‘चक्रवर्ती सम्राट’ बनने की कवायद शुरू…?

‘चक्रवर्ती सम्राट’ बनने की कवायद शुरू…?

भोपाल। वैसे तो प्रधानमंत्री भाई नरेंद्र मोदी यदा-कदा अपने मन की बात आकाशवाणी के माध्यम से करते रहते हैं, किंतु अपने मन की असली बात ‘कह के नहीं’ बल्कि ‘करके’ दिखाना चाहते हैं और वह बात है भारत का ‘चक्रवर्ती सम्राट’ बनना, उन्होंने इस दिशा में गंभीर और सार्थक कदम भी उठाना शुरू कर दिया है, जिसके संकेत 4 राज्यों के विधानसभा चुनावों के प्रति उनकी गंभीरता है, इसी साल के अंत में अर्थात लोकसभा चुनाव के 4 महीने पहले इन विधानसभाओं के चुनाव होना है, जिनमें से राजस्थान तथा छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकारें हैं, यद्यपि इन चुनावों में अभी करीब एक सौ दिन का समय है, किंतु मोदी जी ने अभी से इन राज्यों की चुनावी बागडोर अपने प्रमुख सिपहसालारों को सौंप दी है, भाजपा के चुनावी रणनीतिकार केंद्रीय गृहमंत्री अमित भाई शाह ने जहां मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ की जिम्मेदारी वहन की है, वहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा मध्यप्रदेश के दामाद जगत प्रकाश नड्डा को राजस्थान की जिम्मेदारी सौंपी गई है और यह नेता अपने अपने उत्तरदायित्व वाले प्रदेशों में सक्रिय भी हो गए हैं, जिसका ताजा प्रमाण केंद्रीय गृह मंत्री अमित भाई शाह का लगातार मध्य प्रदेश का दौरा है, इसी तरह श्री नड्डा ने भी राजस्थान की यात्रा के साथ वहां की कांग्रेस सरकार के खिलाफ बयानबाजी शुरू कर दी है।

भारतीय जनता पार्टी तथा उसके सर्वोच्च नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी की विशेष नजर इन दिनों गैर भाजपा शासित राज्यों के साथ ही भाजपा शासित उन राज्यों पर भी है जहां लंबे समय से भाजपा की सरकार है, जिनमें मध्य प्रदेश प्रमुख है, इसका कारण यह है कि एक तो यहां शासन विरोधी (एंटी इनकंबेंसी) मतदाताओं में व्याप्त हो रही है और वह भाजपा के लंबे शासनकाल के दौरान सरकार के फैसलों व उनको लेकर व्याप्त विरोधी प्रचार की समीक्षा कर रहे हैं, साथ ही “ज्यादा समय तक आग पर रखी रोटी के जल जाने” की भावना से प्रभावित हैं, इनमें मध्य प्रदेश प्रमुख है जहां पिछले साढे 15 सालों से शिवराज जी की सरकार है, यही स्थिति छत्तीसगढ़ और राजस्थान की है इसलिए इन तीनों राज्यों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मोदी जी चाहते हैं कि अगले लोकसभा चुनावों से पहले देश के सभी राज्यों पर भाजपा का परचम लहराए, जिससे कि लोकसभा चुनाव में देश की सत्ता तीसरी बार हासिल कर अपना ‘चक्रवर्ती सम्राट’ बनने का सपना साकार किया जा सके।

भाजपा के लिए यह सपना साकार करना इसलिए भी सरल प्रतीत हो रहा है क्योंकि भाजपा का सशक्त मुकाबला करने के लिए सामने का मैदान लगभग खाली है, यद्यपि दिखाने और कहने को कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय स्तर पर है, किंतु उसकी शक्ति का खुद उसे ही फिलहाल पता नहीं है, वह इतनी चुनौतियों के बावजूद अभी भी क्षत-विक्षत है और उसके बूढ़े या अशक्त सैनिक कोई भी चुनौती स्वीकार करने की स्थिति में फिलहाल तो बिल्कुल नहीं है। ….और यह स्थिति भाजपा ने अपने पूरी तरह अनुकूल मानकर इस दिशा में सशक्त कदम उठाना शुरू कर दिए है और यदि भाजपा ने अपनी पूर्ण सजगता और होशियारी दिखाते हुए मौके का फायदा उठा लिया तो अगले 6 महीनों में ही मोदी जी का सपना साकार हो सकता है और वे ‘चक्रवर्ती सम्राट’ बन सकते हैं।

यद्यपि मोदी जी के इन इरादों को प्रति पक्षी दलों ने भांप लिया है और इसीलिए 2 दर्जन से अधिक प्रतिपक्षी दलों ने ‘इंडिया’ (INDIA) का गठन किया है, जो अपने उद्देश्य के प्रति सक्रिय दिखाई दे रही है, किंतु यह प्रतिपक्षी दल एकजुट होकर भी मोदी जी की राजनीति को कितना प्रभावित कर सकेंगे यही विशेष दिलचस्पी की बात होगी? देखिए…. आगे…. आगे… होता है क्या?

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