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उद्योग से चमकेंगे एमपी के जिले और गांव

CM Mohan YadavImage Source: ANI

भोपाल। ऐसा शगुन लगता है मध्यप्रदेश में बड़े शहरों से आगे निकल पहली बार उद्योग धंधों की धमक और चमक गांवों तक सुनाई और दिखाई भी देगी। सीएम डॉ मोहन यादव के इंग्लैण्ड-जर्मनी की उद्योग निवेश की यात्रा से वापसी के साथ राज्य के उद्योग जगत में हलचल तेज हो गई है और माहौल उत्साह का बना हुआ है। इसकी कामयाबी बनी रहेगी बशर्ते नौकरशाहों का रवैया मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के पॉजिटिव रुख से कदमताल करता दिखाई दे।अब तक उम्मीदों के ख़्वाब लोगों ने देखे थे मगर उन्हें नए सिरे हकीकत में जमीन पर उतरने का अवसर आया है। मिसाल के तौर पर इसी सप्ताह सात दिसंबर को नर्मदापुरम में रीजनल कॉन्क्लेव होने वाली है।

इससे पूरी नर्मदा बेल्ट को इंडस्ट्रीयल बूस्ट मिलेगा । यह रीजनल कॉन्क्लेव जबलपुर में हुई रीजनल कॉन्क्लेव को और मजबूती देगी। नर्मदा पट्टी के अत्यंत उपजाऊ महाकौशल रीजन में औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात करेगी इसका असर बुंदेलखंड के सागर-दमोह,पन्ना, छतरपुर, सुरखी, निवाड़ी विकास को नई दिशा देगा। विंध्य अंचल के केंद्र रीवा में भी उद्योग जगत की हलचल का लाभ शहडोल तक दिखाई देगा ।कुल मिलाकर अब उद्योग को लेकर सरकार का फोकस इंदौर से बदलकर पूरी स्टेट को कवर कर रहा है।

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दरअसल उद्योग को लेकर हो रहे रीजनल कॉन्क्लेव से एक पत्रकार कम एक नागरिक के नाते मैं भी इस नवाचार को लेकर उत्साहित हूं । मगर अभी तक के तजुर्बे के आधार पर कहा जा सकता है कि उद्योग विस्तार की कामयाबी नौकरशाही के हाथ में ही रहती है। राजनीतिक इच्छा शक्ति का उदाहरण तो यह है कि सीएम डॉ यादव ने जर्मनी में ही एक दवा निर्माता को जर्मनी से ही पौने सात एकड़ जमीन आवंटित कर दी । लेकिन ऐसा कितने निवेशकों के साथ हो सकेगा।

मध्यप्रदेश से अलग हुए छत्तीसगढ़ के रायपुर के विकास की रफ़्तार समूचे देश में सर्वाधिक थी। कारण था नौकरशाह से मुख्यमंत्री बने अजीत जोगी। असल में छत्तीसगढ़ में उद्योग लगाने वालों को विभिन्न अनुमतियों और लाइसेंस बनवाने से लेकर बिजली सड़क पानी आदि के लिए कहीं नही भटकना पड़ता था।निवेशक या उनके प्रतिनिधि को एक होटल में ठहराया जाता था और अधिकारी उन्हें विकसित इंडस्ट्रियल एरिया की सभी जरूरी अनुमतियां-लाइसेंस देने के साथ काम शुरू करने और उत्पादन प्रारंभ करने की तारीख तय विदा करते थे। इस मामले में गुजरात को भी एक मॉडल के रूप में देखा जाता है।

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प्रदेश में औद्योगिक विस्तार लेकर काफी सपने देखे और सुनाए जा रहे हैं।अगर उस पर अफ़सरशाही ने अमल होने दिया तो एक – दो बरस की अवधि में राज्य का कायाकल्प होता हुआ दिखाई भी देगा।लगभग ग्यारह महीनों की अवधि में ही सीएम डॉ मोहन यादव की सरकार अपने एक्शन से यह एहसास करा भी दिया है ।शहरों से लेकर जिले वि कस्बे तक उद्योगों की स्थापना के लिए देश विदेश से क़रीब सवा तीन लाख करोड़ रुपए तक के प्रस्ताव सरकार को मिले हैं। करीब अट्ठत्तर हजार करोड़ रू निवेश प्रस्ताव इंग्लैण्ड और जर्मनी की यात्रा से प्राप्त हुए है । इसके पहले ढाई लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश के प्रस्ताव प्रदेश सरकार को प्राप्त हो चुके हैं।

उद्योगों की स्थापना और सुशासन के मामले में आगे की सफलता अफसरों की मेहनत और बहुत हद तक उनकी “मेहरबानी” व वर्क कल्चर पर निर्भर है।हाल ही में इंग्लैंड और जर्मनी की यात्रा से लौटे सीएम यादव के कॉन्फ़िडेंस से यही लग रहा है। हालांकि उद्योग में निवेश को लेकर पूर्ववर्ती सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी कम कोशिशें नही की थी मगर मौके पर मौजूद नौकरशाही या मैदानी अफसरों की जड़ता ने अक्सर सब गुड़ गोबर कर दिया था । डॉ यादव की टीम में उद्योग विभाग की कमान पीएस राघवेंद्र सिंह के हाथ है और अभी तक नतीजे उम्मीद के मुताबिक आ रहे हैं। ऐसे में लगता है श्री सिंह के कद और प्रभाव में इजाफा ही होगा।

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