नई दिल्ली। नरेन्द्र मोदी आज शाम प्रधानमंत्री पद की तीसरी बार शपथ लेंगे।पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद नरेंद्र मोदी लगातार तीन बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले दूसरे राजनेता होंगे। हालांकि इस दफा चुनावों में भाजपा को अपने दम पर पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। इस बीच, नई सरकार में एनडीए के विभिन्न घटकों की मंत्रिपरिषद में हिस्सेदारी को लेकर भाजपा नेताओं और सहयोगी दलों में सलाह-मशविरा हो रहा है।शपथ-ग्रहण समारोह राष्ट्रपति भवन में रविवार को शाम सवा सात बजे होगा। शपथ ग्रहण समारोह में बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, मालदीव और मॉरीशस सहित कई पड़ोसी देशों के नेता शामिल होंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तीसरी मंत्रिपरिषद में गठबंधन के सहयोगी दलों के 20 से अधिक नए चेहरे हो सकते है। संभावना है कि मोदी एवं उनकी मंत्रिपरिषद के 40 से अधिक सदस्य शपथ लेंगे। उनके साथ संसद में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दलों के 20 से अधिक सदस्य मंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं राज्य मंत्री के रूप में शपथ ले सकते है।
भाजपा की और से राजनाथ सिंह और पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा की तेलगू देशम पार्टी के एन. चंद्रबाबू नायडू, जद(यू) के नीतीश कुमार और शिवसेना के एकनाथ शिंदे आदि से बातचीत हुई है। माना जा रहा है कि गृह, वित्त, रक्षा और विदेश जैसे महत्वपूर्ण विभागों के अलावा शिक्षा और संस्कृति जैसे मंत्रालय भाजपा अपने पास ही रखेगी। जबकि सहयोगियों पार्टियों को पांच से आठ कैबिनेट पद मिल सकते हैं।
भाजपा के संभावी मंत्रियों में लोकसभा चुनाव जीतने वाले पूर्व मुख्यमंत्री जैसे शिवराज सिंह चौहान, बसवराज बोम्मई, मनोहर लाल खट्टर और सर्बानंद सोनोवाल सरकार में शामिल होने की संभावना लिए हुए हैं।वही तेलगू देशम पार्टी के राम मोहन नायडू, जद(यू) के ललन सिंह, संजय झा और राम नाथ ठाकुर तथा लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के चिराग पासवान के मंत्री बनने के अनुमान हैं। महाराष्ट्र, जहां भाजपा-शिवसेना-राकांपा गठबंधन का प्रदर्शन खराब रहा है, और बिहार, जहां विपक्ष ने वापसी के संकेत दिए हैं, सरकार गठन की कवायद में महत्व पा सकते हैंमहाराष्ट्र में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं, जबकि बिहार में अगले साल चुनाव होंगे।
भाजपा के मंत्रियों की शपथ के बाद संभव है कि संगठन में भी फेरबदल होगा। लोकसभा चुनावों के कारण नड्डा का कार्यकाल बढ़ा दिया गया था, लेकिन चुनाव परिणामों के बादफेरबदल की जरूरत बन गई है। मतदाताओं के एक वर्ग, विशेषकर अनुसूचित जातियों और समाज के अन्य वंचित वर्गों का पार्टी से दूर चले जाना भी सरकार गठन में एक निर्णायक कारक हो सकता है, हालांकि मोदी ने अपने कार्यकाल में उनके सापेक्ष प्रतिनिधित्व को बढ़ाने पर जोर दिया था।