Healthy Life Tips: शीतल पेयों के जरिए हम ऐसे कीटनाशकों को निगल रहे हैं, जिनके लंबे समय तक सेवन करने से कैंसर, स्नायु और प्रजनन तंत्र को क्षति, जन्मजात शिशुओं में विकृति और इम्यून सिस्टम तक में खराबी आ सकती है। पेय पदार्थों में अपशिष्ट पदार्थों की मिलावट सिर्फ विदेशी कंपनियों के इन शीतल पेयों तक ही सीमित नहीं है। कुछ वर्ष पूर्व बोतल बंद मिनरल वाटर के दूषित होने को लेकर भी काफी बवाल मचा था।
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शर्बत और लस्सी के देश भारत के अधिकांश लोग पश्चिमी बयार में बहकर खुद को ‘मॉडर्न’ साबित करने के लिए ‘दूषित’ शीतल पेयों का जमकर उपयोग कर रहे हैं।(Healthy Life Tips)
वैज्ञानिकों का कहना है कि इन शीतल पेयों के जरिए हम ऐसे कीटनाशकों को निगल रहे हैं, जिनके लंबे समय तक सेवन करने से कैंसर, स्नायु और प्रजनन तंत्र को क्षति, जन्मजात शिशुओं में विकृति और इम्यून सिस्टम तक में खराबी आ सकती है।
कुछ समय पहले राष्ट्रीय कंपनियाँ जिन शीतल पेयों को आम भारतीयों के गले के नीचे उतार रही हैं, वह सेहत के लिए ठिक है या नहीं यह तो विस्तृत जांच पड़ताल के बाद ही पता चलेगा।
गैर-सरकारी संगठन सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरन्मेंट (सीएसई) के अनुसार यह विदेशी कंपनियां भारत के साथ भेदभाव बरत रही हैं।(Healthy Life Tips)
अमेरिका और अन्य दूसरों देशों में इनके उत्पादों की गुणवत्ता का बारीकी से ध्यान रखा जाता है, जबकि भारत में यह पैसे बचाने के लिए कीटनाशकों का घोल जनता को पिलाते हैं।
बोतल बंद पानी की शुद्धता
पर, पेय पदार्थों में अपशिष्ट पदार्थों की मिलावट सिर्फ विदेशी कंपनियों के इन शीतल पेयों तक ही सीमित नहीं है। कुछ वर्ष पूर्व बोतल बंद मिनरल वाटर के दूषित होने को लेकर भी काफी बवाल मचा था।
उस समय सीएसई ने देसी-विदेशी विख्यात कंपनियों के बोतल बंद पानी के दिल्ली में 17 और मुंबई में क्लोरोपाइरोफोस, मेलाथियान जैसे कीटनाशक पाए जाने की पुष्टि की थी।(Healthy Life Tips)
इसके बाद सरकार को होश आया और उसने भारतीय मानक ब्यूरो की सिफारिश के आधार पर बोतल बंद पानी की शुद्धता बरकरार रखने के लिए खाद्य अपमिश्रण कानून में कुछ फेरबदल कर इन्हें लागू करवा दिया।
हालांकि भारत के अधिकांश लोग नगर पालिका या नगर निगम द्वारा आपूर्ति किया जाने वाला जल अथवा नदियों के पानी को ही पीते हैं।(Healthy Life Tips)
भूगर्भीय जल भी अब स्वच्छ नहीं
नगर पालिकाएं या नगर निगम इस पानी को स्वच्छ करने के लिए क्या कदम उठाती है, यह किसी से छिपा नही है। बाहरी जल की तो छोड़िए, पृथ्वी पर बढ़ते प्रदूषण के कारण भूगर्भीय जल भी अब स्वच्छ नहीं रहा है।
कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोगों से अनाज, सब्जी और फल तक दूषित हो गए हैं। यदि इनकी बिना सफाई किए हुए यूं ही खा लिया जाए, तो यह सेहत बनाने के बजाए उसका बेड़ागर्क कर देंगे।(Healthy Life Tips)
ज्यादा पैदावार के चक्कर में किसान रासायनिक खादों का बेतरतीबी से इस्तेमाल कर रहे है। इसके दुष्परिणाम भी उनके सामने आने लगे हैं। भूमि बंजर हो रही है। उपज की गुणवत्ता में कमी आई है। जमीन से उपयोगी तत्व नष्ट हो रहे हैं, आदि-आदि।
कभी जहां इस देश में दूध-दही की नदियां बहा करती थीं, अब वहां हर चीज में मिलावट का आलम है। यहां तक कि दूध भी इससे अछूता नहीं रह गया है।(Healthy Life Tips)
थोड़े से लाभ के लिए लोग सेहत के लिए बेहद नुकसानदेह पदार्थों से नकली दूध तैयार कर लोगों को पिला रहे हैं।
दूध में दूध नाम की कोई चीज ही नहीं(Healthy Life Tips)
यूरिया, साबुन, और तेल जैसी खतरनाक चीजों को मिलाकर बनने वाले इस दूध में दूध नाम की कोई चीज ही नहीं होती।
लोग अज्ञानतावश मानव सभ्यता के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। इन्हें नहीं पता कि इस दूध को पीकर हमारे नौनिहाल, जो देश का भविष्य हैं, कितनी बीमारियों के चंगुल में फंस जाएंगे।(Healthy Life Tips)
डॉ वर्गीज कुरियन ने भी भारत में ‘ऑपरेशन फ्लड’ शुरू करते समय यह नहीं सोचा होगा कि आम लोगों को दूध मुहैया कराने के लिए वह जिन डेयरियों को खुलवाने की बात कह रहे हैं, उनमें बरती जाने वाली लापरवाही गाय और भैंसों के लिए तो जानलेवा साबित होंगी ही, साथ ही वहां से मिलने वाला दूध भी आम आदमी के लिए मुफीद नहीं रहेगा।
भारत में डेयरियों की हालत ज्यादा अच्छी नहीं है। ज्यादा दूध लेने के चक्कर में गायों को हर साल गर्भवती करवा दिया जाता है, क्योंकि बच्चा होने के बाद दस माह तक वह ज्यादा दूध देती हैं।(Healthy Life Tips)
हर रोज उन्हें ऑक्सीटोसिन के इंजेक्शन लगाए जाते हैं ताकि वे ज्यादा दूध दे सकें। परंतु यह इंजेक्शन उनके लिए कितने हानिकारक हैं, यह दूध दुहने वाले और डेयरी मालिक शायद नहीं जानते।
जानबूझकर गंभीर अपराध
अगर उन्हें पता है तो वह और भी गंभीर अपराध कर रहे हैं, क्योंकि जानबूझकर किसी को मौत के मुंह में धकेलना, भारतीय ही नहीं विदेशी कानून में भी अपराध की श्रेणी में आता है।
यह सभी तरीके इन बेजुबान जानवरों के लिए तो खतरनाक है ही, साथ ही इनका दूध पीने वालों के लिए भी कम नुकसानदेह नहीं हैं।(Healthy Life Tips)
इंडियन काउन्सिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) द्वारा सात साल के शोध के बाद निकाले नतीजों में पाया कि जिस गाय के दूध को सदियों से हम पूर्ण आहार मानकर पीते चले आ रहे हैं, वह भी क्लोहैक्सेन (एचसीएच), डेल्ड्रिन, एल्ड्रिन जैसे खतरनाक कीटनाशक भारी मात्रा में मौजूद हैं।
रिपोर्ट कहती है कि किसी व्यक्ति को डेयरी का दूध और उसके उत्पाद खाने-पीने को दिए जाएं तो उसे दिल का दौरा पड़ने की संभावना दो से छह गुना तक बढ़ जाती है।(Healthy Life Tips)
मां का दूध भी शुद्ध नहीं(Healthy Life Tips)
भारतीय खाद्य अपमिश्रण कानून एक किलो में केवल 0.01 मिलीग्राम एचसीएच की अनुमति देता है, जबकि आईसीएमआर की रिपोर्ट में यह 5.7 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम निकला।
इसके अलावा वैज्ञानिकों को दूध में आर्सेनिक, कैडमियम और सीसा जैसे खतरनाक अपशिष्ट भी मिले। यह इतने खतरनाक हैं कि इनसे किडनी, दिल और दिमाग तक क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
बात सिर्फ गाय और भैंस के दूध तक ही सीमित नहीं है। खेती के दौरान भारी मात्रा में कीटनाशकों के प्रयोग से बच्चे के लिए अमृत कहा जाने वाला मां का दूध भी शुद्ध नहीं रह गया है।
अमेरिका में हुए एक शोध में अमेरिकी औरत के दूध में कीटनाशकों के साथ-साथ सौ से भी ज्यादा औद्योगिक रसायन पाए गए।
इस शोध में तो यहां तक कहा गया कि यदि इस दूध को बोतल में बंद करके बाजार में बेचने की कोशिश की जाए तो, अमेरिकी सरकार इसकी इजाजत नहीं देगी।(Healthy Life Tips)
पर, अनेक नुकसानदेह रसायनों के बावजूद मां का दूध बच्चे के पोषण के लिए बहुत जरूरी है। यह नवजात शिशु को अनेक बीमारियों से लड़ने की ताकत प्रदान करता है।
भारत अभी पश्चिम की कदमताल कर रहा
विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि प्रतिवर्ष करीब दो लाख लोग कीटनाशकों को खाकर काल के गाल में समा जाते हैं। यह संख्या पिछले दस-12 सालों में लगभग सात गुनी हो गई है।
संगठन की रिपोर्ट के अनुसार हर साल करीब 30 लाख लोग इन जहरों की चपेट में आते हैं और खास बात है कि इनमें से ज्यादातर बच्चे होते हैं।
कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से पैदा हुई इन स्थितियों को देखते हुए अनेक देशों ने तो इनका प्रयोग लगभग बंद ही कर दिया है और वे प्राकृतिक खाद और कीटनाशकों का उपयोग करने लगे हैं।
पर, भारत अभी पश्चिम की कदमताल कर रहा है। जिस तकनीक को वे उपयोग कर उसके बुरे प्रभावों को देखकर त्याग चुके हैं, भारतीय उनका अंधानुकरण कर रहे हैं।(Healthy Life Tips)
वे हमारी पुरातन संस्कृति और सभ्यता के गुणों से परिचित होकर उनका अध्ययन कर गूढ़ रहस्य को समझकर अपने जीवन में उतारने की कोशिश में लगे हैं, वहीं भारतवासी अपनी समृद्ध संपदा को छोड़कर पश्चिमी चकाचैंध के पीछे दीवाने हुए जा रहे हैं।
तकनीक को अपनाना, चाहे वह अपने देश की हो या विदेश की, गलत नहीं है, पर उसके अच्छे और बुरे प्रभावों को जाने बिना उसका अंधानुकरण करना सही नहीं कहा जा सकता।