पहले सांसद संजय सिंह ने ज़मानत पर जेल से बाहर आते ही भाजपा, प्रवर्तन निदेशालय(ईडी)और केन्द्रीय जाँच ब्यूरो( सीबीआई) को कोसा और खरी खोटी सुनाई और अब मनीष सिसोदिया ने भी खूब खरी खरी सुनाई इन तीनों को। अब रहीबची कसर केजरीवाल के ज़मानत पर छूटने के बाद ऐसी ही उम्मीद जताई जा रही आप पार्टी के बीच। अब अगर कोई यहकहे कि मनीष को ज़मानत देने पर सुप्रीम कोर्ट ने भी जाँच एजेंसियों को आड़े हाथों लिया और जाँच प्रक्रिया पर सवालउठाए हैं उससे भी नेताओं को अपनी भड़ास निकालने का मौक़ा मिला तो इसमें ग़लत क्या? केजरीवाल की पार्टी के कईनेताओं को तो मनीष की ज़मानत के बाद केजरीवाल को भी ज़मानत मिल जाने का भरोसा हो चला है। यूँ लोकसभा चुनावके दौरान भी केजरीवाल ने चंद दिनों की ज़मानत मिलने के दौरान भाजपा और ख़ासकर नरेंद्र मोदी को खूब सुनाई ही थी।भाजपा की सीटें कम होने की बजह क्या रही यह दूसरी बात है पर आप पार्टी के नेता व कार्यकर्ता तो मान बैठे हैं कि उनकेनेता ने भाजपा के ख़िलाफ़ चिल्ला चिल्ला कर जो माहौल भाजपा और मोदी के ख़िलाफ़ तैयार किया उसकी परिणीतिसीटें कम होने पर हुई। अब साल के आख़िर में और फिर अगले साल साल विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनावी माहौलबनना शुरू हो रहा है इससे पहले मनीष को ज़मानत मिल गई। माहौल में गर्माहट आना स्वाभाविक है। कांग्रेस और आपपार्टी विधानसभा चुनाव अलग अलग लड़ रहे हैं ज़ाहिर है कि ज़हर दोनों ही भाजपा के ख़िलाफ़ ही उगलेंगे। तो नुक़सान भीभाजपा को होना तय समझिए। यह अलग बात है कि भाजपा के सातों सांसद पिछले दिनों भाजपा आलाकमान को दिल्लीको लेकर भरोसा देकर आए हैं। पर मरता क्या न करता बाली बात होतों बेचारे सांसद करते भी क्या। लोकसभा चुनावों मेंदिल्ली में सातों सीटें जीतने पर ये सांसद औपचारिक तौर आलाकमान से मिलने पहुँचे थे तो लगे हाथ भाजपा के वरिष्ठनेता भी नहीं चूके । सांसदों से कहा गया कि हमने आपको जिता दिया है अब आप लोग हमें जिताओ। सो सांसद कर भीक्या सकते थे सो दिल्ली जिताने का भरोसा दे आए बेचारे अपने आकाओं को ।अब होता है क्या आगे आगे देखिए।
मजबूरी की मेहरबानी
हरियाणा में चुनाव की चिंता ने आख़िर भाजपा और उसकी सरकार को पहलवान विनेश फोगट के साथ खड़े रहने कोमजबूर कर दिया वरना तो विनेश और उसके साथियों के साथ क्या नहीं हुआ दिल्ली और देश अभी तक भूला नहीं है।पैरिस ओलंपिक में विनेश फोगट को सौ ग्राम बजन ज़्यादा होने के चलते मेडल के अयोग्य करार देने की जैसे ही खबरफैली सरकार के कान खड़े हो गए।या यूँ कहिए कि हरियाणा में विधानसभा चुनावों के ऐन मौक़े पर भाजपा और उसकीहरियाणा सरकार की चिंताएँ बढ़ गई। विनेश फोगट और उसके साथियों के साथ दिल्ली के जंतर मंतर पर हुई पुरानीकहानी दोहरती और भाजपा बैकफ़ुट पर आती इससे पहले ही भाजपा ने भाँप लिया और विनेश के मामले को लेकर कुछभी बयानबाज़ी करने से बचने की हिदायत पार्टी नेताओं को दे दी गई। और तो और हरियाणा सरकार को भी विनेश केसाथ खड़े रहने को कहा गया। भला चुनाव क्या नहीं करा देता है सरकार वही सब कुछ विनेश के लिए करने को तैयार होगई। सूबे के मुख्यमंत्री नायब सैनी को दिल्ली से संदेश मिला तो वे सतर्क हो गए। और तुरंत बयान दिया कि विनेशचैंपियन है और उसे सिल्वर मैडलिस्ट को मिलने वाली सभी सुविधाएँ मुहैया कराई जाएँगी। सरकार उनका मान-सम्मानएक मैडलिस्ट की तरह ही करेगी। हमें उन पर नाज है। भला हो अपने राज्यसभा सभापति का कि वे उठ कर तल दिए वरनातो विपक्ष विनेश के मुद्दे को उठा सरकार की छीछालेदर करने पर उतारू बताई जा रही थी। यूँ भी विपक्ष पहले ही विनेशफोगट को ज़्यादा मदद नहीं करने का आरोप पहले ही लगा चुका था। अब हरियाणा की सरकार हरियाणा की बेटी केसाथ कितनी खड़ी रहती है यह तो देखना बाक़ी है ही पर बजरंग पूनियाँ,साक्षी मलिक,सरीखे विनेश के साथी तो पहले कीतरह आज भी साथ हैं। अब साल के आख़िर में होने वाले चुनावों में भाजपा क्या कर पाती है यह अलग बात है पर विपक्षविनेश के मामले को लेकर हरियाणा की सरकार को घेरने को तैयार ।
एक कोशिश ये भी
दिल्ली में भले जानलेवा घटनाएँ और दुर्घटनाएँ बढ़ रही हों पर नेता जो हैं कि राजनीति करने से बाज ही नहीं आते। भले वेभाजपा से हो या आप पार्टी से बस एक दूसरे से इस्तीफ़ा माँग खुद को नेता समझ बैठ रहे हैं।दिल्ली भाजपा के नेता जेलमें बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से हर दूसरे दिन इस्तीफ़ा माँग खुश हो लेते हैं तो आप पार्टी के नेता खुद को दिल्लीसरकार कह लेने वाले उपराज्यपाल का इस्तीफ़ा माँग राजनीति की औपचारिकता पूरी कर ले रहे हैं। लोग परेशान हैं किकिस पर भरोसा किया जाए और किस पर नहीं ,एक ही थैली के चट्टे-बट्टे नज़र आ रहे ये नेता लोगों को। और तभी कुछभाजपा नेता व पूर्व पार्षद दिल्ली नगर निगम में चेयरमेंन रहे जगदीश ममगांई को नेता मान उनकी अगुवाई में दिल्ली कोबचाने और साफ़ सुथरी दिल्ली बनाने की मुहिम में शामिल हो दिल्ली की सड़कों पर उतरे हैं। अब यह अलग बात रही किनक्कारखाने में इन नेताओं की कोशिशों को कौन सुनता है लेकिन इसी बहाने अगर पार्टी में अलग थलग पड़े भाजपानेताओं को थोड़ा बहुत पूछा जाने लगे तो किसी को बुरा भी क्यों लगना चाहिए। भला दिल्ली को पेरिस बनाते बनातेमुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तो जेल चले गए पर भाजपा के इन पूर्व नेताओं की मुहिम क्या करती है दिल्ली की इस परभी नज़र तो पड़ेगी ही न!
सत्ता की चुनौती तो परिवारवाद का ठप्पा भी !
एक तरफ़ सत्ता में लौटने की चुनौती तो दूसरी तरफ़ परिवारवाद का ठप्पा लगने की चिंता ने भाजपा की टेंशन बढ़ा रखी है।हरियाणा में इसी साल के आख़िर में हरियाणा विधानसभा के चुनाव होने हैं। सूबे के वरिष्ठ नेता अपने बच्चों या फिररिश्तेदारों के बच्चों को नेता बनाने की मंशा पाले हुए हैं। हरियाणा में ज़िद्द के आगे डर है। अपनों की ही सही ज़िद्द मानतीऔर विधानसभा चुनाव की टिकट थमा देती है तो परिवारवाद का ठप्पा और नहीं तो अपने हुए पराए वाली बात। इसीऊहापोह में फँसी है भाजपा। ऐसे में चुनावों को लेकर वरिष्ठ भाजपा नेताओं की टेंशन बढ़ी हुई है। पर अगर लोग यह कहेंकि इसी परिवारवाद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले 10 साल से विपक्ष को आगे हाथों ले रहे हैं तो झूठ भी कैसा।पर दूसरे दलों के नेताओं की बातें तो भूल जाओ भाजपा नेता ही यह कहने से पीछे नहीं हैं कि अगर कांग्रेस,सपा या राजदअगर परिवारवाद के उदाहरण हैं तो भाजपा ने भी तो कई कई सूबों में हु लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बड़े नेताओंके बच्चों के बच्चों को चुनावी मैदान में उतार चुकी है तो फिर हरियाणा चुनाव में नेताओं के बच्चों को टिकट देने पर पार्टीके ऊपर कौनसा पहाड़ टूट गिरेगा? अब भला कोई अगर यह पूछे कि अपनों के लिए कौन चिंतित हैं तो सीधी बात कि कौननहीं। तभी सवाल है कि आख़िर कैसे मोदी विपक्ष को जबाब देंगे। इसी टेंशन में चुनाव को लेकर पिछले दिनों दिल्ली मेंग्रहमंत्री अमित शाह की अगुवाई में हरियाणा भाजपा नेताओं की बैठक भी हुई पर नतीजा वही ढाक के तीन पात।
पर पार्टी भी क्या करे सो टिकट को लेकर सूबे में सर्वे कराया जा रहा है। अब आगे-आगे होता है क्या ? देखना बाक़ी है।