nayaindia madhya pradesh assembly election 2023 जीत की गारंटी ‘मोदी’ हार का ठीकरा किसके सिर...!
Columnist

जीत की गारंटी ‘मोदी’ हार का ठीकरा किसके सिर…!

Share

भोपाल। जंबूरी मैदान में आयोजित भाजपा महाकुंभ के सहभागी बने पार्टी कार्यकर्ताओं की नब्ज पर हाथ रख मोदी ने बखूबी मतदाता और नेतृत्व के बीच की अहम और निर्णायक कड़ी को खूब साधा .. लेकिन उन्होंने जाने अनजाने या चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सोची समझी रणनीति के तहत मंचासीन नेताओं के महत्व को नजरअंदाज कर पार्टी के अंदर और बाहर एक नई बहस जरूर छेड़ दी.. जीत की गारंटी नरेंद्र मोदी लेकिन कोई चूक हुई तो फिर हार का ठीकरा किसके सिर फोड़ा जाएगा.. क्योंकि भाजपा ने शिवराज के मुख्यमंत्री रहते इस बार सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने का ऐलान पहले ही कर दिया ही.. जो जन आशीर्वाद यात्रा का चेहरा बनकर माहौल बनाने और समझने मतदाताओं के बीच पहुंचे थे वो गिने-चुने वक्ताओं के बीच मोदी की मौजूदगी में सिर्फ फोटो फ्रेम का हिस्सा बनकर रह गए.. भाजपा की नीव के पत्थर माने जाने कुशाभाऊ ठाकरे प्यारेलाल खंडेलवाल का जिक्र कुछ पूर्व मुख्यमंत्री के साथ मोदी ने किया जरूर लेकिन सत्ता संगठन के नीति निर्धारकों के अलावा सीएम इन वेटिंग की दौड़ में शामिल नेताओं को भी इस मंच से कोई महत्व नहीं दिया गया..

मोदी के उद्बोधन से पहले प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री को जरूर अपनी बात रखने का मौका दिया गया.. सवाल क्या इसे भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व खासतौर से मोदी शाह की जोड़ी की रणनीति माना जाए .. जो 2024 के लिए मोदी के अनिवार्य स्वीकार्य नेतृत्व में निखार लाने के लिए एक अलग माहौल बना रहे..तो क्या 2023 में विधायक से लेकर मंत्री और सरकार और नेतृत्व कर्ता के खिलाफ एंटी इनकमेंसी अभी भी समस्या बनी हुई है.. जो एक चेहरे पर कई चेहरे लगाते हुए मोदी के भरोसे ही चुनाव जीतना चाहती है.. वह भी तब जब 15 महीने के मुख्यमंत्री कमलनाथ का चेहरा सामने ला चुकी कांग्रेस भाजपा में नेतृत्व पर सवाल खड़ा कर चुटकी ले रही है.. सिर्फ मोदी का चेहरा सामने रखकर समस्या और दूसरी चुनौतियां से क्या भाजपा को निजात मिल जायेगी .. या फिर क्षेत्रीय और स्थानीय फेक्टर पार्टी की परेशानी बढ़ा सकते..सवाल क्या कर्नाटक की लाइन पर ही बीजेपी हाई कमान सामूहिक नेतृत्व का हवाला देकर मध्य प्रदेश में चुनावी बिसात बिछा रहा है.. ऐसे में क्या गारंटी पीढ़ी परिवर्तन के दौर में अनुभवी और युवाओं की महत्वाकांक्षा की टकराहट के चलते मोदी की मेहनत और उनका मिजाज क्या मध्यप्रदेश की जनता को रास आएगा.. वह भी तब जब पार्टी में भगदड़ को उसके नीति निर्धारक कोई तवज्जो नहीं दे रहे.. डैमेज कंट्रोल को लेकर खड़े हो रहे सवालों के बीच बड़ा सवाल जीत का सेहरा यदि नरेंद्र मोदी के सिर पर बंधेगा और यदि कोई चूक हुई तो नया सवाल 24 के पहले हार का ठीकरा किसके सिर पर फोड़ा जाएगा.. जीत की गारंटी मोदी फिर भी शिवराज को लगातार कमजोर और अलग-थलग साबित कर विधायक के उम्मीदवार क्या चुनाव जीत पाएंगे.. या फिर भाजपा नेतृत्व ने जन आशीर्वाद यात्रा में दूसरे राज्यों के चेहरों को आशीर्वाद मांगने के लिए उतार कर पहले ही बड़ा संदेश दे दिया है.. पार्टी के लिए स्थानीय मुद्दे क्षेत्रीय जातीय समीकरण क्या कोई मायने नहीं रखते हैं..

पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्मदिन 25 सितंबर पर भाजपा का कार्यकर्ता महाकुंभ यह पहला नहीं था.. जो अभी तक चुनाव आचार संहिता लगने से ठीक पहले जन आशीर्वाद यात्रा के समापन का मंच और चुनाव के शंखनाद का साक्षी बनता रहा..2008 में शिवराज का नेतृत्व और आडवाणी,सुषमा,उमा की मौजूदगी हो या फिर 2013 का जंबूरी मैदान जब पार्टी की कमान राजनाथ के पास थी और चेहरा शिवराज खासतौर से मोदी आए थे..2018 में भाजपा का ताना-बाना मोदी और शाह के इर्दगिर्द बुन चुका था.. वोट ज्यादा फिर भी सरकार बचाने और बनाने के लिए सीटे कम पड़ गई थी.. इस बार इस मंच से ना तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जन आशीर्वाद यात्रा का कोई जिक्र करना मुनासिब समझा .. ना ही मुख्यमंत्री शिवराज और मंचासीन किसी और दूसरे नेता का नाम लिया गया.. गेम चेंजर बनकर चर्चा में आई लाडली बहना योजना जिसे शिवराज सरकार का मिशन 23 का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा.. इस उपलब्धि का भी कोई जिक्र नहीं और ना ही संसद से पास हुए महिला आरक्षण बिल पर पिछड़े वर्ग के कोटे की मांग कर रही उमा भारती के ट्वीट को नोटिस किया गया.. ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र तोमर को विशेष महत्व.. अलबत्ता मंच पर पहुंचने से पहले रथ पर मोदी के साथ शिवराज और विष्णु दत्त यानी मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष की जोड़ी जरूर अभिवादन करती हुई नजर आई.. मध्य प्रदेश की चुनावी जमावट में दिल्ली के हस्तक्षेप का एहसास करने वाले नेताओं की मंच से आश्चर्यजनक दूरी जरूर चर्चा में आई..

प्रदेश भाजपा के केंद्रीय और प्रदेश नेताओं की सोशल इंजीनियरिंग के साथ उनका दबदबा जरूर नजर आया.. पिछड़ा, आदिवासी, ब्राह्मण,ठाकुर, चेहरे मौजूद.. आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाली महिला के आरक्षण की खूब चर्चा लेकिन मंच पर संचालनकर्ता महिला पधाधिकारी को छोड़ दिया जाए तो कोई भी दूसरी महिला नेत्री नजर नहीं आई.. नजर आया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आत्मविश्वास..दूर दृष्टि. दृढ़ इरादे ..उनका अपना विकास के साथ राष्ट्रवाद और राष्ट्रव्यापी चुनावी एजेंडा पूरा करने का संकल्प..मोदी ने कांग्रेस के मुकाबले सीमित कार्यकाल में अपनी लाइन को बड़ी साबित कर भविष्य के मध्यप्रदेश और भारत निर्माण में भाजपा सरकार की आवश्यकता को जरूरी बताया..पिछले दो माह में मध्य प्रदेश के सातवें दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजधानी से कार्यकर्ता महाकुंभ के मंच से फस्ट टाइम वोटर, समर्पित पार्टी कार्यकर्ताओं से भावनात्मक पारवरिक रिश्तों की प्रगाढ़ता का वास्ता दे खासतौर से महिलाओं और युवाओं का आवाहन कर प्रदेश के साथ देश में भाजपा सरकार की जरूरत और उसके महत्व को रेखांकित किया.. बड़ी बेबाकी और साफगोई से आत्मविश्वास का लोहा मनवाते हुए मोदी ने अपनी गारंटी गिनाते हुए मोदी है तो मुमकिन है पर न सिर्फ़ मोहर लगाई बल्कि कांग्रेस की नीति नीयत पर सवाल खड़े करते हुए बदलते भारत की तस्वीर को एक ग्लोबल लीडर के साथ सामने रखा.. उन्होंने नारी शक्ति के लिए आरक्षण, उनके उत्थान , योगदान को गिना कर आधी आबादी यानी महिलाओं को सावधान किया कि वो विरोधियों की नारी एकता को विखंडित करने की साजिश पर सतर्क रह एक जुट बने रहे..बीजेपी और कांग्रेस सरकार की तुलना करते हुए मोदी ने बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस का ठेका अर्बन नक्सलियों के पास है.. ..

मोदी ने कांग्रेस और उसके नेताओं के साथ इंडिया गठबंधन को भी जम कर कोसा.. अपनी सरकार की उपलब्धियां और देश में आए बड़े परिवर्तन का ब्योरा सामने रखते हुए उन्होंने कार्यकर्ताओं को उनकी भूमिका और महत्व की याद दिलाते हुए कहीं ना कहीं लगे हाथ चुनाव का एजेंडा भी सेट कर दिया .. महिला आरक्षण के मुद्दे पर नारी शक्ति की एक जुटता का पाठ पढ़ाते हुए आरक्षण में ओबीसी कोटा की मांग को इशारों इशारों में फिलहाल नकार दिया.. मोदी ने कार्यकर्ता महाकुंभ के मंच से अपनी धमक का एहसास कराया..साख कसौटी पर फिर भी निश्चिंत..चिंता 2024 की लेकिन माथे पर सिकन नहीं..कौन क्या उनके बारे में सोचता इससे शायद कोई फर्क उन्हें नहीं पड़ता..कमल चुनाव चिन्ह..चेहरा कोई भी हो..जीत की गारंटी मोदी यही बदलती बीजेपी की तश्वीर देश के ह्रदय प्रदेश मध्यप्रदेश से एक बार फिर नजर आई..जब मोदी पार्टी कार्यकर्ताओं से संवाद कर रहे थे..वह बात और है कांग्रेस और उसके राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मोदी के इस उद्बोधन पर चुटकी ली और शिवराज सरकार की घेराबंदी कर सवाल खड़े किए.. तो उधर भाजपा के अंदर से दूरी बना कर चल रही मुख्यमंत्री उमा भारती ने भी अपने ट्वीट के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सम्मान दिया लेकिन महिला आरक्षण पर पिछड़ों की भागीदारी पर अपनी बात पर अड़े रहकर सियासी संदेश दिए.. देखना दिलचस्प होगा जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान जारी पोस्टर.. के जरिए सामूहिक नेतृत्व का संदेश देने वाली बीजेपी अब मध्य प्रदेश के मन में मोदी की लाइन बढ़ाते हुए चुनाव में विरोधी कांग्रेस पर खुद को कैसे भारी साबित करती है.. क्योंकि अभी भी चुनौती सिर्फ विपक्ष से नहीं बल्कि पार्टी के अंदर से मिलने से इनकार नहीं किया जा सकता.. क्योंकि विरासत की राजनीति में नेत्र पुत्रों को भी अपनी पारी का इंतजार है.. तो 2018 के नतीजे यह सोचने को मजबूर करते हैं कि छत्रपों और अनुभवी को नजरअंदाज करना भी पार्टी को चुनाव में महंगा पड़ सकता है..

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें

Naya India स्क्रॉल करें