नई दिल्ली। एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनकी पूरी सरकार और सत्तारूढ़ गठबंधन आम बजट की वाहवाही में लगा है वही दूसरी ओर विपक्ष ने बजट की आलोचना करते हुए इसे दिशाहीन बताया। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि यह बजट बुलेट इंजरी यानी गोली के घाव पर बैंड ऐड लगाने जैसा है। उन्होंने कहा, ‘वैश्विक अनिश्चितता के बीच हमारे आर्थिक संकट को हल करने के लिए एक आदर्श बदलाव की जरूरत थी, लेकिन यह सरकार विचारों के मामले में दिवालिया है’।
कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि बजट 2025-26 में भाजपा ने टैक्स देने वाले मिडिल क्लास और बिहार के मतदाताओं को लुभाने की कोशिश है। उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर पुरानी नीतियों पर चलने का आरोप लगाते हुए कहा कि 1991 और 2004 की तरह नीतिगत सुधार की हिम्मत नहीं दिखाई गई। उन्होंने कहा कि सरकार के पास नई नीतियां लागू करने की दृष्टि नहीं है।
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘देश के खजाने का एक बड़ा हिस्सा चंद अमीर अरबपतियों के कर्जे माफ करने में चला जाता है। मैंने मांग की थी कि बजट में ये ऐलान किया जाए कि आगे से किसी अरबपति के कर्ज माफ नहीं किए जाएंगे। इस से बचने वाले पैसे से मिडिल क्लास के होम लोन और व्हीकल लोन में छूट दी जाए, किसानों के कर्जे माफ किए जाएं। इनकम टैक्स और जीएसटी की टैक्स दरें आधी की जाएं। मुझे दुख है कि ये नहीं किया गया’।
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, ‘हमारे लिए बजट के आंकड़ों से ज्यादा महाकुंभ में मची भगदड़ में मरने वालों का डेटा महत्वपूर्ण है। सरकार यह नहीं बता पा रही है कि कितने लोग मरे, लापता हुए या घायल हुए। क्या यही है आपके विकसित भारत की परिभाषा कि भगदड़ में लोग मरेंगे’। उनके और कुछ अन्य विपक्षी सांसदों ने बजट के बीच वाकआउट भी किया था। बहरहाल, डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने बजट की आलोचना करते हुए कहा, ‘यह बहुत निराशाजनक बजट है। वित्त मंत्री ने यह कहते हुए बड़ी छूट दी है कि 12 लाख रुपये पर कोई टैक्स नहीं है। फिर वह कहती हैं कि आठ से 12 लाख रुपये के लिए 10 फीसदी का स्लैब है। इसलिए यह बहुत भ्रामक है। बजट में बिहार के लिए काफी कुछ है क्योंकि इस साल बिहार में चुनाव हैं। तमिलनाडु या किसी अन्य दक्षिणी राज्य के लिए एक भी शब्द नहीं है’।