भोपाल। बुधनी एवं विजयपुर विधानसभा सीटों के उप चुनाव के परिणाम प्रदेश की राजनीति में उठापटक बढाने वाले साबित होंगे भले ही भाजपा और कांग्रेस ने एक-एक सीट जीत ली हो लेकिन दोनों ही दलों में इन परिणामों के संदेश बड़े प्रभावकारी होंगे।
दरअसल प्रदेश में बुधनी एवं विजयपुर विधानसभा के उपचुनाव को लेकर पिछले कुछ महीनो से दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस जीतने के लिए जमीनी स्तर पर विसात बिछा रहे थे क्योंकि दोनों ही दलों के प्रदेश नेतृत्व के लिए यह चुनाव जीतना अपने अपने कारणों से महत्वपूर्ण थे इसलिए प्रत्याशी चयन से लेकर बूथ स्तर पर बेहतर जमावट सक्षम नेताओं को चुनाव मैदान में तैनात करने से लेकर चुनाव अभियान के दौरान सभाएं रेलियां बैठकें फिर मतदान के दिन और मतगणना के दिन भी पूरी चौकसी रखने कोशिश की गई जिससे कि हर हाल में परिणाम अपने पक्ष में आए लेकिन एक-एक सीट पर दोनों ही दलों को संतोष करना पड़ा दोनों सीट जीतने में दोनों दल कामयाब नहीं हो सके।
बहरहाल जहां तक सत्ताधारी दल भाजपा की बात है तो उसे राष्ट्रीय स्तर पर जहां महाराष्ट्र विधानसभा में भारी बहुत अन्य राज्यों के उप चुनाव में पार्टी को मिली भारी सफलता ने उत्साहित किया। वहीं दूसरी ओर प्रदेश में विजयपुर विधानसभा सीट में हार और बुधनी सीट को कम मतों के अंतर से जीतने के कारण वह उत्साह नहीं बन पाया जिसकी पार्टी नेताओं को अपेक्षा थी प्रदेश के सभी शीर्ष नेता इन उपचुनाव में अपना पूरा कौशल लगाते रहे फिर भी मन माफिक सफलता न मिलने के कारणो का पता लगाने में जुट गई है क्योंकि भाजपा ने 2023 के विधानसभा चुनाव में भारी सफलता अर्जित की तो वहीं लोकसभा चुनाव में सभी 29 सीटों पर जीत दर्ज की इसके बाद अमरवाड़ा विधानसभा का उप चुनाव भी पार्टी ने आखिर जीत ही इस तरह जीत की जो निरंतरता थी उसमें विजयपुर विधानसभा के परिणाम से हार का गति अवरोधक सामने आ गया। यही नहीं बुधनी विधानसभा सीट पर 2023 के विधानसभा चुनाव में 1,00,000 से भी ज्यादा वोटो से भाजपा ने जीत दर्ज की थी जो केवल 13,000 वोटो पर सिमट कर रह गई इस कारण यह जीत भी फीकी पड़ गई।
वहीं दूसरी ओर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के लिए विजयपुर विधानसभा सीट पर मिली जीत किसी संजीवनी से कम नहीं। एक अदद जीत के लिए तरसती कांग्रेस के लिए विजयपुर की जीत हार की फिसल पट्टी से उतारने के लिए काफी है। जिस तरह से कांग्रेसियों ने पूरे प्रदेश में उत्सव बनाया है उससे कांग्रेस की उम्मीद दिए में तेल मिल गया है।
प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व में प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन किया और जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया लेकिन वह कुछ समझ पाते इसके पहले ही लोकसभा के चुनाव आ गए और सभी 29 सीटों पर कांग्रेस चुनाव हार गई जीतू पटवारी को अपनी प्रतिभा दिखाने का एक मौका और मिला जब अमरवाड़ा विधानसभा का उपचुनाव हुआ लेकिन उसमें भी पार्टी को हर का सामना करना पड़ा और इसके बाद उन्होंने विजयपुर और बद्री विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए जमीनी स्तर पर जमावट जमाना शुरू कर दी बेहतर प्रत्याशी चयन से लेकर चुनावी मैदान में दमखम वाले नेताओं को तैनात कर उन्होंने जहां विजयपुर विधानसभा सीट पर जीत दर्ज कर दी वही विधानसभा सीट में लाखों वोटो की जीत हजारों में आ गई। हाल ही में प्रदेश कांग्रेस की बैठक में जिस तरह से पार्टी के दिग्गज नेताओं की अनुपस्थिति से जीतू पटवारी निराश हुए तो विजयपुर सीट की जीत ने उन्हें उत्साहित कर दिया और प्रदेश प्रभारी जितेंद्र भंवर सिंह भी बैठक के समापन पर जीतू पटवारी को फ्री हैंड दे गए।
कुल मिलाकर बुधनी और विजयपुर विधानसभा के उपचुनाव परिणाम भाजपा और कांग्रेस की राजनीति में बहुत कुछ संदेश दे गए हैं जिसके निष्कर्ष आगामी दिनों देखने को मिलेंगे।