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ट्रंप ने एच-1बी वीजा नियमों को सख्त किया

Washington, D.C [USA], Jun 22 (ANI): U.S. President Donald Trump delivers an address to the nation, following U.S. strikes on Iran's nuclear facilities, at the White House in Washington, D.C on Saturday. (Reuters/ANI Photo)

अमेरिका में काम कर रहे भारतीय टेक्नोलॉजी पेशेवरों और बड़ी कंपनियों के लिए एक बड़ा झटका है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा प्रोग्राम में बड़े बदलाव करने के लिए एक घोषणा पत्र पर साइन किए हैं। 

इस घोषणापत्र के अनुसार, अब प्रत्येक आवेदन के लिए प्रति वर्ष 1,00,000 डॉलर का शुल्क देना होगा। ट्रंप का कहना है कि इसका मकसद विदेशी कामगारों की बजाय अमेरिकी लोगों को नौकरी देना है।

व्हाइट हाउस में आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए ट्रंप ने कहा, “हम चाहते हैं कि हमारी नौकरियां हमारे नागरिकों को मिलें। हमें अच्छे कामगार चाहिए और यह कदम उसी दिशा में है।

अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लूटनिक ने भी इस फैसले का बचाव किया। उन्होंने कहा कि अब बड़ी कंपनियां विदेशी लोगों को सस्ते में काम पर नहीं रखेंगी, क्योंकि पहले सरकार को 1 लाख डॉलर देने होंगे और फिर कर्मचारी को वेतन देना होगा। तो, यह आर्थिक रूप से ठीक नहीं है। आप किसी को प्रशिक्षित करेंगे। 

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आप हमारे देश के किसी अच्छे विश्वविद्यालय से हाल ही में स्नातक हुए किसी व्यक्ति को प्रशिक्षित करेंगे, अमेरिकियों को प्रशिक्षित करेंगे। हमारी नौकरियां छीनने के लिए लोगों को लाना बंद करें। यही यहां की नीति है।

नए नियम के अनुसार, एच-1बी वीज़ा अधिकतम छह साल के लिए ही मान्य रहेगा, चाहे नया आवेदन हो या नवीनीकरण। आदेश में कहा गया है कि इस वीज़ा का गलत इस्तेमाल किया जा रहा था, जिससे अमेरिकी कामगारों को नुकसान हो रहा था और यह अमेरिका की अर्थव्यवस्था व सुरक्षा के लिए ठीक नहीं है।

ट्रंप और लुटनिक दोनों ने ज़ोर देकर कहा कि सभी प्रमुख तकनीकी कंपनियां “इसमें शामिल” हैं।

ट्रंप ने एक नया “गोल्ड कार्ड प्रोग्राम” भी शुरू किया है। इसमें कोई व्यक्ति 10 लाख डॉलर देकर वीज़ा ले सकता है, जबकि कंपनियों को 20 लाख डॉलर देने होंगे।

अभी हर साल करीब 85 हजार नए एच-1बी वीजा दिए जाते हैं। इनमें सबसे ज्यादा हिस्सा भारतीयों को मिलता है। प्यू रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में लगभग 73 प्रतिशत एच-1बी वीजा भारतीयों को मिले थे, जबकि चीन के लोगों को 12 प्रतिशत मिले।

इस फैसले से अमेरिका में काम कर रहे हजारों भारतीय पेशेवरों और वहां की टेक्नोलॉजी कंपनियों पर गहरा असर पड़ सकता है।

Pic Credit : ANI

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