कर्नाटक में मिलकर चुनाव लड़ने का उदाहरण देकर कांग्रेस आलाकमान ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहे विवाद को भले फिलाहल समझा-बुझा कर सुलटा दिया हो पर कांग्रेसियों के बीच यह विवाद फिर उठने की संभावना जताई जा रही है। पार्टी जानती है कि कर्नाटक की तरह ही राजस्थान में भी फिर से जीत दोनों नेताओं के मिलकर चलने से ही संभव है। और तभी यह भी माना जा रहा है कि राजस्थान विधानसभा चुनाव इस बार सीएम चेहरे के बिना ही लड़ा जाएगा।
अब दोनों नेताओं के बीच की कलह को किस सुलह से निपटाया गया यह अलग बात है पर जिस अंदाज में सचिन पायलट ने अपने 60 विधायकों के नामों की लिस्ट विधानसभा टिकट के लिए कांग्रेस आलाकमान को सौंपी है उससे कांग्रेसियों के बीच यह खबर ज़रूर फैल रही है कि दिल्ली में राहुल गांधी के साथ हुई बैठक में सचिन पायलट का पलड़ा थोड़ा भारी ज़रूर रहा है। हालाँकि बैठक में राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खडगे सहित दूसरे नेता शामिल थे पर अशोक गहलोत इस बैठक में पैर में चोट का हवाला देकर वीडियो कांफ्रेंसिग के ज़रिए ही शामिल हुए लेकिन खबर चली कि ऐसा अशोक गहलोत के दो नावों में सवार की मंशा से ही हुआ होगा तभी कांग्रेसियों को दोनों नेताओं के बीच विवाद चुनाव में जीत के बाद उठता दिख रहा है।
कांग्रेसियों की मानो तो राजस्थान जीत के बाद दोनों नेताओं के बीच फिर ज़ोर अजमाइस होना तय है और तब फिर गहलोत अपनी राजनीतिक ताक़त दिखा सत्ता पर क़ाबिज़ होने की कोशिश करेंगे। पर सवाल यह भी रहेगा कि बैठक में जो इशारा गहलोत को दिल्ली आकर संगठन में काम करने का किया है उसकी अहमियत भी क्या रह पाएगी।
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