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शाह की सक्रियता सियासत में सनसनी

भोपाल। वैसे तो इस वर्ष के आखिर तक पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होना है लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री और राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने जिस तरह से मध्यप्रदेश को केंद्र में रखा है उससे ना केवल विपक्षी दल बल्कि भाजपा के अंदर भी खलबली है। एक माह में तीसरी बार कल दो दिवसीय प्रवास पर शाह प्रदेश आ रहे हैं। जिसको लेकर कांग्रेस में तो हलचल है ही भाजपा के अंदर भी खदबाहट है।
दरअसल, जिस तरह से सर्वे रिपोर्ट आ रही थी उससे अब तक मध्यप्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस अच्छी खासी उत्साहित थी लेकिन पिछले एक माह के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जिस तरह से मध्यप्रदेश को फोकस किया है उससे कांग्रेस भी अब अपनी रणनीति बदल सकती है और प्रदेश नेतृत्व की मदद के लिए राष्ट्रीय स्तर के चुनिंदा नेताओं को मध्यप्रदेश में डेरा डालने के लिए कह सकती है। कह सकते हैं क्योंकि प्रदेश में दिन-प्रतिदिन मुकाबला अभूतपूर्व होता जा रहा है। हर स्तर पर तैयारियां की जा रही है। सत्तारूढ़ दल भाजपा को जहां अपने विधायकों की एंटी इनकंबेंसी को डाउनलोड करना है, टिकट बदलना है और प्रदेश और देश की सरकार की उपलब्धियों को बताना है। वही कांग्रेस से मिल रही चुनौतियों से भी निपटना है।

बहरहाल, 2018 के विधानसभा चुनाव परिणाम से सबक लेकर भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व अब पूरी तरह से मध्यप्रदेश पर फोकस बना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक के कार्यक्रम लगातार प्रदेश में बनाए जा रहे हैं। 12 अगस्त को सागर में सामाजिक समरसता का महा कुंभ पार्टी करने जा रही है। पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा लगातार प्रदेश के नेताओं से फीडबैक ले रहे हैं लेकिन जिस तरह से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एक – एक सीट की समीक्षा कर रहे हैं। एक-एक प्रत्याशी का आंकलन कर रहे हैं और चुनावी टीम का परीक्षण कर रहे हैं। उससे भाजपा के अंदर भी हलचल है क्योंकि इस बार न किसी की सिफारिश चलेगी और न ही किसी की दुहाई। केवल और केवल सर्वे रिपोर्ट के आधार पर बेहतर परफारमेंस और जीतने वाले को ही उम्मीदवार बनाया जाएगा। जिसके चलते भाजपा के कई दिग्गज नेता परेशान हैं। कहीं ऐसा ना हो उनका भी एेन वक्त पर टिकट कट जाए। “सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास” का नारा पार्टी के अंदर परखा जा रहा है।

शाह ने जिस तरह से एक – एक नेता की कुंडली अपने पास रखी है उसके कारण न तो कोई नेता बगावत कर सकता है और न ही किसी प्रकार की शिकायत क्योंकि जो योग्य है जो सबको साथ लेकर चल रहा है उसके साथ कोई दिक्कत नहीं है लेकिन अधिकांश वे नेता परेशान हैं जो सत्ता की चकाचौंध में अपने संघर्ष के साथियों को भूल गए थे और विपक्षी नेताओं को परेशान कर रहे थे।

कुल मिलाकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह कल फिर राजधानी भोपाल आ रहे हैं और जहां एक बार वे फिर चुनावी तैयारियों को खासकर विभिन्न समितियों को अंतिम रूप देंगे। वहीं दूसरे दिन इंदौर में एक बेहद कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करेंगे जो कि प्रदेश के प्रत्येक कार्यकर्ता के लिए संदेश होगा। जिसको लेकर सियासत में एक बार फिर सनसनी है कि आखिर शाह का मिशन किस किसको पार लगाएगा और किसको किनारे करेगा।

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