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सनातन का विरोध और मुश्किल में कमलनाथ…

भोपाल। हर कोई जानता है कि भारत में 80 फ़ीसदी सनातन धर्मियों का विरोध करने वालों को चुनाव जीतना नामुमकिन भले ही न हो मुश्किल जरुर होगा। लोकतंत्र में पूरा खेल बहुमत का होता है। जिन सनातनियों के वोट ज्यादा हैं उन्हें खत्म करने की बात कह कर उनके ही वोट हासिल करने का कोई नुस्खा अगर इंडिया गठबंधन ने ईज़ाद कर लिया है तो उसे सियासत में सदी अजूबा माना जाएगा। द्रविण मुनेत्र कागझम (डीएमके) पार्टी शासित तमिलनाडु से सनातन को समाप्त करने की बात उठी है। यह मुद्दा चुनाव में भाजपा की मदद करने वाला साबित हो तो हैरत नही होगी। मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ सनातन विरोध की राजनीति से सबसे ज्यादा परेशान हैं। कमलनाथ और “उनकी” कांग्रेस को लगता है राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से लेकर गठबंधन के सनातन विरोधी मप्र में उनकी जीती हुई बाजी को पलटने वाला काम कर रहे हैं। जब भाजपा समर्थक हिन्दू राष्ट्र की बात कर रहे हों ऐसे में सनातन विरोध का बचाव करना टीम कमलनाथ – दिग्विजयसिंह के लिए कठिन हो रहा है।

अभी तक इस बेहद नाजुक मुद्दे पर उनका सीधा कोई बयान नही आया है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के खुद बहुत बड़े हनुमान भक्त हैं। उन्होंने भव्य और विशाल हनुमान प्रतिमा की स्थापना की है। साथ ही अनेक बार सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करवा चुके हैं। भाजपा के हिदुत्व के मुकाबले सॉफ्ट हिदुत्व का रास्ता अपनाकर भाजपा को चिंता में डाल रखा है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी पक्के सनातनी हैं। धार्मिक आचरण और भक्ति भाव में वे भाजपा के दिग्गज नेताओं से पीछे नही हैं। नवरात्रों में देवी भक्ति से लेकर नर्मदा जी लेकर गिरिराज जी की परिक्रमा, राधाकृष्ण की भक्ति किसी से छिपी नही है। सनातन के मुद्दे पर कई बार ये नेता भाजपा को पीछे छोड़ते दिखते हैं। कमलनाथ जी ने तो हिंदू राष्ट्र की वकालत करने वाले कथावाचक आचार्य धीरेंद्र शास्त्री की कथा कराकर सबको चकित कर दिया था। कुल मिलाकर टीम कमलनाथ-दिग्विजयसिंह भाजपा को 2018 के विधानसभा चुनाव की भांति कड़ी टक्कर देते दिख रहे हैं और ऐसे में सनातन विरोध के बयानों ने उनकी मेहनत पर पानी सा फेर दिया है। इस पर कांग्रेस को जो नुकसान हो रहा है उसकी भरपाई करना आसान नही होगा। दरअसल साधु और संत समाज भी सनातन विरोध के मुद्दे पर गांव-गांव सक्रिय होगा और इसका सीधा खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ेगा।

भाजपा 2018 की हार से सतर्क थी और सीएम शिवराज सिंह चौहान आधी आबादी के रूप में महिला मतदाताओं के भाई और बेटा – बेटियों से मामा भांजे भांजियों का रिश्ता जोड़ पूरे चुनाव को इमोशनल ट्रेक पर ले जा रहे हैं। यही कारण है कि लाडली कन्याओं के बाद हर महीने साढ़े बारह सौ रुपये से तीन हजार रु तक लाडली बहनों देने का खर्चीला कार्यक्रम शुरु किया है। टीम कमलनाथ इसकी काट खोज रही थी कि अध्यक्ष खड़गे और उनके पुत्र प्रियंक के सनातन विरोधी बयान ने परेशान कर दिया है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पुत्र उदय निधि स्टालिन, पूर्व मंत्री ए राजा का यह कहना कि सनातन धर्म, एचआइवी (एड्स)डेंगू और मलेरिया की तरह खतरनाक है इसे खत्म किया जाना चाहिए। इसका समर्थन खड़गे पुत्र प्रियंक ने कर दिया। इसके पहले एक सभा में मल्लिकार्जुन खड़गे भी कह चुके हैं कि मोदी को जिताया तो देश मे सनातन का राज हो जाएगा। बिहार में नीतीश कुमार सरकार के एक मंत्री चंद्रशेखर ने विष वमन करते हुए कहा कि रामायण तो पोटैशियम साइनाइड की तरह जहरीली है। अब भला बताइए जिस देश में राम और रामायण लोगों की आस्था के इतने बड़े केंद्र है कि उस पर सवाल जीवन मरण का प्रश्न हो जाते हैं। ये सब नेतागण और उनकी पार्टी कांग्रेस वाले इंडिया गठबंधन में है। इस पर कांग्रेस ने ऐसे बयानों की आलोचना करने के बजाए चुप्पी साध ली। यही खामोशी एमपी में कांग्रेस की सरकार में वापसी करने के मिशन में रोड़ा बनती दिख रही है। बहुत से सनातनी कांग्रेसजन कह रहे हैं अब हमें दुश्मन ढूंढने की क्या जरुरत है। खैर आने वाले दिन इस मुद्दे बहुत अहम होने वाले हैं।

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