राजनीति में मामा के नाम से पहचान बना चुके एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पार्टी विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री का चेहरा बनाएगी या फिर चुनाव मोदी के चेहरे पर और कमान चौहान के हाथ होगी ? संगठन और चौहान के चहेतों के ज़ेहन में आजकल यह सवाल अटका हुआ है। या यूँ मानिए कि मध्यप्रदेश को लेकर भाजपा संगठन पशोपेश में है। एमपी की राजनीति में दखल रखने वाले दिल्ली के दो नेताओं की मानें तो पिछले दिनों संगठन ने दो बार इसी सवाल को लेकर सर्वे कराए पर दोनों में चौहान की लोकप्रियता कम हुई बताई गई।साथ ही एंटी इनकमबेंसी भी यादा दिखी। पर समस्या का समाधान नहीं दिख पा रहा है। तभी यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या चौहान को हटाया जाए, पर हाँ तो फिर दूसरा कौन ?
पेंच यहीं फँसा हुआ है। यही बजह है कि पार्टी चौहान पर अभी तक कोई फ़ैसला नहीं कर पा रही है। 2024 का लोकसभा चुनाव चूँकि भाजपा के लिए अब चुनौती है और किसी भी सूरत में पार्टी एमपी जीतना चाहती है। पर कांग्रेस से मिल रही चुनौती के चलते एमपी में भाजपा का चेहरा कौन हो यह चुनौती बन चुका है। अब भला नेता ही यूँ कहें कि पार्टी को यह संदेश देना चाहिए कि इस बार जीतने के बाद ही मुखिया तय किया जाएगा तो संभव होगा प्रोबलम का समाधान कुछ निकल सके। वरना दलदल हो ही चुकी है। अब संगठन चौहान को लेकर क्या फ़ैसला लेता है यह तो भाजपा की अगली बैठक में तय होने की संभावना जताई जा रही है जिस तरह एमपी को लेकर कांग्रेस आक्रामक है उससे तो भाजपाई भी चौहान को बदल देना बेहतर मानते हैं।
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