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रूसी तेल की खरीद पर पश्चिम से भारत पर अत्यधिक दबाव: लावरोव

Image Credit: Sputnik India

मॉस्को/नयी दिल्ली | रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने संयुक्त राष्ट्र की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मॉस्को के साथ अपने ऊर्जा सहयोग को लेकर भारत पश्चिम की ओर से अत्यधिक दबाव का सामना कर रहै है।

आरटी की रिपोर्ट के अनुसार, लावरोव ने भारत को एक “महान शक्ति” कहा, जो अपने हितों और साझेदारों को निर्धारित करता है। उन्होंने कहा कि नयी दिल्ली पर अत्यधिक, बेशर्म दबाव डाला जा रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय आचरण के संदर्भ में बिल्कुल अस्वीकार्य है।

यूक्रेन संघर्ष और रूस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों की पृष्ठभूमि में भारत ने मॉस्को के साथ मजबूत संबंध बनाया हुआ है। नयी दिल्ली ने रूस से रियायती कच्चे तेल के साथ-साथ अन्य वस्तुओं की खरीद बढ़ा दी है, जिसमें जोर देकर कहा गया है कि यह अपने नागरिकों के लिए “व्यावहारिक” हितों के आधार पर काम कर रहा है।

आरटी के लेट्स टॉक भारत शो में हाल ही में दिए एक साक्षात्कार में भारतीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने जोर देकर कहा और की नयी दिल्ली की बढ़ती रूसी तेल खरीद ने न केवल देश की वृद्धि का समर्थन किया है, बल्कि वैश्विक तेल की कीमतों को 250-300 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने से भी रोका है।

पेट्रोलियम मंत्री पुरी ने यह भी तर्क दिया और भारत कम से कम अगले दो दशकों तक अपनी आर्थिक वृद्धि का समर्थन करने के लिए तेल पर निर्भर रहना जारी रखेगा और अक्षय स्रोतों से अधिक ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए चल रहे कोशिशों के बावजूद।

बुधवार को फिलिस्तीन पर सुरक्षा परिषद की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद संयुक्त राष्ट्र में बोलते हुए, लावरोव ने आलोचना का जवाब देने के लिए भारत की सराहना की और यह इंगित करते हुए की उनके भारतीय समकक्ष एस जयशंकर ने कई अवसर पर रूस के साथ नयी दिल्ली के तेल व्यापार का बचाव किया, यह दर्शाता है कि पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद रूसी ऊर्जा संसाधनों के आयात में वृद्धि हुई है।

जयशंकर ने एकतरफा प्रतिबंधों की आलोचना करते हुए दलील दि और की विकासशील देश इन्हें स्वीकार नहीं करते हैं जो बाधित आपूर्ति श्रृंखला का खामियाजा भुगत रहे हैं।

लावरोव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हालिया मॉस्को यात्रा पर यूक्रेन की प्रतिक्रिया की भी निंदा की। ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने दावा किया कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ मोदी का गले मिलना शांति प्रयासों के लिए एक झटका था। नयी दिल्ली ने इस सप्ताह की शुरुआत में इस टिप्पणी को लेकर यूक्रेनी राजदूत को तलब किया था।

प्रधानमंत्री मोदी के मॉस्को पहुंचने के बाद वाशिंगटन ने रूस के साथ भारत के संबंधों पर सार्वजनिक रूप से अपनी ‘चिंता व्यक्त की थी। वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, अमेरिका ने नयी दिल्ली को मोदी की यात्रा को पुनर्निर्धारित करने के लिए मनाने की कोशिश की थी ताकि यह उसी सप्ताह वाशिंगटन में नाटो नेताओं के शिखर सम्मेलन के साथ मेल न खाए।

सूत्रों ने अखबार से कहा कि अमेरिकी अधिकारी एक प्रमुख एशियाई शक्ति को रूस के साथ मिलते हुए देखने को लेकर चिंतित थे, जब पश्चिमी देश जोर दे रहे थे कि रूस यूक्रेन संघर्ष में अलग-थलग हो चुका है।

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