राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

राज्यों के चुनावों में प्रियंका से पार्टी को है आस

राहुल और प्रियंका

2024 में लोकसभा और इस साल के आख़िर में पाँच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में क्या प्रियंका गांधी पार्टी के प्रचार का चेहरा बनेंगी, क्या मोदी ब्रांड के सामने वे एक मज़बूत नेता बनकर उभर सकेंगी,ऐसे ही कई सवालों को लेकर कांग्रेस में मंथन चल रहा बताया जा रहा है। कांग्रेसी हलकों में कहा जा रहा है कि जिस तरह प्रियंका कर्नाटक चुनाव में अपने भाषणों को लेकर प्रखर रहीं उससे कांग्रेस की उम्मीदें बढ़ीं हैं और तभी यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी उनको कोई बड़ी ज़िम्मेदारी देने की तैयारी में। नो डाउट कि प्रियंका कर्नाटक चुनाव में बेख़ौफ़ और बेबाक़ बोलीं , कांग्रेस को फ़ीडबैक मिला और सत्तारूढ़ भाजपा पर कई मायनों में भारी पड़ती देखी गईं नतीजा सामने आ गया।

कर्नाटक चुनाव में भाषणों से नई पहचान बनाने के बाद उन्होंने तेलंगाना में भी भाषणों में गर्माहट बरकरार रखी ,अब बारी मध्यप्रदेश,राजस्थान,तेलंगाना, मिजोरम और छत्तीसगढ़ की है इन राज्यों में साल के आख़िर में विधानसभा चुनाव होने हैं। माना जा रहा है कि यहाँ भी पार्टी प्रियंका को ही ज़िम्मेवारी देगी। इन राज्यों में नतीजे कितने कांग्रेस के हक़ में होंगे यह बात बाद की है पर पार्टी जिस तरह प्रियंका में दम भर रही है उससे तो कांग्रेसियों को यह लग रहा है कि मोदी ब्रांड के सामने अब प्रियंका को ही ज़िम्मेदारी दे सकती है। चर्चा तो यह भी है कि इस तरह मेन स्ट्रीम में आ जाने के बाद वे यूपी से खुद को दूर कर लेंगी। पर लोकसभा चुनावों में वे अपने भाई राहुल गांधी के साथ -साथ रहेंगी।

या यूँ मानिए कि राहुल अपनी भारत जोड़ो यात्रा के ज़रिए चुनावी ज़मीन तैयार करेंगे तो प्रियंका भाषणों से गर्माहट कर मोदी ब्रांड का सामना करेंगीं। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद कर्नाटक चुनाव कांग्रेस की पहली परीक्षा थी जिसमें वह धड़ल्ले से पास हुई है।भला अब बाक़ी राज्यों के चुनावों में पार्टी क्या हासिल कर पाती है यह बात अलग रही पर कम से कम उसके हौसले तो ज़रूर बुलंद होते दिख रहे हैं ख़ासतौर से मध्यप्रदेश और राजस्थान में। पार्टी को इन दोनों ही राज्यों में उम्मीद दिख रही है। हालाँकि राजस्थान में गहलोत और सचिन पायलट विवाद को लेकर चिंतित बताई जा रही थी लेकिन कर्नाटक में मिलकर चलकर जीत का उदाहरण देकर दोनों नेताओं को समझा दिया गया ।

यह भी पढ़ें:

चार सौ सीट के जाल में उलझा विपक्ष

नकली शिव सेना कौन है

By ​अनिल चतुर्वेदी

जनसत्ता में रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव। नया इंडिया में राजधानी दिल्ली और राजनीति पर नियमित लेखन

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें