nayaindia Sedition Law supreme court राजद्रोह कानून पांच जजों की बेंच को
Trending

राजद्रोह कानून पांच जजों की बेंच को

ByNI Desk,
Share

नई दिल्ली। राजद्रोह कानून यानी भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए पर अब सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ सुनवाई करेगी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने मंगलवार को 152 साल पुराने राजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। बेंच में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे। इन याचिकाओं पर सुनवाई के बाद अदालत ने धारा 124ए को चुनौती देने वाली याचिकाओं को पांच जजों की बेंच को भेजने का फैसला किया।

इससे पहले केंद्र सरकार ने नए बिल का हवाला देकर कोर्ट से सुनवाई टालने का अनुरोध किया था तो याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इसे सात जजों की बेंच को भेजने की अपील की थी। केंद्र सरकार की दलील को ठुकराते हुए चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि भले ही नया विधेयक कानून बन जाए, लेकिन नए कानून का पिछले मामलों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यानी पिछले मुकदमे चलते रहेंगे इसलिए इस मामले पर संविधान बेंच में सुनवाई होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह सभी दस्तावेज चीफ जस्टिस के सामने रखे, ताकि बेंच बनाने के लिए फैसला किया जा सके। चीफ जस्टिस ने कहा कि अदालत ऐसे कानूनों के इस्तेमाल को लेकर चिंतित है। उन्होंने कहा कि ये कानून बढ़ई को लकड़ी का एक टुकड़ा काटने के लिए आरी देने जैसा है, जो उसका इस्तेमाल पूरे जंगल को काटने के लिए करता है। अदालत ने यह भी कहा कि राजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं को बड़ी बेंच को भेजने की जरूरत है, क्योंकि 1962 के केदार नाथ सिंह मामले में पांच जजों की बेंच ने इस प्रावधान को बरकरार रखा था।

भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने चीफ जस्टिस की बेंच को आईपीसी को बदल कर भारतीय न्याय संहिता के रूप में नया कानून लाने के लिए पेश किए गए विधेयक के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि नए विधेयक में राजद्रोह का अपराध शामिल नहीं है। इसे संसदीय स्थायी समिति के पास भेजा गया है। इस आधार पर उन्होंने बेंच से विधेयक पर फैसला होने तक सुनवाई रोकने की अपील की। हालांकि याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि नए विधेयक में भी ऐसा ही प्रावधान है, जो बहुत खराब है। एक याचिकाकर्ता के वकील अरविंद दातार भी इस दलील से सहमत दिखे, उन्होंने कहा- नए बिल में भी राजद्रोह मौजूद है, बस उन्होंने एक नया लेबल दे दिया है।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें

Naya India स्क्रॉल करें