राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार
AIPDM Website Banner

ट्रम्प के राष्ट्रपति होने के अर्थ दुनिया को डराना

Donald TrumpImage Source: ANI

भोपाल। संयुक्त राज्य अमेरिका के 45 वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने वाले डोनाल्ड ट्रम्प ने बिना वक्त गवाए धड़ाधड़ अपने फैसलों की घोषणा भी कर दी। सबसे पहले तो उन्होंने कहा कि अमेरिका का स्वर्ण युग प्रारंभ हो गया है। मतलब उनके पूर्व के राष्ट्रपतियों का देश के निर्माण और विकास में कोई महत्वपूर्ण योगदान था ही नहीं। आमतौर पर किसी भी देश में कौन सा शासन काल स्वर्ण युग था यह बाद के इतिहास में आँकलन किया जाता रहा हैं, परंतु ट्रम्प का बड़बोलापन कहंे अथवा स्वयंभू होने का अभिमान उन्होंने खुद से ही अपने शपथ ग्रहण के दिन ही यह बात दिया कि देश में अब स्वर्णकाल आ गया हैं। दूसरा उन्होंने कहा अब अमेरिका में सिर्फ नर और नारी ही होंगे।

अर्थात किन्नर या जिन्हें हम नेऊटर जेंडर कहते हैं उनका कोई स्थान नहीं हैं। अब सवाल हैं कि प्रकृति ने तीन प्रकार के मानव बनाए है परंतु ट्रम्प साहब अपने फरमान से प्रकृति के इस व्यवस्था को केवल नर एवं नारी में विभाजित किया हैं। उनके पूर्व के राष्ट्रपतियों के समय मे नेऊटर जेंडर के सेना में भर्ती होने को मान्यता दी गई थी उसका क्या होगा यह बाद में निश्चय किया जाएगा। विश्व में तीसरे विश्व युद्ध के खतरे का जिक्र करते हुए कहा कि हमारी सेनाए अब केवल अपने देश के शत्रुओ के विनाश के लिए काम करेंगी, अनचाहे युद्ध में अमेरिका अब नहीं उतरेगा।

अमेरिका में अब संघ एवं राज्यों में पूर्ण पारदर्शिता के लिए उन्होंने किसी भी प्रकार के सेंसरशिप को खतम किए जाने की घोषणा की। केवल इस फैसले से वहां के मीडिया संस्थानों को अपनी बात सार्वजनिक रूप से रखने की आजादी तो मिल गई हैं। ट्रम्प की सारी घोषणाओं को एक ओर रखे और इस फैसलों को दूसरे पलड़े मंे रखे तो वह भारी होगा। हालांकि यह आजादी कितने दिन किस स्वरूप में होगी, यह कहना मुश्किल है। आंतरिक कानून व्यवस्था के लिए उन्होंने सभी अपराधी माफियाओं के लिए सन 1700 के एक कानून का सहारा लेते हुए उनके विरुद्ध कार्रवाई करने का संघीय आदेश की भी घोषणा की। इसके तहत ड्रग और मानव तस्करी मे लिप्त गैंग इस आदेश के शिकार होंगे। साथ ही उन्होंने मेक्सिको और दक्षिणी राज्यों से आने वाले अवैध शरणार्थियों को वापस उनके देश भेजे जाने के लिए आदेश को कड़ाई से पालन किए जाने की बात कही।

अभी यह उन लोगों पर ही लागू होगा जो बिना दस्तावेज़ों के अमेरिका मे प्रवेश करते थे। इन शरणार्थियों की संख्या करोड़ों में हैं। ये लोग अधिकांशतः कैलिफोर्निया के बागों में और टेक्सास के खेतों में बहुत थोड़े से डालर में काम करते थे। घरेलू कार्यों के लिए भी इनसे सस्ता मजदूर नहीं मिलता है। स्थानीय आबादी के लोगों को ऐसे मेहनत के काम करने की आदत नहीं है और वे करना भी नहीं चाहते। ट्रम्प साहब का कहना था कि ये अवैध शरणार्थी अमेरिका में आकर अपराध करते हैं और नागरिकों के जीवन को खतरे मे डालते हैं।

इन शरणार्थियों से उनकी नफरत जग जाहीर हैं। वे इस मुद्दे पर अनेक बार अपने बयान के लिए झूठे साबित हो चुके हैं। शायद आज की राजनीति में विरोधी को झूठे आरोपों से लांछित करना फ़ैसन हो गया है जैसे ट्रम्प ने पूर्व राष्ट्रपति ओबामा के लिए कहा था ति उनका जन्म अमेरिका में नहीं वरन अफ्रीका में हुआ था जबकि ओबामा के जन्म के दस्तावेज़ उनका जन्म अमेरिका में बताते हैं।

उन्होंने अमेरिका की भौगोलिक सीमा से बाहर जा कर भी हुकूम सुना दिया जैसा कि उन्होंने चुनाव जीतने के बाद कहा था कि वे मैक्सिको की खाड़ी का नाम बदल कर उसे अमेरिका की खाड़ी कर देंगे। उनके इस फैसले से बीजेपी सरकारों द्वारा सड़कों, गावों, नगरों और इमारतों के नाम बदलने से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का वापस लाने जैसा ही लगता हैं। किसी अन्य देश की प्रभुसत्ता को चुनौती देना आक्रमण करना जैसा ही हैं। हालांकि अगर ट्रम्प फौज भेजकर खाड़ी पर नियंत्रण लेने की कोशिश करेंगे तब यह तथ्य तो निश्चित है कि कोई भी राष्ट्र उनका विरोध करने का साहस नहीं करेगा। जैसा कि हमने देखा है कि अमेरिका की शह पर इजराइल द्वारा गाजा में जिस प्रकार फिलिस्टिनी अरबों का नरसंहार किया गया और यूएनओ सहित समस्त देश मौन रहे, उससे यह तो साफ है कि कोई भी राष्ट्र कुछ करने की बात तो छोड़िए मौखिक विरोध भी करेगा यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए।

ट्रम्प एक व्यपारी है और वे सिर्फ लाभ या मुनाफे का ही सौदा करते हैं ऐसा राजनीतिक पंडितों का मानना है। पर आज जब सत्ता लाभ और मुनाफे का माध्यम बन गया है तब अमेरिका में भी ट्रम्प के शपथ समारोह में धन्ना सेठों की भीड़ अचरज का सबब नहीं बनती। क्यूंकि लगभग सभी एशिया और यूरोप के कतिपय देशों मे भी अब लोकतंत्र धनतंत्र का गुलाम बन के रह गया है। यही कारण है की ट्रम्प की निमंत्रण सूची मे अंबानी परिवार को निमंत्रण यह दर्शाता है कि भारत में उन्हें किसी राजनेता अथवा विद्वान की जरूरत नहीं हैं, क्यूंकि उनके सलाहकार इयान मस्क हैं। अब इस परिप्रेक्ष्य में विश्व में लोकतंत्र के भविष्य को समझा जा सकता हैं।

Tags :

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *