भोपाल। अमित शाह का अचानक भोपाल दौरा सुर्ख़ियों में.. जिसकी वजह बिना समय गंवाए चुनाव की तैयारियां .. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा यदि जनता और कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोल चुके तो संघ के नीति निर्धारक दत्तात्रेय होशबोले ,मनमोहन वैद्य, अरुण कुमार भी भोपाल इंदौर का प्रवास के दौरान जमीनी फीडबैक ले चुके.. पार्टी कार्यकर्ताओं का फीडबैक ही नहीं निजी सर्वे और एजेंसियों का फीडबैक अमित शाह के पास मौजूद ही होगा.. अमित शाह की पोजिशनिंग को 2018 विधानसभा चुनाव के बाद बदलती परिस्थितियों में भाजपा के लिए समस्या और उसका समाधान तलाशने की कोशिश के साथ पार्टी आगे बढ़ते हुए देखी जा सकती है.. अमित शाह के साथ प्रदेश के नवागत चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव और सह प्रभारी अश्विनी वैष्णव की मौजूदगी यह बताने के लिए काफी है .. चुनाव का एजेंडा हो या फिर राजनीति की बिसात जो 24 को ध्यान में रखते हुए 23 में बिछाई जा रही ..
मध्यप्रदेश में लीड कोई और नहीं संभवत अमित शाह स्वयं ही करेंगे.. संदेश सिर्फ अनुभवी शिव और युवा विष्णु तक सीमित नहीं होगा..साफ तौर पर संदेश पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से आगे जनता और विरोधी कांग्रेस को भी दिया जाएगा.. इसके साथ चुनाव जीतने के लिए जरूरी जमावट हो या दिग्गज नेताओं के एडजस्टमेंट का मान सम्मान के साथ चुनावी रास्ता भी भोपाल मध्य प्रदेश से लेकर दिल्ली तक आने वाले समय में खुल जाएगा..संयोग विधानसभा का मानसून सत्र का आगाज और इसी दिन रात को मैराथन बैठक कर बीजेपी प्रदेश कार्यालय में संगठन के नीति निर्धारकों, नेतृत्वकर्ता और रणनीतिकारों से अमित शाह रूबरू होंगे.. अमृत काल में मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने पर भाजपा जब जश्न मना चुकी तो लोकसभा सत्र से ठीक पहले मोदी मंत्रिमंडल के पुनर्गठन की सुगबुगाहट से इनकार नहीं किया जा सकता .. साथ में इस बीच मध्य प्रदेश की चुनावी बिसात का जरूर इंतजार.. भाजपा के त्रिदेव शिव, विष्णु, हितानंद की टीम फिर भी कसावट के साथ नेतृत्व की जिम्मेदारियों को लेकर किलियरटी और कार्यकर्ताओं में करंट की दरकार महसूस की जा रही है..
सवाल खड़ा होना लाजमी है अमित शाह के इस दौरे के साथ क्या मध्य प्रदेश भाजपा रोजमर्रा की राजनीति से आगे तमाम अटकलों और कंफ्यूजन दूर करने के लिए कोई रोड मैप क्या आगे पीछे सामने आएगा.. सवाल अपने व्यस्त दौरे के दौरान अमित शाह जिनके पास मध्य प्रदेश की हर जीती या हारी विधानसभा क्षेत्र का जमीनी फीडबैक वह भी अपडेट और चुनावी चुनौतियों के साथ मौजूद होगा.. स्पष्ट संदेश दिल्ली से नहीं भोपाल आकर पार्टी फोरम से दिया जा रहा.. इसकी वजह समझी जा सकती है.. ताजा और स्पष्ट संदेश प्रधानमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बल्कि केंद्रीय गृहमंत्री और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष भाजपा के चाणक्य अमित शाह द्वारा दिया जाएगा..फिर भी सवाल आखिर भोपाल आकर किसे.. कौन और क्या संदेश देना चाहेंगे.. विरोधियों से ज्यादा बड़ा संदेश पार्टी के कुनबे को मजबूत करने का हो सकता है.. शाह भाजपा प्रदेश नेतृत्व की चुनावी तैयारियों का आकलन कर कोर कमेटी की बैठक के साथ संगठन के पदाधिकारियों मोर्चा प्रकोष्ठ की प्रगति रिपोर्ट का आकलन भी कर सकते..अमित शाह के भोपाल दौरे की खबर आते ही राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव प्रदेश अध्यक्ष और संगठन महामंत्री की बैठकों का दौर शुरू हो गया..
जिसे अमित शाह की बैठकों की तैयारी से जोड़कर देखा जा रहा है.. लेकिन बैठक के एजेंडे को लेकर कन्फ्यूजन कहे या पार्टी की रणनीति अधिकृत दौरे पर सामने कुछ नहीं लाया गया.. पिछले दिनों प्रदेश भाजपा कोर कमेटी की बड़ी बैठक के बाद भी चुनावी तैयारियों को लेकर समितियों का गठन हो या नए सिरे से जिम्मेदारी आवंटित नहीं हो सकी.. कुछ मंत्रियों और विधायकों को जरूर छोटी-मोटी समितियों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.. भाजपा की चुनाव लड़ाने वाली अभियान समिति हो या प्रबंध और संचालन समिति के साथ कई दूसरी जरूरी समितियों के ऐलान का अभी भी कार्यकर्ताओं को इंतजार है.. मुख्यमंत्री शिवराज और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त तो इन महत्वपूर्ण चुनावी समितियों की कमान किसे कब सौंपी जाएगी.. कांग्रेस में चुनाव अभियान समिति का बड़ा चेहरा रह चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया हो या फिर पार्टी के दो बार प्रदेश अध्यक्ष और प्रबंध समिति की चुनावी कमान संभाल चुके फिर नरेंद्र तोमर ही नहीं राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय या पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती आखिर चुनाव में इनकी जिम्मेदारी के साथ क्या भूमिका होगी..
अलबत्ता इस बीच मध्य प्रदेश भाजपा को चुनाव प्रभारी केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव के तौर पर और से प्रभारी अश्विनी वैष्णव जरूर मिल पूर्व निर्धारित दौरे के तहत भूपेंद्र यादव इंदौर दौरा कर चुके तो प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा की दिल्ली और इंदौर में उनसे मुलाकात की तस्वीरें भी सामने आ चुकी …तो दूसरी ओर भाजपा के चार यार की मुख्यमंत्री निवास पर हुई बैठक के बाद कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल ,नरेंद्र तोमर ही नहीं ज्योतिरादित्य की भी आपसी मेल मुलाकात की खबरें माहौल बनाती रही.. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले मध्य प्रदेश दौरे के दौरान भ्रष्टाचार और परिवारवाद को बड़ा चुनावी मुद्दा बना चुके हैं..मोदी दिल्ली वापसी के दौरान ज्योतिरादित्य को अपने साथ हवाई जहाज में ले गए.. राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की अमित शाह के मध्य प्रदेश दौरे से ठीक पहले दिल्ली में मुलाकात की चर्चा में आ गई.. इस बीच प्रदेश भाजपा की सह प्रभारी पंकजा मुंडे महाराष्ट्र की धरती से पार्टी के प्रति अपनी नाराजगी जताते हुए 2 महीने छुट्टी पर जाने के संकेत दे चुकी..तो प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव का फोकस सोशल मीडिया पर बना हुआ है..2024 लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए देश को जिन तीन जोन में बीजेपी ने बांटा है.. भाजपा का मीडिया प्लान भी राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश मीडिया प्रभारी को भरोसे में लेकर बन चुका है.. राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया के साथ प्रेम शुक्ला और गुरु प्रकाश को मध्य प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी.. केंद्रीय नेतृत्व द्वारा फीडबैक लेने के बाद पार्टी के चुनावी चाणक्य अमित शाह सीधे मध्यप्रदेश पहुंच रहे हैं.. पिछला बालाघाट दौरा स्थगित होने के बाद शाह का यह दौरा 2024 से पहले 2023 विधानसभा चुनाव को लेकर महत्वपूर्ण हो गया है..
महत्वपूर्ण इसलिए क्योंकि 2018 विधानसभा चुनाव में सत्ता में रहते भाजपा सरकार नहीं बना पाई थी और 15 महीने बाद कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के तख्तापलट के बाद वह सत्ता में जरूर लौट चुकी है.. मध्यप्रदेश में भाजपा के लिए गलती सुधार के साथ सत्ता में बरकरार बने रहने की चुनौती है.. छत्तीसगढ़, राजस्थान की तुलना में मध्यप्रदेश में भाजपा के लिए कुछ औरअलग चुनौती से इनकार नहीं किया जा सकता.. चुनौती सिर्फ विरोधियों से नहीं पार्टी के अंदर और जनता के बीच से भी मिलने से इनकार नहीं किया जा सकता.. सरकार में रहते डबल इंजन यदि पार्टी को ताकत दे रहा तो एंटी इनकंबेंसी की आशंका से इनकार भी नहीं किया जा सकता.. शिवराज सरकार की हितग्राही को प्राथमिकता देने वाली कई योजनाओं पर संगठन की पैनी नजर जिससे वोट बैंक में इजाफा किया जा सके, किसी चुनौती से कम नहीं.. भाजपा पीढ़ी परिवर्तन के दौर से गुजर रही समय-समय पर पार्टी नेतृत्व विरासत की राजनीति से परहेज बरसते हुए नेता पुत्रों को फिलहाल चुनाव से दूर रहने का संदेश देते रहे, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तो नेता पुत्रों की टिकट की दावेदारी पर पानी फेर चुके हैं.. तो नई पीढ़ी को आगे बढ़ाने के लिए पुराने अनुभवी नेताओं को चुनाव ना लड़ने का इशारा भी पार्टी नेतृत्व देता रहा है.. मध्य प्रदेश में भाजपा कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की कमजोरियों के दम पर ही चुनाव जीतना आसान मानती रही है..
लेकिन इसी कांग्रेस के हौसले बुलंद है तो इसकी बड़ी वजह भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की सक्रियता के साथ बढ़ती लोकप्रियता के दम पर कांग्रेस के हौसले बुलंद से इनकार नहीं किया जा सकता है ..तो उसकी वजह है हिमाचल से बड़ी कर्नाटक की जीत.. मोदी शिवराज की डबल इंजन सरकार की उपलब्धियों के अलावा मध्यप्रदेश में विकास के साथ, भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा तो हिंदुत्व की पटरी पर चुनाव आता हुआ नजर आ रहा है.. चुनाव में सोशल इंजीनियरिंग की परख अमित शाह और शिवराज को ज्यादा है.. फिर भी सोशल मीडिया के इस दौर में सरकार में रहते भाजपा के लिए नई चुनौतियों से इनकार नहीं किया जा सकता.. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल दौरे के दौरान मध्य प्रदेश समेत देश के बूथ पर तैनात पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर लोकसभा चुनाव 2024 को ध्यान में रखते हुए लगभग एजेंडा सेट कर चुके हैं.. देखना दिलचस्प होगा प्रदेश भाजपा दफ्तर की मैराथन बैठक कर अमित शाह आखिर नेता कार्यकर्ता को सिर्फ मशवरा या नसीहत से आगे क्या कोई चेतावनी देकर उन्हें आगाह भी करेंगे.. इस दौरान सिर्फ एक तरफा संवाद और संदेश या फिर जोश भरने के लिए जरूरी कोई नया फार्मूला भी सुनने और देखने को मिलेगा.. छत्तीसगढ़ दौरे की तरह भाजपा के सभी गुटों और नेताओं के बीच तालमेल बनवाना उनकी प्राथमिकता रहेगी..या इसी के साथ चुनाव जीतने के लिए एकजुटता का पाठ से आगे राष्ट्रीय और नेतृत्व का विशेषाधिकार, अपेक्षा और सीधा हस्तक्षेप, दखलअंदाजी का भी संदेश दिया जाएगा.. लक्ष्य बड़ा 2024 प्रधानमंत्री की शपथ एक बार फिर नरेंद्र मोदी को दिलवाना और जीत की हैट्रिक बनाना ..
क्या इसलिए 23 में मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाने के महत्व को भी स्पष्ट तौर पर समझा दिया जाएगा..बड़ा सवाल चुनाव जीतने के लिए जरूरी जिताऊ उम्मीदवार के लिए कोई निश्चित क्राइटेरिया का क्या कोई इशारा किया जाएगा.. क्या बारिश शुरू होने के बावजूद मुख्यमंत्री शिवराज की जन आशीर्वाद यात्रा को हरी झंडी मिलेगी.. या फिर जनता के बीच जाने के लिए यात्रा का स्वरूप बदला जाएगा.. मध्यप्रदेश में मोदी और शिवराज की सयुक्त फोटो के साथ पहले ही प्रचार-प्रसार के बढ़ते कदम के साथ चुनावी ब्रांडिंग शुरू हो चुकी है.. देखना दिलचस्प का केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भोपाल दौरे के बाद मध्य प्रदेश से सत्ता और संगठन में नए सिरे से एडजस्टमेंट का चेहरा बनकर भोपाल से लेकर दिल्ली तक कौन-कौन नेता सामने आते हैं.. गुजरात का चर्चित फार्मूला सारे घर के बदल डालो.. या कर्नाटक की स्क्रिप्ट जीत के लिए जरूरी समन्वय के साथ समझौते से इंकार नहीं करेगी मध्यप्रदेश में भी भाजपा..