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सनातन धरम के हिन्दू ठेकेदार…!

भोपाल। द्रविड़ मुनेत्र कडगम के मंत्री उदयनिधि के कथन पर बीजेपी ने इंडिया गठबंधन के दलों से जवाब तलब किया है। उन्होंने कहा था की डेंगू की भांति सनातन का विरोध नहीं करना, वरन निर्मूल करना है। वाकई में यह बयान ना तो उचित है और ना ही किसी को ऐसा बोलना चाहिए। परंतु बीजेपी और मोदी भक्तों ने जिस प्रकार इस ब्यान मात्र को राजनीतिक चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं – वह भी उतनी ही अनुचित और गलत है। पहले तो उस प्रष्टभूमि को जानना जरूरी है – जिसमें डीएमके निकला है। तमिलनाडु में सदियों तक ब्राह्मणों के पिछड़ी जातियों के शोषण के कारण रामस्वामी नायकर ने सनातन धरम की परंपराओं के विरोध में द्रविड़ कडगम आंदोलन चलाया। जो सबसे बड़ा और प्राभावी सामाजिक आंदोलन सिद्ध हुआ।

मद्रास प्रेसेडेन्सी में काँग्रेस के राजनीतिक संगठन जहां समाज का उच्च वर्ण के ब्राह्मण और चेट्टियार लोग शामिल थे। वहीं वानियन आदि अन्य पिछड़ी जातियों का महा संगठन था। 1935 के आंतरिक चुनावों में भी नायकर के लोगों ने भाग लिया। ये लोग मंदिर और मूर्तिपूजा और कर्मकांडों का विरोध करते थे और करते हैं। इनकी विचारधारा और आस्था में मंदिर और मूर्तिपूजा का बहिष्कार करना है। क्ड्गम अनुयाई कर्मकांडों का यहां तक विरोध करते है कि वे अपने परिजनों का दाह संस्कार नहीं करते हैं वरन उन्हंे समाधि देते हैं। जिसे आरएसएस और भक्त जन उनके सनातन धर्मी या हिन्दु होने पर ही संदेह करते हैं। याद करे मुख्यमंत्री रही तमिलनाडु की जय ललिता कर्नाटक के ब्राह्मण परिवार में जन्मी थी – परन्तु बाद में उन्होंने कडगम विचारों को अपना लिया जिस कारण उनका दाह संस्कार नहीं किया गया। ऐसा ही कर्नाटक की पत्रकार गौरी लंकेश के भी मामले मंे हुआ। जिसकी हत्या हिन्दू अतिवादियों ने गोली मारकर की थी। उनको भी समाधि दी गयी थी।

दक्षिण के ब्राह्मणों के अत्याचार की कहानी केरल के नंबुदरी ब्रांहणों द्वारा नायर और इतर जातियों के महिलाओं पर खुली छाती रखने की अनिवार्यता थी जिससे गैर ब्राह्मण महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर खुली छाती रखने बाध्यता थी। राजसत्ता भी इस अन्याय का दर्शक थी। जब एक इडवा जाति की एक महिला ने इन ब्राह्मणों द्वरा छाती ढांकने का जुर्माना वसूल करने की जिद पर उसने अपने स्तनों को ही काट कर दे दिया। इस घटना ने गैर ब्राह्मणों में आक्रोश भर दिया। तब त्रिवंकुर के नायर राजा ने ब्राह्मणों के विरोध के बाद इस टैक्स को वापस ले लिया और नंबुदरी ब्राह्मणों के अन्याय को खतम किया। यहां यह बता देना समीचीन होगा कि आदिगुरु शंकराचार्य भी नंबुदरी ब्राह्मण थे। टीपू सुल्तान ने भी उन ब्राह्मणों को म्रत्यु दंड दिया था जो इस प्रथा को जारी रखे हुए थे। यह प्रचार कि टीपू ने ब्राह्मणों का वध किया, यह नहीं बताते कि क्यूं ऐसा किया। हकीकत यह है कि राजा की आज्ञा के बावजूद समाज में अपना वर्चस्व बनाए रखने के किए किया गए प्रयास का दंड दिया था।

अब इस प्रष्टभूमि में कडगम को समझना होगा। अब बात करंे सनातन और हिन्दू धरम के ठेकेदारों संघ और सरकार के नेताओं के बयानों से, संघ के चितपावन ब्राह्मणों की नाराजगी को समझा जा सकता है। क्यूंकि सनातन धरम या हिन्दू धरम के मानने वालों में इस गैर बराबरी और शोषण का एहसास ही नहीं होगा। सदियों के अत्याचार को सहते हुए जाति और समाज के लोगो के विद्रोह को समझना होगा।

गौरी लंकेश और उनके पिता द्वारा प्रकाशित साप्ताहिक पत्रिका में कर्नाटक की बदनाम श्रीराम सेना के हुड़दंग और कथित हिंदुवादी कल्चर को थोपने की खिलाफत करने के कारण हत्या की गयी। होटलों और रेस्तरां में लड़के – लड़कियों को मारना और उनसे पैंट शर्ट नहीं पहनने को कहना ही इस बदनाम सेना का काम था।
इस संदर्भ में सीधी में (मध्यप्रदेश) में आदिवासी युवक के मुंह और शरीर पर बीजेपी विधायक के संबंधी द्वारा पेशाब किया जाना, वैसा ही था जैसे मणिपुर में कुकी महिला को भीड़ द्वारा नंगे ले जाने और बलात्कार करने की घटना का वीडियो वाइरल होने पर हुआ। मध्यप्रदेश में ही सिंगरौली में चार सनातन धरम के ब्राह्मण पत्रकारों पर वहां के थानेदार ने यही क्रत्या (पेशाब सरे आम करना) किया गया। मुरैना में कुछ समय पूर्व अनुसूचित जातियों के शव को अपने खेतों से निकालने पर ठोंका था। पानी भरे रास्ते में इन छोटी जातियों को बाहुबलियों ने जाने पर मजबूर किया। तमिलनाडु के पार्वतीपुरम में एक गांव के सवर्ण लोगों ने छोटी जातियों के लोगों के मंदिर प्रवेश पर रोका था। जब ज्यादा तनातनी हुई तब जिलाधिकारी ने गांव के उन लोगों को बताया कि अगर वे मंदिर में जाने से किसी को भी रोकेंगे तब उनके खिलाफ छुआछूत कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी। वहीं एक-दूसरे गांव में जिसमें अनुसूचित जाति की आबादी बहुलता में थी, वहां के पेयजल की टंकी में कुछ तत्वों ने मानव मल मिला कर दूषित कर दिया। जिस पानी को पीकर दर्जनों बच्चे बीमार हो गये। तब प्रशासन ने जांच कराई तब इस गंदी हरकत का पता चला। आइये योगी जी के उत्तर प्रदेश की ताज़ी घटना के बारे में बात करते हंै जिसमे एक महिला सिपाही –जो सुलतानपुर में तैनात थी, और जिसे अयोध्या के मेले में ड्यूटी पर भेजा जा रहा था उसकी इस दो घंटे की यात्रा उसके जीवन की सबसे भयानक दास्तान बन गयी। जब वर्दी पहने इस महिला पुलिस के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। नंगी अवस्था मे उसे रेल के डिब्बे में पाया गया। घटना की भीषणता को देखते हुए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने स्वतः संज्ञान लेकर योगी सरकार से इस घटना पर जवाब मांगा है।
इन घटनाओं पर सनातन धरम के पैरोकारों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। ना ही गृह मंत्री अमित शाह या नड्डा अथवा राजनाथ सिंह कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। ऐसे नेता गण किस अधिकार से इंडिया गठबंधन के दलों से उदयनिधि के बयान पर ही प्रतिक्रिया और जवाब मांग रहे हैं अरे खुदरा फजीहत – डिगरा नसीहत वाली बात हुई। और तो और नए बने तीर्थ अयोध्या के एक भगवाधारी जटाजूटधारी सन्यासी ने उदयनिधि का काट कर लाने वाले को 10 दस करोड़ रुपये का इनाम घोषित किया है। अब इस पर उत्तर प्रदेश सरकार कोई कार्रवाई नहीं करेगी। ऐसे लोग किस मुंह से दूसरे से जवाब मांग सकते है जिनकी कथरी में बहत्तर छेद।

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