केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि जनता को यह जानने का हक नहीं है कि राजनीतिक दलों मतलब भाजपा को मिलने वाला चंदा कहां से आ रहा है, कौन दे रहा है! इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी चेतावनी दी है कि वह नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप नहीं करे। अर्थात इलेक्टोरल बांड के नियम आदि बनाने या समझने की कोशिश नहीं करे।… अब प्रगति का अर्थ भी बदल दिया गया है। बताया जाता है कि मोदी जी आप पर जो शासन कर रहे हैं वह आपका सौभाग्य है। हर हर मोदी का नारा लगा ही था।
हम भारत के लोग… संविधान की प्रस्तावना में लिखा यह शब्द ऐसे ही रहेगामगर हकीकत है जो लोगों का अर्थ नागरिक नहीं बल्किमानों प्रजा है। भला आज जो भक्त है वह प्रजा जैसे ही व्यवहार करते हुए है। सोचने समझने से महरूम। केवल जय जयकार करने वाली, जयकारा लगाने वाली और आज्ञाकारी। केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि जनता को यह जानने का हकनहीं है कि राजनीतिक दलों मतलब भाजपा को मिलने वाला चंदा कहां से आ रहाहै, कौन दे रहा है! इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी चेतावनी दी है कि वह नीतिगत मामलों मेंहस्तक्षेप नहीं करे। अर्थात इलेक्टोरल बांड के नियम आदि बनाने या समझने कीकोशिश नहीं करे।
इसे आप तानाशाही भी कह सकते हैं। जनता को और आसान शब्दों में समझाने केलिए जिसकी लाठी उसकी भेंस भी कह सकते हैं और जो हम कह रहे हैं कि आजाद भारत के अधिकारप्राप्त नागरिकोको वापिस राजा की आज्ञाकारी प्रजा बनाने की मुहिम भी कह सकते हैं। कॉलम को लिखने के आज के दिन इन्दिरा गांधी की पुण्य तिथि भी है। तो उनकेशब्द याद आ गए। वे हमेशा कहती थीं ये दक्षिणपंथी, प्रतिक्रियावादी,सांप्रदायिक और पूंजीवादी ताकतें। शायद कांग्रेस के कुछ पुराने लोगों को याद हो। वैसे संभावना तो कम ही है क्योंकि कांग्रेसी अपने मतलब के अलावाऔर कुछ याद नहीं रखते हैं। मगर उन्हें उनके मतलब पूरे करने के लिएइन्दिरा गांधी ने सबसे लंबे समय तक सत्ता सुख दिया । मगर फिर भी वे कभी संतुष्टनहीं हुए और जहां मौका मिला, सत्ता की संभावना दिखी वहां भागे।
इन्दिरा गांधी के बाद राजीव गांधी को गिराने वाला कोई और नहीं खुद कांग्रेसी ही थे। भाजपा और दूसरे लोग तो बाद में राजीव गांधी के खिलाफ आए। उन पर पहला झूठा आरोपतो उनके नजदीक रहे विश्वनाथ प्रताप सिंह ने ही लगाया। किसी कोर्ट मेंकहीं भी बोफोर्स साबित नहीं हुआ। वीपी सिंह को भी बाद में सोनिया से माफीमांगनी पड़ी। मगर उससे क्या? राजीव गांधी की जान तो जा चुकी थी! एकबहादुर नेता जिसने देश को इक्कीसवीं सदी में प्रवेश कराया वक्त से आगेसोच रखने वाला विश्वासघात से मारा गया। अगर वे प्रधानमंत्री होते एसपीजीहोती तो क्या उनकी हत्या की साजिश सफल हो पाती? मगर अब इन सवालों काजवाब किसी के पास नहीं है। लेकिन एक सबक है कि कांग्रेस को अपने अंदर केविश्वासघातियों से बच कर रहना चाहिए। बाहर की ताकतें उसे कभी नहीं हरापाईं। मगर अंदर के विभिषणों ने उसे हमेशा मारा है।
थोड़ा विषयातंर हो रहा है। मगर यह समझने के लिए जरूरी है कि हम भारत केलोगों को नागरिक से आज्ञाकारी प्रजा बनाने में कांग्रेसियों का भी अप्रत्यक्षयोगदान है। कांग्रेस की कमजोरियों से ही भाजपा मजबूत हुई है। नहीं तो1984 के चुनाव में वह केवल 2सीटो पर सिमट गई थी। लेकिन दो साल बाद ही जब वीपीसिंह ने विश्वासघात किया तो उसके दिन बहुर गए। 1989 के चुनाव के बाद वहबाहर से सरकार चला रही थी। और प्रधानमंत्री वीपी सिंह गांधी जी की तरह बाल बनवाकर उनकी भाव भंगिमाओं की नकल करके फोटो बनवा रहे थे। उस समयकी सबसे ज्यादा लोकप्रिय पत्रिका धर्मयुग में मुख पृष्ठ से लेकर अंदर तकविभिन्न मुद्राओं में अपने फोटो छपवा रहे थे। भाजपा के लिए वे उस समय केअन्ना हजारे थे।
बाद में असली अन्ना हजारे भी आ गए। सन् 2004 में सोनिया गांधी जिसमेहनत और प्रतिबद्धता से कांग्रेस को सत्ता में लाई थीं उसका सहस्त्रांशभी कांग्रेसियों ने नहीं समझा। नेता सत्ता में आने के बाद खाने-कमाने में जुट गए। सत्ता सोनिया केहाथ में नहीं थी उनके पास केवल विचार था। वे पार्टी अध्यक्ष थीं। यूपीएअध्यक्षा भी। मगर महान कांग्रेसियों ने सरकार चलाने का ठेका खुद ही ले लियाथा। लेकिन जैसा कहा कि सोनिया गांधी के पास वह जवाबदेही की भावना थी कि मैंजनता से वादा करके आई हूं। उसे पूरा करना मेरी जिम्मेदारी है। और जानतेतो बहुत लोग हैं मगर जिन्हें याद है वे सबके सामने नहीं तो खुद अपने जमीरके सामने तो स्वीकार करेंगे कि सोनिया के किसान कर्ज माफी, मनरेगा,आरटीआई, महिला आरक्षण का कांग्रेसियों ने ही कितना विरोध किया था। वरिष्ठमंत्रियों से लेकर संगठन के बड़े नेताओं तक ने। मगर सोनिया की एक बात
मानना पड़ेगी कि उनकी देश की जनता के लिए जो प्रतिबद्धता थी उसके सामनेवे किसी को नहीं मानती थीं। उन्होंने धीरज से लगातार लगे रहकर सारेजनहितकारी कानून पास करवाए। सख्ती करना उनके स्वभाव में नहीं था। उसकालोगों ने मतलब कांग्रेसियों ने खूब फायदा उठाया। 2009 तो कांग्रेस किसान कर्ज माफी और मनरेगा की वजह से जीत गई। मगर नेताऔर अहंकारी और स्वार्थी हो गए।
अब वह बात बताते हैं जहां से शुरू किया था कि अब सरकार सुप्रीम कोर्ट सेकह रही है कि चंदा कहां से आ रहा है इससे आपको और जनता को मतलब नहीं होनाचाहिए। और यूपीए के समय की सच्ची घटना आपको बताते हैं कि संगठन के एकबड़े नेता एक बड़े मंत्री के पास पार्टी के काम के लिए कुछ पैसा मांगनेगए। मंत्री जी एकदम गुस्से में आ गए। अंग्रेजी में चिल्लाए एम आई अथीफ… थीफ! बेचारे नेता जी भागे। यह हाल था तब।
सरकार पर से सोनिया गांधी का नियंत्रण कम होने लगा था। हर नेता यह सोचता था कि2009 की जीत उसी की वजह से है। प्रणव मुखर्जी राष्ट्रपति बन गए। उसी समय2012 में इसे भाजपा ने अपनी जीत माना था। अरुण जेटली ने हमसे कहा था नानसोनिआइट राष्ट्रपति बनना मतलब हमारा ही बनना है। और बाद में नागपुर संघमुख्यालय जाकर प्रणव मुखर्जी ने इसे सही साबित भी किया। सरकार और पार्टीकमजोर होने लगी। और 2014 में ढह गई।
तो अपने ही अहंकार और स्वार्थों से हारी कांग्रेस ने भाजपा को यह मौकादिया कि वह जनता के लिए स्थान सीमित करती जाए। मंगलवार को राहुल कह रहेहैं कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार की जान अडानी में है। राहुललगातार लड़ रहे हैं। जनता का हर सवाल उठा रहे हैं। और दूसरी तरफ मोदी जीजनता का कान्सेप्ट ही खत्म कर रहे हैं। जैसे रेल्वे का प्राइवेटेशन करकेजनता के लिए चलने वाली जनता गाडियां बंद हो गईं ऐसे ही जनता का भी अबनिजीकरण करके उसे उद्योगपतियों के हाथों में सौंपा जा रहा है। नारायणमूर्ति का युवाओं से सप्ताह में 70 घंटे काम करवाने का प्लान यही है।
युवा सोचना समझना भी बंद कर दें। प्रजा बन जाएं। फिर बंधुआ मजदूर।राजपथ का नाम बदलकर इसीलिए कर्तव्य पथ रखा था। अधिकार पथ नहीं। अभीदीवाली से पहले हर सरकार रेल्वे और दूसरे विभागों के कर्मचारियों को बोनसदेती है। करीब चार दशकों से रेल्वे में बोनस मिल रहा है। मगर अब इसे मोदीजी का तोहफा बताया जाता है। महंगाई भत्ते को भी। महंगाई क्यों बढ़ रही हैयह कोई पूछने वाला नहीं है। मगर जब डीए बढ़ता है और यह आटोमेटिक है। औरयह आज से नहीं अंग्रेजों के समय से दिया जा रहा है। मगर अब यह भी मोदी जीका तोहफा है।
जनता को हमेशा कृतज्ञ होना चाहिए, का देश में माहौल बनाया जा रहा है। जबकि आधुनिकराज्य व्यवस्था कहती है कि जनता जितनी जागरूक होगी देश और समाज उतनीप्रगति करेगा। मगर अब प्रगति का अर्थ भी बदल दिया गया है। बताया जाता है कि मोदी जी आप पर जो शासन कर रहे हैं वह आपका सौभाग्य है। हर हर मोदी का नारा लगा हीथा। अब उनके नाम पर गुजरात में क्रिकेट स्टेडियम और अभी रैपिडेक्स ट्रैनका नाम बदलकर नमो भारत रखा गया है।