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इसरो पीएसएलवी-सी56 मिशन में विशेष प्रयोग करेगा

PSLV-C56 mission:- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) रविवार को सिंगापुर के सात उपग्रहों के सफलतापूर्वक प्रक्षेपण के बाद पीएसएलवी-सी56 रॉकेट में चौथे चरण का इस्तेमाल करके एक विशिष्ट प्रयोग करेगा।

यह नया मिशन इस वर्ष अप्रैल में शुरू हुए पीएसएलवी-सी56 टेलोस-2 मिशन का ही विस्तार है। वैज्ञानिक आज के इस मिशन में पीएसएलवी रॉकेट के चौथे चरण को निचली कक्षा में स्थापित करेंगे।

इसरो ने एक बयान में कहा कि सिंगापुर के सभी उपग्रहों को 536 किलोमीटर की ऊंचाई पर निर्धारित कक्षाओं में स्थापित कराने के बाद, रॉकेट का ऊपरी चरण निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जिससे 300 किलोमीटर की ऊंचाई पर इसके घटे कक्षीय जीवन (रिड्यूस्ड ऑर्बिटल लाइफ) में इसकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा, हम इसके बाद (सफल प्रक्षेपण) पीएस4 चरण में और आकर्षक गतिविधियां करने जा रहे हैं। पीएसएलवी चौथा चरण में रॉकेट को 300 किलोमीटर की निचली कक्षा में वापस लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि पीएस4 चरण के तहत रॉकेट को निचली कक्षा में वापस लाए जाने के पीछे का कारण अंतरिक्ष में कचरे की समस्या को कम करना है।

सोमनाथ ने मिशन नियंत्रण केंद्र में कहा, ‘‘(यह प्रयोग) अंतरिक्ष में बिताए जाने वाले चरण की अवधि कम करने के इरादे से किया जा रहा है। इसके दो उद्देश्य हैं। पहला-पीएसएलवी को ऊपरी चरण से नियंत्रित तरीके से वापस लाने के लगातार प्रयासों के जरिये अंतरिक्ष में कचरे की समस्या को कम किया जा सके। दूसरा-इस मिशन में इस लक्ष्य को प्राप्त करके देखना।’’

पीएसएलवी के मिशन निदेशक एस आर बीजू ने कहा, ‘सा कि हमारे अध्यक्ष ने संकेत दिया है कि हमारा मिशन अभी समाप्त नहीं हुआ है। मिशन का प्रारंभिक उद्देश्य (सिंगापुर के सातों उपग्रहों को निर्धारित कक्षा में स्थापित करना) पूरा हो गया है, लेकिन प्रयोग करते रहना पीएसएलवी की आदत में शुमार हो गया है।

बीजू ने कहा, जैसा कि आप जानते हैं कि हमने पिछली बार भी ऐसा किया था। हमने पीओईएम (पीएसएलवी कक्षीय प्रायोगिक मॉड्यूल) तैयार किया, अंतरिक्ष में गाने गाए, हम स्टार्टअप को अंतरिक्ष की कक्षाओं में ले गए। ऐसा हमने पीएस4 चरण के ऊपरी कक्षा में रहते हुआ किया। हमने इस बार कुछ अलग करने की सोची है…। (भाषा)

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