राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

एक के बाद एक विमान हादसों का क्या सबक?

south korea plane crashImage Source: ANI

south korea plane crash: ताजा विमान हादसे ने दुनिया भर के हवाई यात्रियों और विमानन विशेषज्ञों के मन में एक बार फिर से कई तरह के सवाल उठा दिए हैं। क्या हवाई यात्रा प्रदान करने वाली एयरलाइन कंपनियाँ यात्री सुरक्षा के साथ समझौता तो नहीं कर रहे? क्या विमान कंपनियों और एयरलाइंस पर निगाह रखने वाले नागरिक उड्डयन मंत्रालय व उसके अधीन विभाग यात्री सुरक्षा और विमानों के रख-रखाव में ढील तो नहीं बरत रहे? … हर देश के नागरिक उड्डयन मंत्रालय को गंभीरता से ही लेना चाहिए।

also read: बीएसएफ करा रही है घुसपैठ: ममता

सन् 2024 के आख़िरी सप्ताह में एक के बाद एक कई विमान हादसों की खबर आई। इनमें कई बेक़सूर लोगों ने अपनी जान भी गवाई।

परंतु जब भी कोई विमान हादसा होता है संबंधित जाँच विभाग दुर्घटना के कारणों की जाँच में जुट जाते हैं। ज़ाहिर सी बात है कि हादसे के जाँच होना तो लाज़मी है।

परंतु जब-जब विमान हादसे होते हैं और हादसों की जाँच की रिपोर्ट आती है, तो क्या वास्तव में इन रिपोर्टों से सबक़ लिए जाते हैं कि भविष्य में ऐसे हादसे न हों?

क्या विश्व भर के नागरिक उड्डयन मंत्रालय व उससे संबंधित विभाग और एयरलाइंस इन रिपोर्टों को गंभीरता से लेते हैं?

सबसे बड़ा व दर्दनाक हादसा

ताज़ा उदाहरण दक्षिण कोरिया के मुआन हवाई अड्डे पर हुए जेजु एयरलाइंस के हादसे का है। इस विमान में 179 यात्रियों और क्रू की दर्दनाक मौत हुई।

दक्षिण कोरिया के एविएशन इतिहास में यह अब तक का सबसे बड़ा व दर्दनाक हादसा माना जा रहा है। इस हादसे के पीछे पक्षी टकराने का कारण माना जा रहा है।

परंतु एविएशन के विशेषज्ञों के मुताबिक़ केवल पक्षी के टकराने से इतना बड़ा हादसा नहीं हो सकता।

ग़ौरतलब है कि जहां-जहां भी एयरपोर्ट बनते हैं वहाँ पर इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि किसी भी तरह के पक्षियों का बसेरा न बन पाए।

एयरपोर्ट की व्यवस्था में जुटे विभाग इस बात पर विशेष ध्यान देते हैं कि यदि किसी भी तरह के पक्षी एयरपोर्ट के आसपास दिखाई देते हैं तो वो न सिर्फ़ एटीसी को सावधान करते हैं बल्कि इस बात पर भी ध्यान देते हैं कि पक्षियों को वहाँ से दूर कैसे किया जाए।

लैंडिंग गियर खुल नहीं पाए

जेजु विमान हादसे का वीडियो देखने से यह बात स्पष्ट होती है कि विमान के लैंड होते समय विमान के लैंडिंग गियर खुल नहीं पाए।

तेज़ गति के इस विमान को रनवे से फिसलते हुए एक कंक्रीट के ढाँचे में भिड़ते हुए देखा गया, जिस पर भी सवाल उठ रहे हैं। दुनिया भर के एविएशन विशेषज्ञों द्वारा एक अन्य कारण पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

उनका मानना है कि विमान के हाइड्रोलिक सिस्टम को उपयोग में नहीं लाया गया।

उल्लेखनीय है कि ऐसे विमानों के डिज़ाइन में एक विशेषता है कि किसी भी आपात स्थिति में यदि विमान के हाइड्रोलिक सिस्टम काम नहीं करते हैं तो ऐसी स्थिति में पायलट के पास एक इमरजेंसी गियर भी होता है जिसकी मदद से विमान के लैंडिंग गियर को खोला जा सकता है।

ऐसा क्या कारण था जो कि इस फ्लाइट के पायलट ने लैंडिंग गियर को नहीं खोल पाया। विमान की बात करें तो इस विमान में भी अन्य विमानों की तरह दो इंजन थे। (south korea plane crash)

दि पक्षी के टकराने से एक इंजन फेल भी हो गया तो भी विमान के पास इतनी पॉवर होती है कि वह उसे सुरक्षित लैंड करवा सके। लेकिन ऐसा क्या हुआ और क्यों हुआ यह तो जाँच के बाद ही पता चलेगा।

विमान हादसे पर कई तरह के सवाल 

इस विमान हादसे ने दुनिया भर के हवाई यात्रियों और विमानन विशेषज्ञों के मन में एक बार फिर से कई तरह के सवाल उठा दिए हैं।

क्या हवाई यात्रा प्रदान करने वाली एयरलाइन कंपनियाँ यात्री सुरक्षा के साथ समझौता तो नहीं कर रहे?

क्या विमान कंपनियों और एयरलाइंस पर निगाह रखने वाले नागरिक उड्डयन मंत्रालय व उसके अधीन विभाग यात्री सुरक्षा और विमानों के रख-रखाव में ढील तो नहीं बरत रहे?

मुनाफ़ा कमाने की मंशा से एयरलाइन कंपनियाँ यात्री सुरक्षा से संबंधित किए जाने वाली नियमित जाँच-परख को केवल औपचारिकता के तहत ही कर रहे हैं?

क्या एयरलाइन के पायलट अपनी निर्धारित ड्यूटी को ही निभा रहे है या तय समय से अधिक, बिना ज़रूरी विश्राम के विमान को उड़ा रहे हैं?

यदि इनमें से किसी भी एक सवाल का उत्तर ‘हाँ’ है तो यह एक गंभीर विषय है जिसे हर देश के नागरिक उड्डयन मंत्रालय को गंभीरता से ही लेना चाहिए।

5 गुना बढ़ने की ट्रैफिक भढ़ने की संभावना

भारत की बात करें तो हमें ऐसे अनेकों उदाहरण मिल जाएँगे जहां देश के नागरिक उड्डयन मंत्रालय और उसके अधीन डीजीसीए किस तरह मामूली सी चूक होने पर किसी एयरलाइन के क्रू को बहुत कड़ी सज़ा देता है

वहीं किसी एयरलाइन की बड़ी-से-बड़ी गलती को भी अनदेखा कर देता है। फिर चाहे वो कोई निर्धारित एयरलाइन कंपनी हो या निजी चार्टर सेवा प्रदान करने वाली कंपनी।

यदि मंत्रालय के भ्रष्ट अधिकारियों ने मन बना लिया है कि वो क़ानून की धज्जियाँ उड़ा कर उस कंपनी के प्रति अपनी वफ़ादारी साबित करेंगे, तो वे ऐसा ही करेंगे।

एक अनुमान के तहत आनेवाले दो दशकों में भारत का नागर विमानन ट्रैफ़िक 5 गुना बढ़ने की संभावना है।

विमानों की सुरक्षा को प्राथमिकता(south korea plane crash)

यदि इस क्षेत्र में हमें एक अच्छी पहचान बनानी है तो नागरिक उड्डयन मंत्रालय, डीजीसीए व अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों को अपने स्वार्थों को दरकिनार करते हुए यात्रियों की सुरक्षा और एयरलाइन कम्पनी के विमानों की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी।

डीजीसीए के ‘एयर सेफ़्टी डिपार्टमेंट’, ‘फ्लाइट स्टेण्डर्ड्स डिपार्टमेंट’, ‘एयरक्राफ्ट इंजीनियरिंग’ व ‘एयरवर्थिनेस डिपार्टमेंट’ जैसे विभागों को विमानों की जाँच के हर पहलू को कड़ाई से लागू करने को गम्भीरता से लेना होगा।

ऐसा करने से एक ओर हवाई यात्रा करने वाले यात्री अपने को सुरक्षित महसूस करेंगे। वहीं दूसरी ओर एयरलाइन कम्पनियों को भी इस बात का ख़ौफ़ बना रहेगा कि छोटी सी भूल के चलते उनके ख़िलाफ़ कड़ी कार्यवाही भी हो सकती है।

By रजनीश कपूर

दिल्ली स्थित कालचक्र समाचार ब्यूरो के प्रबंधकीय संपादक। नयाइंडिया में नियमित कन्ट्रिब्यटर।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *