liquor ban in MP: भारतीय राजनीति में संभवतः पहली बार मध्यप्रदेश में सत्तारूढ़ दल ने अपने उद्धेश्य की पूर्ति हेतु मानव मनोविज्ञान का सहारा लिया है, मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, जिसके चुनावी घोषणा-पत्र में प्रदेश में पूर्णतः शराबबंदी का उल्लेख था, अब वर्तमान मुख्यमंत्री ने प्रदेश के डेढ़ दर्जन धार्मिक नगरों में एक अप्रैल से पूर्ण शराबबंदी की घोषणा की है, यद्यपि इस कदम से सरकार को आर्थिक क्षति पहुंचेगी, किंतु सत्तारूढ़ दल को इससे राजनीतिक लाभ अवश्य पहुंचेगा।
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सरकार के इस फैसले को प्रदेश में पूर्ण नशाबंदी की दिशा में ठोंस कदम माना जा रहा है।(Liquor ban in MP)
एक अप्रैल से जिन नगरों में शराबबंदी होगी वे धार्मिक शहर उज्जैन, मण्डला, मुलताई, मंदसौर, मैहर, दतिया, अमरकंटक, औंकारेश्वर, महेश्वर, मण्डलेश्वर, औरछा, चित्रकुट, सलकनपुर, कुण्डलपुर, बरमानकला, लिंगा बरमान खुर्र और बांदकपुर है, इन नगरों में शराबबंदी से राज्य सरकार को करीब पांच सौ करोड़ की राजस्व आय कम हो जाएगी।
अब तक नर्मदा तट के बीस जिलों में ‘पांच किलोमीटर’ क्षेत्र में शराबबंदी लागू थी और उज्जैन सहित अन्य धार्मिक नगरों में मुख्य धार्मिक स्थानों से 100-200 मीटर दायरें में पाबंदी थी।(Liquor ban in MP)
सरकार के इस कदम को प्रदेश में पूर्ण नशाबंदी की राह का पहला कदम बताया जा रहा है।
स्वयं मुख्यमंत्री ने इसे नीतिगत फैसला बताया, प्रदेश के इन उन्नीस नगरों में एक भी शराब की दुकान नही रहेगी, सभी मौजूदा दूकानें हमेशा के लिए बंद हो जाएगी
भाजपा का दावा है कि कांग्रेस की सरकारें ऐसा कदम उठाने की हिम्मत नही कर पाई, क्योंकि इसमें सरकार के आर्थिक स्त्रोत में कमी आने वाली है,(Liquor ban in MP)
यदि पूरे राज्य में पूर्णतः शराबबंदी की जाती है तो सरकार को करीब तीन हजार करोड़ की आर्थिक हानि उठानी पड़ेगी,
इस हानि के बारे में सरकार का कथन है कि इस हानि की क्षतिपूर्ति अन्य श्रोतों से पूरी कर ली जाएगी। लेकिन यह मध्यप्रदेश का पहला अन्य राज्यों के लिए सार्थक अनुकरणीय कदम होगा।
शराबबंदी केवल दूकानों के लिए(Liquor ban in MP)
इस कदम की घोषणा करते हुए सरकार ने यह भी कहा है कि यह फैसला सिर्फ शराबबंदी की दूकानों के लिए लिया गया है,
प्रदेश के नागरिकों पर शराबबंदी थोपनें के लिए नहीं, वे अपने घरों में बैठकर शराब का सेवन कर सकते है, पर यहां मुख्य सवाल यह है कि प्रदेश में शराब की बिक्री पूर्णतः प्रतिबंधित हो जाएगी तो इसके शौकिन लोग अपना शौक कहां से पूरा कर पाएगें।
मध्यप्रदेश की मौजूदा सरकार का लक्ष्य आगामी एक दशक में पूरे राज्य में पूर्णतः शराबबंदी का है, लेकिन साथ ही इस लक्ष्य को लेकर कई संशय भी व्यक्त किए जा रहे है।(Liquor ban in MP)
इसका मुख्य कारण प्रधानमंत्री का राज्य गुजरात है, जहां पिछले कई वर्षों से पूर्ण शराबबंदी लागू है, किंतु वहां पान की दूकानों तक शराब की बिक्री होना बताया जा रहा है, ऐसी शराबबंदी का क्या अर्थ है।
यदि मध्यप्रदेश में पूर्ण शराबबंदी करनी है तो फिर सरकार को सी इस मामले में ईमानदारी पूर्ण सख्ती अपनानी होगी, क्योंकि प्रदेश के मानव जीवन की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम में लापरवाही नही होनी चाहिए।
किंतु यह एक साहसपूर्ण ठोंस फैसला अवश्य होगा जो सत्तारूढ़ दल के लिए राजनीतिक दृष्टि से फायदेमंद सिद्ध होगा।(Liquor ban in MP)