राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

अविश्वास प्रस्ताव को सत्ता की राजनीति बनाने की कोशिश…!

भोपाल। भोपाल गैस त्रासदी के दौरान स्थानीय पत्रकारों को अनेक अखबारों द्वारा सोर्स परसन के रूप में काफी बड़ा भुगतान किया गया था। तब अनेकों लोगों द्वारा हम पत्रकारों को मौत का सौदागर और लाशों का गिद्ध निरूपित किया गया था। आज मणिपुर कांड में जिसमें प्रदेश सरकार की सरपरस्ती में मैतेई जनों द्वारा कुकी अल्पसंख्यक महिलाओं की सरेआम नंगी परेड और बलात्कार की घटनाएं सामने आ रही है तब लग रहा है कि लाशों पर गिद्ध कौन है और मौत का सौदगार कौन है !

दो माह से अधिक समय से मणिपुर में जिस प्रकार वहां की सरकार ने मैतेई भेद द्वारा कुकी लोगों के गांव जलाए। लोगों की हत्या की और पुलिस तथा सेना मूकदर्शक बनी रही, उसके बाद भी केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को बर्खास्त नहीं करना यह साबित करता है कि मोदी सरकार को संविधान और रूल आफ ला की कोई परवाह नहीं। वे लोकसभा में विपक्षी दलों द्वारा पेश अविश्वास प्रस्तावकों भी एक अवसर के रूप में देख रहे हैं। देश के इतिहास में विगत समय में ऐसी त्रासदी के बावजूद मणिपुर की विरेन सिंह सरकार को बचाव में लगे हुए हैं। आखिर क्यूं ? इसका जवाब शायद विगत दस वर्षो से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा पूर्वोतर के राज्यों में शिक्षा और सांस्क्रतिक पहचान के लिए अपने आनुसंगिक संगठनों द्वारा हिन्दू पहचान को जाग्रत करना है। संघ के एक नेता नाम नहीं लिए जाने पर बयान दिया है कि मैतेई और कुकी लोगों की धार्मिक आस्था का इस संघर्ष से कोई लेना देना नहीं है। क्या बात कही, अगर उनकी बात में तनिक सत्य है तब 12 से अधिक चर्च क्यूं जलाए गए? क्यूं कुकी महिलाओं को नंगा करके सार्वजनिक रूप से परेड कराई गयी ? क्यूं उनकी हत्याएं की गयी! कारगिल युद्ध में असम राइफल्स के सूबेदार की यह व्यथा कि मैंने देश की लाज सीमा पर बचाई पर अपनी पत्नी की लाज नहीं बचा सका।

मोदी सरकार के मंत्री और सांसद राजस्थान में बलात्कार की एक घटना और बंगला में महिलाओं द्वारा आपसी झगड़े में एक महिला को निर्वस्त्र करने की घटना को मणिपुर के नर संहार के मुक़ाबले लाते हैं। अपराध होते हैं पर उन पर कार्रवाई ना हो तब सरकार दोषी होती है। पर जहां मणिपुर के बीजेपी विधायक ही अपनी सरकार पर समूहिक रूप से आरोप लगाए क्या उसकी तुलना राजस्थान और बंगाल की घटनाओं से की जाएगी? बंगाल के पंचायत चुनावों में वहां के राज्यपाल ने केन्द्रीय बलों की नियुक्ति करवाई और दौरे किए फिर भी वे बीजेपी को विजयी नहीं करवा सके।

दूसरी ओर सैकड़ों लोगों की भीड़ ने जिस प्रकार एक जन जाति विशेष के गांव और घरों को जलाया और लूटा तथा चर्च को जलाया इस नर संहार जिसमें 140 से अधिका लोगों की मौत हुई और 5 हज़ार से ज्यादा लोगों को आज घर बार छोड़कर कैंप में रहने को मजबूर है – क्या इसकी तुलना राजस्थान और बंगाल से की जा सकती है? परंतु लोकसभा में भी अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्षी दलों के वक्ताओं के भाषण के दौरान सत्ता पक्ष द्वारा हो हल्ला और रोक –टॉक किए जाने की पूरी संभावना है। हो सकता है कि विपक्षी वक्ताओं के बोलने के समय माइक को ही बंद कर दिया जाए ! आखिर अध्यक्ष तो सत्ता दल का ही है।

मोदी सरकार जिस प्रकार संविधान की अवहेलना पर उतारू है वह उनके इंडिया शब्द के विरोध के वक्तव्य से पता चलता है। आठ साल बाद मोदी को अचानक एनडीए की सरकार कहना पड़ रहा है उन्हें यह अनुमान नहीं था कि विपक्ष इस तरह एकजुट हो जाएगा और चुनावों में चुनौती देगा। अब बात करे कि केन्द्रीय बल कितने है जो मणिपुर में तैनात है। एक रिपोर्ट के अनुसार सीआरपीएफ की 3 कंपनी, आरएएफ की 10 कंपनी और प्लाटून इसके अलावा सेना और आसाम राइफल्स की 170 टुकडि़यां तैनात है। एक टुकड़ी में 40 से 50 जवान होते हैं। अब इतने शस्त्र बल के बावजूद भी नर संहार नहीं रोका गया तब तो प्रदेश सरकार ही जिम्मेदार है।

मोदी जी को विदेशों में भारत या इंडिया की हैसियत की बहुत चिंता रहती है, पर उन्हें योरोपियन यूनियन की संसद में मणिपुर को लेकर जो चिंता जताई गयी वह उन्हें ना तो दिखाई पड़ती है ना ही सुनाई पड़ती है। इसी प्रकार ब्रिटेन के हाउस ऑफ कामन्स में सांसदों द्वारा चर्चों को जलाए जाने की घटनाओं को बहुत गंभीरता से लिया है। सांसदों ने प्रोटेस्टेंट धरम गुरु लार्ड कैंटबरी को चर्च जलाए जाने की घटनाओं का संज्ञान लेकर सरकार के स्तर पर कारवाई करने को कहा है। सभी विदेशी टीवी चैनलों में इस नर संहार को धार्मिक विद्वेष के कारण बताया जा रहा है।

उधर मिजोरम में आइज़ोल में वहां के मुख्य मंत्री के नेत्रत्व में कुकी जन जाति के समर्थन में एक बहुत विशाल रैली निकली गयी। मणिपुर के मुख्यमंत्री विरेन सिंह ने मिजोरम के मुख्यमंत्री की इस कार्रवाई के लिए बहुत भर्तस्ना की है। परंतु अब नागालैंड -मिजोरम में ईसाई बहुल जनता ने अपने राज्यों में रह रहे मैतेई लोगों को सावधानी बरतने को कहा है। परंतु मेतेई लोग डर कर भाग रहे हैं। अब उनको डर सता रहा है कि कहीं कुकी –मिज़ो – नागा लोग उन्हीं को निशाना न बनाए? अब देखना होगा कि मिजोरम और नागालैंड की सरकारों के साथ केंद्र क्या करती है, वैसे बीजेपी इन सरकारों में शामिल है – जैसे विरेन सिंह की सरकार में।

Tags :

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें