देहरादून। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सुरंग में मजदूरों को फंसे हुए डेढ़ सौ घंटे से ज्यादा हो गए हैं और अब भी किसी को पता नहीं है कि उन्हें कब तक निकाला जा सकेगा। इस बीच खबर है कि सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों की आवाज अब बहुत धीमी हो गई है और उनकी सेहत बिगड़ने का खतरा पैदा हो गया है। बताया जा रहा है कि ड्रिलिंग के रास्ते में चट्टान आ जाने से शुक्रवार को काम रोकना पड़ा था। शनिवार को यह भी खबर आई है कि सुरंग में 40 नहीं, बल्कि 41 मजदूर फंसे हैं।
बहरहाल, सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए शनिवार को नए सिरे से एक बड़ी कवायद शुरू हुई है। शुक्रवार शाम अचानक दरार आने की आवाज सुनने के बाद बचाव अभियान रुक गया था। ड्रिलिंग मशीन में भी खराबी आ गई थी। बचाव अभियान में जुटे अधिकारियों ने बताया है कि दुर्घटनास्थल पर दूसरा भारी ड्रिल विमान से भेजा गया । बताया जा रहा है कि अब ऊपर से ड्रिल करके छेद करने और मजदूरों को निकालने का प्रयास होगा। शुक्रवार को अमेरिकी ऑगर मशीन बीच में ही खराब हो गई। करीब 25 मीटर की ड्रिलिंग के बाद मशीन नीचे किसी धातु की चीज या चट्टान से टकरा गई। इससे तेज आवाज आई। दोपहर तीन बजे के बाद बचाव अभियान रोक दिया गया।
गौरतलब है कि सुरंग का एक हिस्सा धंसने के बाद रविवार सुबह से मजदूर फंसे हुए हैं। हालांकि अधिकारियों ने बताया कि सभी मजदूर सुरक्षित हैं और उन्हें ड्रिल किए गए स्टील पाइप के जरिए भोजन और पानी की आपूर्ति की जा रही है। फंसे हुए मजदूरों के परिवार दुर्घटनास्थल पर पहुंच गए हैं और उम्मीद खो रहे हैं। सुरंग में फंसे मजदूरों की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर भी चिंताएं बढ़ रही हैं। डॉक्टरों का कहना है कि लंबे समय तक कैद में रहने से मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकते हैं।