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एमपी में कमलनाथ या कमल

कर्नाटक मॉडल और सीएम के लिए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का चेहरा सामने रख कांग्रेस मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी में बताई जा रही है। पर साथ ही पार्टी के एक वरिष्ठ नेता को सूबे का प्रभारी बनाकर भेजने की तैयारी है। इन नेता के कमलनाथ के साथ साथ पार्टी आलाकमान से भी अच्छी पेंठ बताई जाती है।और यह भी कि इन नेता को प्रभारी बनाए जाने पर किसी को कोई परेशानी भी नहीं है।पार्टी भरोसे में है कि इस तैयारी से वह 2018 में हुए चुनावों से ज़्यादा सीटें हासिल कर सकेगी। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता की मानो तो राज्य के सभी ताकतवर नेताओं को पिछले हफ़्ते सलाह भी दी गई कि कर्नाटक की तरह ही एमपी में भी चुनाव सभी मिलकर पूरी ताक़त से लड़ते हैं तो फ़तह तय होगी।

यह बात ज़रूर है कि चुनावी तैयारी के चलते जल्दी ही सूबे के संगठन में कुछ बड़े बदलावों के साथ ही राज्य के दो युवाओं को भी चुनाव लड़ाने की चर्चा है। कहा जा रहा है कि अगले महीने यानी सितंबर के शुरू तक चुनाव का पूरा खाखा तैयार कर लिया जाना है इसके बाद कर्नाटक की तरह सभी नेताओं को उनकी अलग अलग ज़िम्मेवारी सोंप दी जाएगी ताकि समय रहते ये नेता अपनी रणनीति तैया कर सकें। यह अलग बात है कि कांग्रेस को 2018 में हुए चुनावों में बहुमत मिला था पर कांग्रेस के विभीषण बने ज्योतिर्विद्या सिंधिया अपने विधायकों के साथ मिलकर कांग्रेस की सत्ता का रायता फैला गए थे। अब भला अपनी तैयारी और कर्नाटक माडल के साथ कांग्रेस सत्ता में आ पाती है या नहीं यह इंतज़ार की बात है पर मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लेकर बन चुकी एंटी-इनकमबेंसी और उनके कम होते जनाधार का कांग्रेस फ़ायदा ज़रूर उठा लेने की कोशिश में रहनी है। हालाँकि शिवराज को लेकर चल रहे ऐसे हालतों से भाजपा पूरी तरह वाक़िफ़ है पर कोई विकल्प न होने चलते वह अभी तक तो शिवराज पर ही दांव लगाती दिख रही है।

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By ​अनिल चतुर्वेदी

जनसत्ता में रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव। नया इंडिया में राजधानी दिल्ली और राजनीति पर नियमित लेखन

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