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गढ़ बचाने और हथियाने की चुनौती

भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 के लिए दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस किसी भी प्रकार की कसर नहीं छोड़ रहे हैं इस बार नई रणनीति के तहत अपने गढ बचाने और विरोधी दल के गढ़ को हथियाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं इस कारण प्रत्याशी चैन में भारी उलटफेर किया जाएगा।

दरअसल विधानसभा चुनाव 2018 के चुनाव परिणाम से सबक लेकर दोनों ही दल पिछले दो वर्षों से चुनावी तैयारी कर रहे हैं एक तरफ जहां बूथ मजबूती पर ध्यान दिया गया वहीं दूसरी ओर प्रत्याशी चयन के लिए भी लगातार सर्वे चलते रहे और अभी भी सर्वे चल रहे हैं यहां तक की भाजपा जहां प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं उसके बाद की परिस्थितियों का भी जायजा ले रही है और कांग्रेस को पर्याप्त मौका मिल गया है कि वह भाजपा की प्रत्याशियों को देखकर अपने प्रत्याशी तय करें भाजपा के अब तक 79 प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं और 30 सितंबर तक एक सूची और आने की संभावना है जबकि कांग्रेस 5 अक्टूबर के बाद प्रत्याशी घोषित करेगी क्योंकि 5 अक्टूबर तक पार्टी की जन आक्रोश यात्राएं निकाल रही है।

बहरहाल भाजपा ने प्रत्याशी घोषित करने में अपना सब कुछ दांव पर लगा देने जैसा निर्णय लिया है तीन केंद्रीय मंत्री सहित साऊ सांसदों को मैदान में उतार दिया है इन प्रत्याशियों पर अपनी सीट जीतने के साथ-साथ आसपास की सीट जीतने का भी दबाव रहेगा इनमें अधिकांश वे सीटें हैं जिन पर भाजपा का कब्जा है सीधी और नरसिंहपुर सीधी सीट पर भाजपा काबिज थी बाकी सीटें कांग्रेस के पास थी यही नहीं भाजपा छिंदवाड़ा लहार और राघोगढ़ को भी घेर रही है और कैसे भी कांग्रेस के गढ़ को छीनने की कोशिश कर रही है वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल कांग्रेस ने भी बहुत पहले से भाजपा की वे 66 सिम चिन्हित कर ली थी जिन्हें भाजपा लगातार तीन बार से ज्यादा समय से जीत रही है इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इन सीटों का बाकायदा द्वारा किया और अपनी रिपोर्ट पार्टी हाई कमान को सौपी। इन सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी चयन में भी अतिरिक्त सावधानी और सतर्कता बरत रही है स्थानीय स्तर पर मुद्दे तय किया जा रहे हैं और जातीय समीकरणों को साधा जा रहा है।

कुल मिलाकर भाजपा और कांग्रेस इस बार के विधानसभा चुनाव में नई रणनीति के तहत विरोधी दल के गढ़ को हथियाने और अपने गढ को बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे दोनों ही दलों के सामने बहुमत लाने की चुनौती है ऐसे में इसने फार्मूले के तहत करत हो रही है 10 अक्टूबर तक अधिकांश सीटों पर प्रत्याशियों की तस्वीर स्पष्ट हो जाएगी तब पता चलेगा की किस दल ने प्रत्याशी चयन में कितनी बढ़त बनाई है।

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