नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र का आखिरी हफ्ता सोमवार को शुरू हो रहा है। चार अप्रैल को अनिश्चितकाल के लिए सत्र स्थगित होने से पहले सरकार वक्फ संशोधन बिल पेश करेगी। बताया जा रहा है कि बुधवार, दो अप्रैल को यह बिल लोकसभा में पेश किया जा सकता है।
पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 29 मार्च को एक मीडिया समूह के कार्यक्रम में तमाम अटकलों को खारिज करते हुए कहा था कि बिल संसद के इसी सत्र में पेश किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा था कि किसी को इस बिल से डरने की जरुरत नहीं है।
वक्फ बिल पेश करने को लेकर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है है, ‘हम संसद में वक्फ संशोधन विधेयक पेश करने की तैयारी कर रहे हैं। बिल पर संसद के बाहर खूब विचार विमर्श हुए हैं। हमें सदन में बहस और चर्चा में भी जरूर भाग लेना चाहिए’।
उन्होंने आगे कहा, ‘बिल पर बनी जेपीसी ने लोकतांत्रिक भारत के इतिहास में अब तक की सबसे ज्यादा परामर्श प्रक्रिया का रिकॉर्ड बनाया है। सभी राजनीतिक दलों से अनुरोध है कि लोगों को गुमराह न करें’। रिजिजू ने दावा किया कि भोले भाले मुसलमानों को यह कहकर गुमराह किया जा रहा है कि सरकार मुसलमानों की संपत्ति और अधिकार छीनने जा रही है।
बिल पेश होने की चर्चाओं के बीच सोमवार को ईद के मौके पर कई जगह मुस्लिम समाज के लोगों ने बिल के विरोध में काली पट्टी बांध कर नमाज पढ़ी। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड यानी एआईएमपीएलबी ने रमजान के महीने की आखिरी जुमा यानी शुक्रवार, 28 मार्च को देश भर के मुसलमानों से अपील की थी कि वे बिल के विरोध में काली पट्टी बांध कर ईद की नमाज पढ़ें।
वक्फ बिल का विरोध तेज, एआईएमआईएम ने जताई आशंका
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसके लिए एक चिट्टी भी जारी की धी, जिसमें लिखा था, ‘वक्फ संशोधन बिल का पुरजोर विरोध करना देश के हर मुसलमान की जिम्मेदारी है। सभी मुसलमान नमाज के लिए मस्जिद जाते समय काली पट्टी बांधकर शांतिपूर्ण और मौन विरोध दर्ज कराएं’।
सत्र के आखिरी हफ्ते में बिल पेश किए जाने की खबरों के बीच असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने दावा किया कि यह बिल लोकसभा में अटक सकता है। पार्टी के प्रवक्ता वारिस पठान ने कहा है कि लोकसभा में भाजपा के पास बहुमत नहीं है।
उन्होंने कहा है कि अगर चंद्रबाबू नायडू, नीतीश कुमार, चिराग पासवान और जयंत चौधरी ने इस बिल का विरोध नहीं किया तो मुस्लिम समाज उन्हें कभी माफ नहीं करेगा। गौरतलब है कि इस बिल के कई प्रावधानों से मुस्लिम समाज नाराज है।
इसमें वक्फ की संपत्ति से जुड़े दावे की अपील सिर्फ ट्रिब्यूनल में करने और निपटारे में ट्रिब्यूनल के फैसले को अंतिम मानने का नियम बदल दिया गया है। अब अदालत में अपील की जा सकती है और ट्रिब्यूनल के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी। ऐसे ही वक्फ बोर्ड में महिलाओं को दूसरे धर्म के लोगों को भी सदस्य के रूप में शामिल करने का प्रावधान इस बिल में है।
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