भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 के लिए आज से आचार संहिता लागू हो गई और इसी के साथ ही प्रत्याशियों को लेकर जो उत्सुकता और बढ़ गई क्योंकि विधानसभा चुनाव में पूरे चुनाव में प्रत्याशी की स्थिति दूल्हे की तरह होती है जिसे हर कोई देखना समझना चाहता है जहां जांचें परखे आजमाएं हुए प्रत्याशी मैदान में होते हैं वहां उनके विरोध में कौन आ रहा है इसको लेकर भी चर्चा चलती है।
दरअसल प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर सोमवार को आचार संहिता लग गई है पिछले तीन चुनाव में इसी तारीख के आसपास आचार संहिता लगी है लेकिन इस बार कौन बनेगा मुख्यमंत्री का प्रश्न बहुत पहले से चर्चाओं में आ गया। होना तो यह चाहिए की चुनाव परिणाम के बाद इस प्रश्न पर बहस चल लेकिन बीच-बीच में राजनीतिक दल मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करके चुनाव लड़ते रहे हैं।
इस कारण इस प्रश्न का उठना भी लाजमी है परिस्थितियों जरूर पलट गई हैं। पहले कांग्रेस में द्वंद्व हुआ करता था कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा लेकिन कांग्रेस में इस बार यदि सरकार बनती है तो कमलनाथ का मुख्यमंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा है। वहीं भाजपा में आधा दर्जन से ज्यादा मुख्यमंत्री पद के दावेदार सामने आ गए हालांकि अभी इन सबको विधानसभा का चुनाव जीतने की सबसे बड़ी बाधा दौड़ पूरी करना है। जिसमें अधिकांश दिग्गज नेता अपने-अपने चुनाव क्षेत्र में चुनौती पूर्ण मुकाबले में रहेंगे और अभी बीजेपी कितने दिग्गजों को मैदान में उतारती है इसको लेकर भी कयास बाजी चलती रहती है।
बहरहाल, प्रदेश में सभी 230 विधानसभा सीटों पर प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस के सभी प्रत्याशियों को लेकर कार्यकर्ताओं के साथ-साथ आम जनता भी बेसब्र हो रही है। एक – दूसरे से पहला प्रश्न यही होता है कि आखिर अपनी सीट से किसे टिकट मिल रहा है। भाजपा ने जो 79 प्रत्याशी घोषित कर दिए थे और सोमवार को 57 प्रत्याशी घोषि कर दिए कुल 136 प्रत्याशियों की घोषणा पार्टी ने कर दी है। 94 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा भी जल्द ही हो जाएगी। भाजपा ने चौथी सूची में सभी दिग्गजों को टिकिट देकर फिर चौकाया।
उनमें जरूर कुछ सीटों पर प्रत्याशी को लेकर विरोध और मान मनौव्वल का दौर चल रहा है। भाजपा ने जिस तरह से पहली सूची जल्दी जारी करके और दूसरी, तीसरी और चौथी सूची में 57 नामों में दिग्गजों के नाम जोड़कर प्रत्याशियों को लेकर कुतूहल बढ़ा दिया है लेकिन इससे विपक्षी दल कांग्रेस सतर्क और सावधान हो गया है और अधिकांश प्रत्याशियों के नाम तय कर लेने के बावजूद भी सूची जारी नहीं कर रहा है। माना जा रहा है कि भाजपा के जब सभी प्रत्याशी सामने आ जाएंगे तब कांग्रेस अपनी रणनीति के अनुसार टिकट घोषित करेगी और पितृपक्ष के बाद ही नवरात्रि शुरुआत में सूची आने की संभावनाएं जताई जा रही है।
कुल मिलाकर भाजपा और कांग्रेस के टिकट के दावेदार अब हार थक कर अपने-अपने क्षेत्र में केंद्रित हो गए हैं क्योंकि भोपाल और दिल्ली में बैठे नेता उन्हें क्षेत्र में जाने का कहते हैं और स्पष्ट तौर पर बता दिया गया है कि किसी की सिफारिश से टिकट नहीं मिलेगा सर्वे के आधार पर जीत की अधिकतम संभावना वाले को पार्टी टिकट देगी हालांकि इन दावेदारों को क्षेत्र में कार्यकर्ता और जनता के तंज भी सुनना पड़ रहे हैं। जब वे कहते हैं कि पहले टिकट लाओ यहां मत रुको या तो भोपाल जाओ या दिल्ली जाओ लेकिन दावेदार समझता है कि पार्टी हाईकमान की बात मानने में ही भलाई है इस कारण वह है अपने क्षेत्र पहुंच गया है जाहिर है दिन प्रतिदिन प्रत्याशियों की प्रत्याशा बढ़ रही है कि आखिर कब हमारे अधिकृत प्रत्याशी का नाम सामने आएगा।