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प्रदेश में आक्रामक राजनीति का आगाज

भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 लोकसभा चुनाव 2024 का ट्रेलर होंगे> जिस तरह से प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व में मध्यप्रदेश को समय से पहले राजनीति का अखाड़ा बना दिया है और आक्रामक प्रहार एक-दूसरे पर शुरू कर दिए हैं उससे सहज ही समझा जा सकता है इस बार इतना समझ लीजिए कि चुनाव नहीं आसान। दरअसल, जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं वैसे – वैसे विपक्षी दल कांग्रेस हमलावर होती जा रही है। भाजपा तो शुरू से ही आक्रमक रही है। उसने अपनी गति और तेज कर दी है लेकिन कांग्रेस भी अब भाजपा को उसी की तर्ज पर जवाब देने लगी है। इससे राजनीति के आक्रामक होने का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह भी तय मानिए कि प्रदेश में जहां राष्ट्रीय नेताओं के दौरे बढ़ेंगे, वहीं बयान भी तीखे होते जाएंगे और इसका असर प्रादेशिक और स्थानीय नेताओं पर भी पड़ेगा। संकोच टूटेगा और गरमा गरम बहस होगी।

बहरहाल, मंगलवार को बुंदेलखंड का मुख्यालय कहा जाने वाला सागर कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे के गरजने से गुंजायमान रहा। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने जो जो आरोप कांग्रेस पर लगाए उसका खड़गे ने जवाब दिया और लंबे अरसे से कांग्रेसी सागर में मंत्रियों की दबंगई को मुद्दा बना रहे थे उसको भी कांग्रेसियों ने खड़गे के माध्यम से आज ललकारने की कोशिश की। खड़गे ने यहां मध्यप्रदेश सरकार को नाजायज सरकार और हमारे विधायक चुराकर बनाई गई सरकार कहकर इस सरकार को विदा करने की अपील जनसभा में की। कांग्रेस के जिन वादों की गारंटी प्रियंका गांधी ले चुकी है उसकी खड़गे ने भी गारंटी ली और एक नया जातीय जनगणना कराने का मुद्दा भी जोड़ दिया। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में तो 40% कमीशन था हमने वहां हटा दिया। कमलनाथ आपको 50 परसेंट वालों को हटाना है क्योंकि यह हमारे लोगों को सता रहे हैं, जेल भेज रहे हैं। जब नवंबर में हमारी सरकार आएगी तब उन्हें भी मुश्किल होगा लेकिन हम बदला लेने का नहीं सोचते अच्छा करते आए हैं। बदला लेने की नहीं बदलाव लाने की जरूरत है ना हम डराने वाले हैं और ना डरने वाले हैं।

कुल मिलाकर धीरे-धीरे प्रदेश की राजनीति आक्रमक होती जा रही है। दोनों ही दलों में रणनीतिकार एक दूसरे पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। जिस तरह से दोनों दलों के वार रूम मैं रिसर्च चल रहा है। उसी के आधार पर बयान बाहर आ रहे हैं और सीधी चोट हो रही है। किसी भी आरोप को खाली नहीं छोड़ा जा रहा है। हर आरोप का जवाब सटीक जवाब और आक्रामक जवाब दिए जा रहे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पत्रकारों के जवाब में भी अपनी झलक दिखा दी थी और अब खड़गे ने भी कोई मौका नहीं छोड़ा। 5 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिना का संभावित दौरा इस राजनीति को किस दिशा में ले जाता है। यह भी देखा जाना है लेकिन इतना तय है की प्रदेश की राजनीति में आक्रामक राजनीति का आगाज हो गया है जिसमें वार रूम में बनती रणनीति की परिणीति मैदान में देखने लगी है क्योंकि चुनाव तो आखिर मैदान में ही होना है और सबको जहां अपनों को और विरोधियों को अपने कामों का व्यवहार का लेखा-जोखा देना है वहीं भविष्य का दर्पण भी दिखाना है। सो, मान कर चलिए बहुत ही दिलचस्प और मतगणना के दौरान “दांतों तले उंगली दबाने वाले” चुनाव मध्यप्रदेश में होने जा रहे हैं।

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