गंगटोक। सिक्किम में बादल फटने से आई बाढ़ में जान गंवाने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अब तक 40 लोगों के मारे जाने की खबर है, जिसमें सेना के सात जवान भी शामिल हैं। गौरतलब है कि तीन अक्टूबर को बादल फटने से तीस्ता नदी में अचानक बाढ़ आ गई थी। इस बाढ़ में सेना का एक शिविर और एक गांव बह जाने की खबर है। अब तक 40 लोगों की मौत हो गई है और एक सौ से ज्यादा लोग लापता है। तीस्ता नदी में से कई शव निकाले गए हैं।
सेना और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, एनडीआरएफ बड़े पैमाने पर बचाव व राहत अभियान चला रहे हैं। बाढ़ में बह गए लोगों को ढूंढने के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और वायु सेना के हेलीकॉप्टर भी लगाए गए हैं। अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि सिक्किम में बादल फटने के कारण अचानक आई बाढ़ के तीसरे दिन मरने वालों की संख्या 40 हो गई। नदी के निचले हिस्से में तलाश और बचाव का काम कर रही टीमों ने गुरुवार की रात को क शव निकाले।
सिक्किम के मुख्य सचिव विजय भूषण पाठक ने शुक्रवार को कहा- लाचेन और लाचुंग में तीन हजार से ज्यादा लोग फंसे हुए हैं। बाइक से वहां गए करीब 31 सौ लोग बाढ़ के कारण फंस गए हैं। उनके अलावा सात-आठ सौ ड्राइवर भी फंसे हुए हैं। सेना और वायु सेना के हेलीकॉप्टरों से सभी को निकाला जा रहा है। मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने बताया कि बुरदांग इलाके से लापता हुए सेना के 23 जवानों में से सात के शव नदी के निचले इलाकों से बरामद कर लिए गए हैं। लापता जवानों में से एक को बचा लिया गया था। 15 जवान समेत कुल 118 लोग अभी भी लापता हैं।
इस बीच अधिकारियों ने एक और ग्लेशियर के फटने की आशंका को देखते हुए पर्यटकों से फिलहाल सिक्किम की यात्रा नहीं करने की अपील की है। बाढ़ के हालात देखते हुए शिक्षा विभाग ने 15 अक्टूबर तक सभी स्कूल बंद करने के निर्देश दिए हैं। शिक्षा विभाग ने पहले आठ अक्टूबर तक ही स्कूल बंद करने की बात कही थी। बताया गया है कि तीस्ता नदी में अचानक आई बाढ़ में सेना का बेस कैंप बह गया। कैंप में रखे हथियार और गोला-बारूद भी बह गए हैं। तभी जलपाईगुड़ी पुलिस ने एडवाइजरी जारी कर लोगों से नदी में बहने वाले किसी भी गोला-बारूद या विस्फोटक से दूर रहने के लिए कहा है साथ ही पुलिस को इसकी सूचना देने की अपील की है।