Modi Government: विधायी कामकाज के दृष्टिकोण से वर्ष 2025 बहुत महत्वपूर्ण होने वाला है। यह एक बड़े चुनावी वर्ष यानी सुपर इलेक्शन ईयर के बाद का साल है।… केंद्र और राज्य सरकारों को एक बड़ा अंतराल विधायी और प्रशासनिक कार्यों के लिए मिल रहा है। ऐसी संभावना है कि इस अवधि में अनेक लम्बित विधायी कार्यों का निपटारा किया जाएगा। संसद में दो विधेयक संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी के समक्ष हैं। जेपीसी वक्फ बोर्ड कानून में बदलाव के लिए लाए गए विधेयक पर विचार कर रही है दूसरी जेपीसी बनी ‘एक देश, एक चुनाव’ के महत्वाकांक्षी कानून पर विचार करेगी।
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नव वर्ष 2025 की संभावनाओं का आकलन कई पहलुओं से किया जा रहा है। हर व्यक्ति के मन में यह सवाल उठ रहा है कि 2025 में भारत कैसा होगा? भारत की अर्थव्यवस्था कैसी होगी?
राजनीति के क्षेत्र क्या गतिविधियां होंगी? कौन कौन से विधायी कार्य लम्बित हैं, जिन्हें पूरा किया जाएगा? विपक्ष क्या वैसे ही राजनीति करता रहेगा, जैसे अभी कर रहा है?
सनातनधर्मियों की ओर से सभ्यतागत न्याय सुनिश्चित करने के लिए जो पहल की जा रही है क्या वह जारी रह पाएगी? 12 वर्षों के बाद हो रहे महाकुंभ का क्या संदेश देशवासियों के लिए होगा?
वैश्विक पटल पर भारत की क्या स्थिति होगी? विश्व में युद्ध और तनाव का जो दौर चल रहा है वह 140 करोड़ भारतवासियों को कैसे प्रभावित करेगा और आम नागरिक का जीवन कैसा होगा?
इनके अलावा भी निश्चित रूप से कुछ और प्रश्न होंगे, जिनके उत्तर की खोज किसी न किसी रूप में हो रही होगी।
2025 की संभावनाओं का आकलन
इन समस्त प्रश्नों के बीच अगर एक वाक्य में 2025 की संभावनाओं का आकलन बताना हो तो कहा जा सकता है कि नव वर्ष सांगठनिक, विधायी और आर्थिक उपलब्धियों का वर्ष होगा। जब हम संगठन की बात करते हैं तो उसमें तमाम राजनीतिक दलों और सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक संगठन आ जाते हैं।
यह वर्ष राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का शताब्दी वर्ष है। संघ की स्थापना के सौ वर्ष पूरे हो रहे हैं। संघ एक सांस्कृतिक संगठन है, जिसने पिछले एक सौ साल में भारत की संस्कृति और धर्म के रक्षण का कार्य कुशलतापूर्वक किया है।
12 वर्ष के बाद महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में हो रहा है, जहां देश के तमाम धार्मिक संगठन और अखाड़े एकत्र हो रहे हैं। सनातन धर्म से जुड़े समस्त संगठनों के लिए कोई नया दिशा निर्देश महाकुंभ से निकलेगा, ऐसी संभावना जताई जा रही है।
राजनीतिक दलों की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी को नया अध्यक्ष मिलना है। अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है और भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री के लक्ष्मण की अध्यक्षता वाली कमेटी चुनावी प्रक्रिया को आगे बढ़ा रही है।
मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने कर्नाटक के बेलगावी में कार्य समिति की विशेष बैठक में संकेत दिया कि संगठन में इस वर्ष बदलाव किए जाएंगे।
2025 बहुत महत्वपूर्ण(Modi Government)
विधायी कामकाज के दृष्टिकोण से वर्ष 2025 बहुत महत्वपूर्ण होने वाला है। यह एक बड़े चुनावी वर्ष यानी सुपर इलेक्शन ईयर के बाद का साल है। पिछले साल यानी 2024 में पूरे साल चुनाव होते रहे थे।
पहले लोकसभा और चार राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए और उसके बाद चार राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए। यानी 2024 लोकसभा और आठ राज्यों के चुनाव का वर्ष था।
वह सिर्फ भारत के लिए बड़ा चुनावी वर्ष नहीं था। दुनिया के महाशक्ति देशों में भी पिछले वर्ष चुनाव हुए। अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव हुआ तो ब्रिटेन और फ्रांस में संसद का चुनाव हुआ।
कह सकते हैं कि 2024 में पूरा विश्व ही चुनाव में व्यस्त रहा था। नव वर्ष 2025 में भारत में सिर्फ दो राज्यों के चुनाव हैं।
साल के आरंभ में दिल्ली का विधानसभा चुनाव है और वर्ष के अंत में बिहार का चुनाव है। इसके बीच केंद्र और राज्य सरकारों को एक बड़ा अंतराल विधायी और प्रशासनिक कार्यों के लिए मिल रहा है।
जेपीसी का स्वरूप सामान्य से बड़ा
ऐसी संभावना है कि इस अवधि में अनेक लम्बित विधायी कार्यों का निपटारा किया जाएगा। संसद में दो विधेयक संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी के समक्ष हैं।
श्री जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली जेपीसी वक्फ बोर्ड कानून में बदलाव के लिए लाए गए विधेयक पर विचार कर रही है तो श्री पीपी चौधरी की अध्यक्षता में एक नई जेपीसी बनी है, जो ‘एक देश, एक चुनाव’ के महत्वाकांक्षी कानून के लिए लाए गए विधेयक पर विचार करेगी।
इस जेपीसी का स्वरूप सामान्य से बड़ा है। इसमें 39 सदस्यों को रखा गया है। राष्ट्रीय हित के दृष्टिकोण से ये दोनों विधेयक बहुत अहम हैं।
ध्यान रहे वर्तमान वक्फ बोर्ड कानून अनेक संवैधानिक प्रावधानों और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विपरीत है। यह एक समुदाय विशेष का तुष्टिकरण करने वाला कानून है।
इसलिए उसे तर्कसंगत बनाने का प्रयास किया जा रहा है। परंतु विपक्षी पार्टियों की तुष्टिकरण की राजनीति की वजह से उस प्रक्रिया में देरी हो रही है। इसके बावजूद उम्मीद की जा रही है कि वर्ष 2025 में इस कानून में संशोधन हो जाएगा।
विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही(Modi Government)
ऐसे ही ‘एक देश, एक चुनाव’ का विधेयक राष्ट्र की एकता, अखंडता के साथ साथ प्रशासनिक कुशलता और खर्च में कटौती के लिए भी आवश्यक है।
इसे पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति की अनुशंसाओं के आधार पर तैयार किया गया है।
देश की ज्यादातर पार्टियां इसका समर्थन करती हैं। परंतु विपक्षी पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं और इसके रास्ते में बाधा डाल रही हैं।(Modi Government)
उनको लग रहा है कि उनकी जोड़तोड़ की राजनीति इससे कमजोर होगी। धर्म, जाति और क्षेत्र के आधार पर विभाजन कराने की उनकी राजनीति इससे विफल हो जाएगी और तुष्टिकरण की राजनीति पर पूर्णविराम लग जाएगा।
सरकार इस कानून को लेकर प्रतिबद्ध है। परंतु साथ ही वह चाहती है यह कानून सबकी सहमति से अस्तित्व में आए।
इसलिए उसने विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति में भेजा और लगभग सभी महत्वपूर्ण पार्टियों के सांसदों को उसमें जगह दी।
संयुक्त संसदीय समिति सभी पार्टियों के साथ साथ चुनाव प्रक्रिया से जुड़े सभी संबंधित पक्षों से विचार विमर्श करेगी और साथ ही आम नागरिकों से भी राय लेगी।
उसके बाद यह विधेयक संसद में पेश किया जाएगा। उम्मीद करनी चाहिए कि नव वर्ष 2025 में यह विधेयक पास होकर कानून बनेगा।
इसके साथ ही इस वर्ष जनगणना का कार्य शुरू होना है और उसके बाद परिसीमन के साथ महिला आरक्षण लागू करने का मार्ग प्रशस्त होना है।
अमित शाह की दो अहम बातें
पिछले कुछ दिनों में केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने दो अहम बातें कहीं। उन्होंने दिसंबर में शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में संविधान पर चर्चा के दौरान कहा कि भाजपा शासित सभी राज्यों में समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी का कानून बनेगा।
उन्होंने कहा कि जैसे उत्तराखंड ने कानून बनाया है वैसा ही कानून सभी भाजपा शासित राज्य बनाएंगे। उन्होंने दूसरी अहम बात नए साल के दूसरे दिन कही।
कश्मीर पर लिखी एक पुस्तक के विमोचन के कार्यक्रम में उन्होंने कश्मीर को लेकर बड़ी बात कही है। श्री अमित शाह ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को लेकर इशारों में कहा कि जो हमने गंवाया था उसे वापस हासिल करेंगे।
यह बहुत बड़ी बात है। यह हर भारतीय की कामना है कि दो टुकड़ों में बंट गया कश्मीर एक हो और भारत ने जो हिस्सा गंवाया था उसे हासिल किया जाए।
आम भारतीय के दिल की इस कामना को श्री अमित शाह ने आवाज दी है। इसलिए नए साल में देश के अनेक राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू होने और जम्मू कश्मीर में बड़े बदलाव की संभावना दिख रही है।
2025 भारत के लिए(Modi Government)
नव वर्ष 2025 भारत के लिए आर्थिक उपलब्धियों का भी वर्ष हो सकता है। ध्यान रहे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का दूसरा कार्यकाल कोरोना महामारी और वैश्विक आर्थिक मंदी से निपटने में बीता था।
कोरोना महामारी ने दुनिया की तमाम बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को कमजोर कर दिया। अमेरिका और चीन जैसी महाशक्तियों की आर्थिक तस्वीर बिगड़ी।
भारत पर भी इसका असर हुआ परंतु बहुत जल्दी भारत ने आर्थिक विकास की गति पकड़ ली। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में यह गति तेज होगी।
विश्व बैंक सहित दुनिया की तमाम रेटिंग एजेंसियों ने इस वर्ष भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की विकास दर सात फीसदी या उससे ऊपर रहने का अनुमान जताया है।
चीन का वैश्विक अलगाव और बढ़ेगा
कोरोना की महामारी के बाद से ही पूरी दुनिया में चीन की एकाधिकारवादी नीतियों को लेकर नाराजगी है और यूरोपीय देश उससे दूरी बना रहे हैं।
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में चीन का वैश्विक अलगाव और बढ़ेगा। भारत को इसका लाभ हो सकता है।
भारत में नियमों और कानूनों में बदलाव के जरिए कारोबार सुगमता सुनिश्चित की गई है, जिसका लाभ उठाने के लिए वैश्विक कंपनियां भारत का रुख कर रही हैं।
मोबाइल हैंडसेट बनाने से लेकर सेमीकंडक्टर और हवाई जहाज बनाने वाली कंपनियां भारत में कारखाने लगा रही हैं।(Modi Government)
यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि इस समय देश में जैसी राजनीतिक स्थिरता है और सामाजिक स्तर पर समावेश की राजनीति की प्रधानता है उसमें भारत के लिए अतिरिक्त अवसर बनेंगे।
भारत अगले दो साल में यानी 2027 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा।
इसकी बुनियाद पर 2047 तक विकसित भारत बनाने की यात्रा आगे बढ़ेगी। इस आकांक्षा के साथ सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं! (लेखक दिल्ली में सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (गोले) के कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त विशेष कार्यवाहक अधिकारी हैं।)