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राजनीति के लिए ‘एक’: सत्ता के लिए ‘अलग’..!

Maharshtra New CMImage Source: ANI

भोपाल। महाराष्ट्र में इन दिनों केबीएम (कौन बनेगा मुख्यमंत्री) का खेल चल रहा है और जिस तरह मनोरंजन क्षेत्र में ‘केबीसी’ का संचालन चित्रपट के महानायक अमिताभ बच्चन कर रहे है, वैसे ही राजनीति के इस केबीएम के मुख्य संचालन कभी उनके हमनाम ‘अमित शाह’ ही है, ये दोनों ही खेल इन दिनों महाराष्ट्र में मनोरंजन के मुख्य केन्द्र बने हुए है, राजनीति के नाम पर एक जुट रहने वाले महाराष्ट्र के तीन वरिष्ठ नेता देवेन्द्र फडनवीस, अजीत पवार और एकनाथ शिन्दे अब केबीएम के खेल में अपनी ढपली-अपना राग संचालित कर रहे है।

पिछले दिनों सम्पन्न राज्य विधानसभा चुनावों के बाद देवेन्द्र अजीत और एकनाथ की महायुती को बहुमत प्राप्त हुआ था और इन्होंनेेे उद्धव ठाकरे गुट पर भारी जीत दर्ज कराई थी, इस जीत के बाद अब महाराष्ट्र में केबीसी (कौन बनेगा करोड़पति) की तर्ज पर केबीएम (कौन बनेगा मुख्यमंत्री) का दिलचस्प खेल शुरू हो गया है और राजनीति में एकजुटता का प्रदर्शन करने वाले ये नेता सत्ता के नाम पर स्पष्ट रूप से अलग-अलग नजर आ रहे है।

राजनीति के इस खेल को यदि आंकडों के हिसाब से देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी के देवेन्द्र फडनवीस को राज्य विधानसभा की आधी से भी अधिक सीटें प्राप्त हुई है, दूसरे क्रम पर अजीत पंवार एनसीपी रही है, किंतु राजनीति में उद्धव ठाकरे के विरोधी एकजुट रहे ये नेता सत्ता में स्पष्ट रूप से अलग नजर आ रहे है, और सभी की भागदौड केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के द्वार तक शुरू हो गई है, इसी कारण चुनावों के इतने दिन बाद भी सत्ता प्रमुख का नाम तय नही हो पा रहा है, यद्यपि देवेन्द्र इस मामले में मौन है, किंतु एकनाथ शिन्दे अपने पन्द्रह महीनें के राजकाज की प्रशंसा के ढोल-नगाड़े बजाते नजर आ रहे है।

हमारे देश मे उत्तरप्रदेश के बाद महाराष्ट्र ही राजनीति का प्रमुख केन्द्र रहा है, यहां होने वाले राजनीतिक उलटफैर का असर पूरे देश की राजनीति पर देखा जाता रहा है, इसलिए महाराष्ट्र की राजनीतिक घटनाओं पर इन दिनों भी पूरे देश की नजर है और इस राजनीतिक नाटक को भी केबीसी जैसी दिलचस्पी से ही देखा जा रहा है।

कुल मिलाकर यदि यह कहा जाए कि महाराष्ट्र में अब सत्ता की लड़ाई पक्ष-विपक्ष के बीच नही बल्कि पक्ष के बीच ही है तो कतई गलत नही होगा और इसी वजह सेे चुनाव परिणामों के इतने दिनों बाद भी सरकार की मूरत सामने नहीं आ पा रही है और अब राजनेताओं की पूरी नजर केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के भावी फैसले पर ही टिकी है, वैसे शपथ की तैयारी में हर नेता नजर आ रहा है।

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