नई दिल्ली। समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी पर विधि आयोग ने सलाह मशविरे की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उत्तराखंड सरकार की ओर से राज्य में इसे लागू करने के लिए तैयार कराए गए मसौदे की चर्चा के बीच विधि आयोग ने बुधवार को कहा कि उसने समान नागरिक संहिता की जरूरत पर नए सिरे से विचार करने का फैसला किया है। इसके तहत लोगों और धार्मिक संगठनों के सदस्यों सहित इससे जुड़े विभिन्न पक्षों से विचार जाने जाएंगे।
आयोग ने कहा है कि जिन लोगों की इस विषय में रुचि है और अन्य इच्छुक लोग विधि आयोग को नोटिस की तारीख से 30 दिनों के भीतर अपने विचार भेज सकते हैं। इससे पहले, 21वें विधि आयोग ने इस मुद्दे का परीक्षण किया था। ध्यान रहे समान नागरिक संहिता का मामला राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील है। तभी इस मामले पर आयोग ने दो मौकों पर सभी पक्षों के विचार मांगे थे। गौरतलब है कि 21वें विधि आयोग का कार्यकाल अगस्त 2018 में समाप्त हो गया था।
बहरहाल, कई घटनाक्रमों खास कर अदालती आदेशों को ध्यान में रखते हुए 22वें विधि आयोग ने इस पर नए सिरे से विचार विमर्श करने का फैसला किया। 22वें विधि आयोग को हाल ही में तीन साल का विस्तार मिला है। इसलिए आयोग ने कानून और न्याय मंत्रालय की ओर से भेजे गए एक संदर्भ पर समान नागरिक संहिता से जुड़े मुद्दों पर काम करना शुरू किया है। इसी के तहत बड़े पैमाने पर लोगों और धार्मिक संगठनों के विचार लिए जा रहे हैं। इसके पहले करीब आठ महीने काम करके आयोग ने समान नागरिक संहिता पर एक विस्तृत दस्तावेज तैयार किया है। इसी के आधार पर केंद्र सरकार समान नागरिक संहिता का बिल तैयार करेगी।