नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से लोकसभा में पेश किए गए महिला आरक्षण का वैसे तो सभी पार्टियों ने स्वागत किया है लेकिन आरक्षण के भीतर आरक्षण की मांग करती रही पार्टियों ने एक बार फिर सवाल उठाया है। उन्होंने विधेयक में पिछड़ी जाति की महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान करने की मांग की है। इस मामले में बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यू ने एक सुर में अपनी बात कही है। कांग्रेस पार्टी ने बिल का समर्थन किया है लेकिन राज्यसभा में पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसके भीतर ओबीसी आरक्षण की बात उठाई।
राष्ट्रीय जनता दल की नेता और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने कहा है- महिला आरक्षण के अंदर वंचित, उपेक्षित, खेतिहर और मेहनतकश वर्गों की महिलाओं की सीटें आरक्षित हों। मत भूलो, महिलाओं की भी जाति है। उनकी पार्टी के सांसद मनोज झा ने भी कहा कि पार्टी अपनी पुरानी लाइन पर कायम है कि इस कानून में सामाजिक न्याय की बात नहीं है। जनता दल यू के संसदीय दल के नेता राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी पूरे देश में जातीय जनगणना की मांग कर रही है। उन्होंने कहा कि यदि आबादी के अनुपात में आरक्षण नहीं मिलता है तो उसका कोई मतलब नहीं है। उन्होंने इस बिल को चुनावी जुमला बताते हुए कहा कि पूरे देश में जातीय जनगणना को और उसके हिसाब से आरक्षण के नियम बनें।
बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने कहा कि इस बिल में पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को लेकर कुछ नहीं कहा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण होना चाहिए। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि इस बिल में स्पष्ट होना चाहिए कि अल्पसंख्यक, पिछड़ा और दलित समुदाय की महिलाओं के लिए क्या प्रावधान हैं। उन्होंने कहा कि लैंगिक न्याय के साथ ही सामाजिक न्याय का प्रश्न भी हल होना चाहिए। हालांकि ये चारों पार्टियां अपने को महिला आरक्षण का विरोधी नहीं बता रही हैं और न बिल का विरोध कर रही हैं। वे बहुत सावधानी से अपनी बात रख रही हैं। दूसरी ओर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने बिल को समर्थन देने का ऐलान किया है।