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टिकट घोषित करके भाजपा ने चौकाया

भोपाल। कांग्रेस लगातार यह संदेश दे रही थी कि जहां पार्टी चार बार से ज्यादा समय से हार रही है वहां बहुत जल्दी टिकट घोषित किए जाएंगे लेकिन यह काम भाजपा ने कर दिया। जिन सीटों पर वह पिछले चुनाव में हारी या इसके पहले हारी है वहां पर उसने प्रत्याशी घोषित किए हैं। 39 प्रत्याशियों की सूची जारी हुई है जिसमें 14 चेहरे ऐसे हैं जो पिछली बार हारे हैं और 12 नए चेहरे हैं।

दरअसल, राजनीति में राजनीतिक दलों के लिए बेहतर प्रत्याशी तलाश करना और इसकी घोषणा करना सबसे कठिन कार्य होता है और भाजपा ने आत्मविश्वास दिखाने के लिए ही सही 39 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। यह सभी उन सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए गए हैं जहां 2018 में पार्टी चुनाव हार गई थी। प्रत्याशियों की घोषणा में फॉर्मूला लागू होता दिखाई नहीं दे रहा है। मसलन, नेताओं के परिजनों को भी टिकट दिया गया है। बागी चुनाव लड़ चुके भी प्रत्याशी बनाए गए हैं। संगठन के पदाधिकारियों को भी टिकट दिया गया है। नौकरी छोड़ने वाले और आप पार्टी से इस्तीफा देने वाले शाम को टिकट लेने वाले भी शामिल है। वही सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक का भी टिकट काट दिया गया है।

बहरहाल, चुनाव की घोषणा होने से पहले ही भाजपा ने 39 प्रत्याशियों की सूची जारी करके पार्टी ने विरोधियों को ही नहीं पार्टी नेताओं को भी चौंका दिया। भाजपा ने 2018 में चुनाव हारे 14 चेहरों को फिर से प्रत्याशी बनाया है जिनमें चार पूर्व मंत्री भी है जो चुनाव हार गए थे। ललिता यादव, लाल सिंह आर्य, ओम प्रकाश धुर्वे और नाना भाऊ मोहोड को टिकट दिया गया है जबकि 12 ऐसे नए चेहरों को मैदान में उतर गया है जो पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। जिनमें कुछ शासकीय सेवाओं में कार्यरत थे। मसलन मंडला की बिछिया विधानसभा सीट से भाजपा ने डॉक्टर विजय आनंद मरावी को प्रत्याशी बनाया है। उन्होंने गुरुवार को ही सुबह जबलपुर मेडिकल कॉलेज में सहायक अधीक्षक के पद से इस्तीफा दिया।

डॉक्टर मरावी बिछिया में ही पढ़े-लिखे और विद्या भारती महाकौशल के प्रांत सचिव भी हैं। जबसे वे मेडिकल में सेवाएं दे रहे हैं तब से बिछिया में स्वास्थ्य कैंप लगाते हैं और जो भी जिले से बीमार व्यक्ति जबलपुर आता था उसकी रहने-खाने की व्यवस्था भी करवाते थे। मंडला भाजपा के जिला अध्यक्ष भीष्म द्विवेदी का कहना है कि पार्टी नेतृत्व में मंडला जिले में बेहतर प्रत्याशी दिए हैं। पार्टी ने परिवारवाद को भी दरकिनार करते हुए महेश्वर विधानसभा सीट से राजकुमार मेव को प्रत्याशी बनाया है। जो 2018 में पार्टी का टिकट ना मिलने पर बागी हो गए थे और निर्दलीय चुनाव लड़कर भाजपा के घोषित प्रत्याशी भूपेंद्र आर्य से ज्यादा वोट लिए थे और विजयलक्ष्मी साधो से चुनाव हारने के बाद लगातार क्षेत्र में सक्रिय है। 2013 में चुनाव जीतने वाले जिन सीटों पर 2018 में प्रत्याशी नहीं बनाए गए थे और वहां पार्टी को हार मिली। ऐसे में पार्टी ने 2013 में जीत दर्ज न करने वाले को फिर से मौका दिया है। 10 साल बाद मुलताई से चंद्रशेखर देशमुख और उज्जैन की घट्टिया सीट से सतीश मालवीय प्रत्याशी बनाए गए हैं। बालाघाट जिले की लांजी सीट से भाजपा ने राजकुमार कर्राये को टिकट दिया है। राजकुमार ने गुरुवार की सुबह ‘आप’ पार्टी से इस्तीफा दिया और शाम को 39 उम्मीदवारों की सूची में जगह मिल गई। वे पहले भी भाजपा में थे और दो बार से टिकट मांग रहे थे और इस बार ‘आप’ से लड़ने वाले थे और उनकी सक्रियता को देखते हुए पार्टी ने उन्हें टिकट दे दिया।

बुंदेलखंड की बंडा सीट पर भाजपा ने वीरेंद्र सिंह लंबरदार को प्रत्याशी बनाया है। जो पूर्व सांसद शिवराज सिंह के पुत्र हैं और वर्तमान में शिक्षक है। लोधी बाहुल्य सीट पर कांग्रेस के तरवर लोधी वर्तमान में विधायक हैं। लोधी वोटों को पूरी तरह से कांग्रेस में जाने से रोकने के लिए भाजपा ने यह दांव चला है। हालांकि यादव ब्राह्मण और जैन मतदाता भी इस सीट पर प्रभावी भूमिका में हैं। उनको साधने की चुनौती पार्टी के सामने होगी। वहीं पथरिया विधानसभा सीट पर पिछले चुनाव में बहुत कम वोटों से हारने वाले लखन पटेल को पार्टी ने फिर से प्रत्याशी बनाया है। यहां से चतुष्कोणीय मुकाबले में राम बाई पिछला चुनाव जीत गई थी लेकिन जिस तरह से उन्होंने कभी कांग्रेल तो कभी भाजपा के पक्ष में होती रही चर्चाओं में रहने के लिए काम कर रही थी उससे उनकी जमानी पकड़ दिन प्रतिदिन कमजोर होती गई और लखन पटेल लो प्रोफाइल रहकर क्षेत्र में अपनी पकड़ लगातार मजबूत करते गए। शायद इसी कारण पार्टी ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताया है।

कुल मिलाकर भाजपा ने अचानक से अपनी 39 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करके ना केवल चौकया है बल्कि यह भी संकेत दे दिया है कि कोई एक फार्मूला टिकट वितरण में नहीं चलेगा। संगठन के पदाधिकारियों को भी टिकट दिया गया है। हारे हुए को भी टिकट दिया गया है। शासकीय नौकरी करने वालों को भी टिकट दिए गए हैं और जो कभी बागी चुनाव लड़े वह भी टिकट का गए हैं और जो दूसरी पार्टी से लड़ने वाले थे उनको भी टिकट मिल गया है। पिछले दिनों पार्टी नेताओं की बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जिस तरह के संकेत दिए थे। उसी के आधार पर टिकट वितरण दिखाई दे रहा है। मसलन, उन्होंने कहा था किसी नेता ने यदि किसी सीट को बिगाड़ दिया है तो उसको नई सीट बिगाड़ने का मौका ना देखकर पुरानी सीट पर ही चुनाव यदि लगाना जरूरी हुआ तो लड़ाया जाएगा। मसलन पूर्व मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे डिंडोरी विधानसभा से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन उन्हें शाहपुर विधानसभा से ही टिकट दिया गया है। जहां भी चुनाव पहले हार चुके हैं अब उसे सीट को वापस लाना धुर्वे की चुनौती है। जाहिर है टिकट वितरण का टेलर बता रहा है की भाजपा की पूरी पिक्चर कैसी होगी।

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