नई दिल्ली। राज्यों की विधानसभा से पास विधेयकों को लंबित रखने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दो राजभवनों को नोटिस जारी किया है। सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को केरल और पश्चिम बंगाल के राज्यपालों के सचिवों और गृह मंत्रालय को नोटिस जारी किया। नोटिस अलग अलग याचिकाओं में के लिए दी गई है, लेकिन दोनों याचिकाएं विधानसभाओं से पास विधेयक रोकने को लेकर हैं। गौरतलब है कि दोनों राज्यों में राज्यपालों का चुनी हुई सरकारों के साथ टकराव काफी अरसे से चल रहा है।
पश्चिम बंगाल सरकार का दावा है कि राज्यपास सीवी आनंद बोस ने विधानसभा से पास आठ विधेयक रोक रखे हैं। इसी तरह केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सात विधेयकों को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए रोक रखा है। इसके खिलाफ राज्य सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने मामले से संबंधित पक्षों को नोटिस भेजकर तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अभिषेक सिंघवी ने कहा कि जब भी इस तरह के मामलों की सुनवाई होती है, तो कुछ बिल पास कर दिए जाते हैं। उन्होंने तमिलनाडु में भी इसी तरह के मामले का जिक्र किया। पश्चिम बंगाल सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि विधेयक रोके जाने से राज्य की जनता प्रभावित हो रही है, जिनकी भलाई के लिए वे बिल लाए गए थे। राज्य सरकार का कहना है कि राज्यपाल का रवैया न केवल कानून और लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है, बल्कि संविधान के मूल सिद्धांतों को हराने और खत्म करने की धमकी देने जैसा है।
सर्वोच्च अदालत में दायर याचिका में आगे कहा गया है कि 2022 में पास बिल बिना किसी कार्रवाई के लटकाए जाने से राज्य विधानसभा की कार्यवाही असफल हो गई है। इस तरह से संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति ने ही असंवैधानिक स्थिति पैदा कर दी है। पश्चिम बंगाल सरकार ने सर्वोच्च अदालत से कहा कि राज्यपाल ने अपने सचिव को राज्य विधानसभा से पारित विधेयकों पर सहमति देने और दस्तखत के लिए भेजी गई फाइलों पर विचार न करने के लिए कहा है। पश्चिम बंगाल ने राज्यपाल को सचिव के माध्यम से निर्देशित करने की अपील की है कि वे राज्य विधानसभा और सरकार के सभी लंबित बिलों और फाइलों को तय समय में निपटाएं।