहुमत साबित करेगी।

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