संघ-भाजपा महापुरूषों ने उसी तबलीगी जमात के सरपरस्त को दो-दो बार राष्ट्रीय सम्मान देकर, तथा अन्य विविध संसाधन सहयोग देकर उस का हौसला बढ़ाया है। यह कैसी वीभत्स नीति है!अर्थात, हिन्दुओं की ही अन्य पार्टियों के प्रति विषैला दुष्प्रचार करना, और खुद जिहादी तत्वों को पुरस्कृत, संसाधित, उत्साहित करना। ऐसे लोगों को जो किसी भी तरह से गैर-मुस्लिमों का खात्मा ही अपना लक्ष्य मानते हैं। … यह नजारा संघ-परिवार के बारे में सीताराम गोयल के अवलोकन की सिहरा देने वाली पुष्टि है।
कांग्रेस को हमास, बोको हराम, लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल्ला, आइसिस, तालिबान जैसा बताकर ‘हिन्दुओं सावधान’ – इस आशय के मीम अभी सोशल मीडिया पर चलाये जा रहे हैं। बिना हस्ताक्षर, बिना स्त्रोत उल्लेख के। यानी, किसी छिपे आईटी सेल का माल। (क्या सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग, या महामहिम को ऐसे भड़काऊ दुष्प्रचार का संज्ञान ले और स्त्रोत का पता लगा कर रोकना व दंडित नहीं करना चाहिए?)
बहरहाल, न तो कांग्रेस कोई इस्लामी संगठन है, न ही उक्त इस्लामी संगठन अपने-अपने देशों के दुश्मन हैं। वे सभी अपने चिर-चिन्हित शत्रुओं यानी काफिरों, तमाम गैर-मुस्लिमों के विरुद्ध हैं। सो उन से कांग्रेस पार्टी की तुलना हर तरह से अनर्गल है। पर ऐसे प्रचार द्वारा उन इस्लामी संगठनों से हिन्दुओं की सहज वितृष्णा को किसी तरह कांग्रेस के विरुद्ध मोड़ने की नीचता की गई है। अर्थात, हिन्दुओं के ही एक हिस्से के विरुद्ध दुष्प्रचार!
ऐसे प्रचार के प्रेरक संचालक खुद को ‘विश्वनेता’, ‘विश्वगुरू’ आदि समझने वाले संघ-भाजपाई अपने मुँह मिट्ठू ही हो सकते हैं। यह ऐसे प्रचार करने वालों के अन्य मीम से भी पुष्ट होता है। पर, तनिक विचार करें तो यह कैसी भयावह मूढ़ता है!
एक तो, उन अंतरराष्ट्रीय इस्लामी संगठनों में तबलीगी जमात भी शामिल है, जिन्हें कांग्रेस नहीं बल्कि संघ-भाजपा महापुरूषों ने ही पुरस्कृत किया है। तबलीग कई देशों में प्रतिबंधित है। क्योंकि इस जमात से अनेक इस्लामी आतंकी संगठनों को रंगरूट मिलते हैं। यह जमात खुद हिंसक जिहाद नहीं करती, पर जिहादी आतंक बरपा करने वालों को प्रेरणा और रंगरूट मुहैया कराती रही है। न केवल पाकिस्तान, अरब, एशिया, यूरोप में बल्कि भारत में भी। संघ-भाजपा महापुरूषों ने उसी तबलीगी जमात के सरपरस्त को दो-दो बार राष्ट्रीय सम्मान देकर, तथा अन्य विविध संसाधन सहयोग देकर उस का हौसला बढ़ाया है। यह कैसी वीभत्स नीति है!
अर्थात, हिन्दुओं की ही अन्य पार्टियों के प्रति विषैला दुष्प्रचार करना, और खुद जिहादी तत्वों को पुरस्कृत, संसाधित, उत्साहित करना। ऐसे लोगों को जो किसी भी तरह से गैर-मुस्लिमों का खात्मा ही अपना लक्ष्य मानते हैं।
यह नजारा संघ-परिवार के बारे में सीताराम गोयल के अवलोकन की सिहरा देने वाली पुष्टि है। यह अवलोकन कि (१) ‘संघ के नेता पृथ्वी पर वज्रमूर्खों का सब से बड़ा संग्रह’ हैं, (२) ‘संघ-परिवार हिन्दू समाज को ऐसे गढ्ढे में ले जा रहा है, जिस से यह संभवतः निकल न सकेगा’, और इसलिए (३) ‘यदि संघ-भाजपा का नाश न हुआ तो हिन्दू समाज का नाश निश्चित है’।
अभी संघ-भाजपा के चालू प्रोपेगंडा और क्रियाकलापों से यह तीनों अवलोकन चरितार्थ हो रहे हैं। कोई भी इस का परीक्षण-मूल्यांकन कर सकता है।
आखिर, घोषित जिहादी समूह के लिए विशेष ‘मंच’ बनाकर, उसे इमारतें, इमदाद, पेंशन, आदि प्रदान करना – जबकि अन्य दलों के समर्थक हिन्दुओं को नित्य अपमानित करने वाले वज्रमूर्ख नहीं तो क्या हैं! याद रहे कि प्रोफेट मुहम्मद ने जिहाद सभी मुसलमानों के लिए सर्वश्रेष्ठ कर्तव्य बता रखा है! जिहाद का अर्थ भी कुरान (९:१११) में साफ-साफ लिखा है: ‘कत्ल करना और कत्ल होना’। इसलिए, किसी भी इस्लामी संगठन को संसाधन देना जिहाद को मदद देना है। चाहे वह संगठन तत्काल कुछ भी कर या न कर रहा हो।
सो, संघ-भाजपा नेता एक ओर बाकायदा मस्जिदें, मदरसे बनवा रहे हैं। दूसरी ओर, उन के अंधभक्त अन्य दलों के विरुद्ध हर तरह के दुष्प्रचार कर रहे हैं। यही वज्रमूर्ख दूसरे हिन्दुओं के विरुद्ध ही झूठी और नीच बातें लिख कर ‘हिन्दू एकता’ की नारेबाजी भी करते हैं! जरा सोचिए।
आखिर, कांग्रेस, जनता दल, शिव सेना, आम आदमी पार्टी, आदि अनेक दल हिन्दुओं के ही हैं। सिंधिया परिवार की तरह असंख्य हिन्दू रहे हैं जिन के कोई सदस्य कांग्रेस तो कोई भाजपा के नेता, समर्थक, या वोटर हैं। तब किसी हिन्दू को केवल इसलिए नीच, देशद्रोही, आदि कहना क्योंकि वह भाजपा समर्थक नहीं – यह कैसी कुबुद्धि है!
यदि कोई ‘भाजपा समर्थन’ की कसम खाए हैं तो शौक से रहे, पर न भूले कि उस के भाई, संबंधी, सहकर्मी हिन्दुओं को भी ईश्वर ने विवेक और संविधान ने अधिकार दिया है। जिस से वे तय कर सकते हैं कि कौन पार्टी कितने पानी में है। किन्तु यदि कोई सब को संग्रहीत वज्रमूर्खों के अनुकरण में घसीटना चाहें, तो याद रखे – यह करके वह हिन्दू समाज को ही और खंडित, असहाय, और इस्लामियों का भविष्यत आसान शिकार बना रहा है। जैसे गाँधी ने पंजाब, बंगाल, सिंध के करोड़ों हिन्दुओं को बनाया था। पहले अपनी तानाशाही नेतागिरी की अंधी भक्ति की माँग की, और जब जिहादी हिंसा की आँच तेज लगने लगी, तो हाथ उठाकर, पीठ दिखाकर बिरला भवन की गद्दी से पश्चिमी पंजाब, पूर्वी बंगाल के हिन्दुओं को मर जाने का प्रवचन दिया! साफ भूलकर कि खुद उन्होंने उन हिन्दुओं को क्या वचन दिया था…।
इस प्रकार, यह भी सीताराम जी ने अनुभव से चेताया था कि रा.स्व. संघ के नेतागण हिन्दू समाज को गाँधी से भी बड़ा धोखा देंगे।
यह अनायास नहीं है कि संघ नेताओं ने अपना पुराना रिकॉर्ड गायब करने, और नया कुछ भी ऑन-रिकॉर्ड न बोलने का तरीका बना लिया है। केवल मौखिक, अंतर्विरोधी बातें और अदृश्य आईटी सेल के झूठे प्रचार द्वारा पार्टीबंदी और ब्राह्मण-विरोधी जहर फैला रहे हैं। इस तरह, हिन्दू समाज को ही बाँट कर लड़ा रहे हैं। इन कुकृत्यों से केवल जिहाद को सहायता मिल रही है। हिन्दू आपसी पार्टीबंदी में फँसे रहें, तो इस्लामियों से अधिक कौन फायदा उठाएगा?
एक अनुभवी संपादक ने संघ-परिवार की ऐसी विचित्रता पर ही लिखा है: “कुंठा और शर्मिंदगी उन को हमेशा घेरे रहती है। जब भी आजादी की गौरवगाथा गाई जाती है, उस के नायकों की बात होती है तो उस में इन का कहीं जिक्र नहीं आता है। संघ और भाजपा सहित उस के तमाम अनुषंगी संगठनों को पता है कि अगर आजादी की लड़ाई इतनी गौरवशाली बनी रही तो वे भले सरकार बना लें और लंबे समय तक सरकार में बने रहें लेकिन आम लोगों के दिलों में या इतिहास में वह जगह नहीं मिलेगी, जो कांग्रेस, समाजवादियों और यहाँ तक कि कम्युनिस्टों को भी हासिल है। संघ ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा नहीं लेने और अंग्रेजों का साथ देने के अपने इतिहास को दूसरे कामों से ढकने का बहुत प्रयास किया। …” (नया इंडिया, २१ नवंबर २०२१)
दूसरी ओर, ‘हिन्दुत्व’ की कथित झंडाबरदारी की असलियत यह है कि १. भाजपा का कोई दस्तावेज अपने को हिन्दुओं का पैरोकार तक नहीं कहता, हिन्दू पार्टी कहना तो दूर रहा! २. सभी भाजपा नेता, कथनी-करनी में उसी सेक्यूलरिज्म के सेवक हैं जो कांग्रेसी और वामपंथी ही पहले से हैं। अर्थात, मुस्लिम-तुष्टीकरण करते हुए हिन्दुओं को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाए रखना। आज भाजपा के बड़े-बड़े नेता अपने ठोस कामों का हवाला दे बढ़-चढ़कर मुस्लिम-सेवा का ही दावा दुहराते हैं।
अतः कांग्रेस वैसी ही हिन्दू पार्टी है, जैसी भाजपा। बल्कि भाजपा के अनुसार ही कांग्रेस मुस्लिमों को ‘ठगती’ रही है। सो, अर्थ यही हुआ कि भाजपा के पतन से हिन्दुओं का पतन नहीं हो जाएगा। बल्कि, सीताराम गोयल के अनुभव पर भरोसा करें तो वही हिन्दुओं के हित में है!
जिन्हें यह उलटबाँसी लगे, वे सीताराम गोयल का वांगमय उलट कर देखें। यदि सीताराम जी के अन्य सभी विश्लेषण, अवलोकन, और निष्कर्ष समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं तो निश्चित ही संघ-परिवार के बारे में भी उन के सही होने की संभावना अधिक है। वस्तुत: यह बात संघ-भाजपा के नेता ही नियमित रूप से दिखा रहे हैं। बस, दीदावर चाहिए!