OCCRP Report: भारतीय जनता पार्टी के लिए किसी समय फ्रेंच मीडिया कंपनी ‘मीडिया पार्ट’ नंबर एक दुश्मन थी।
जब इसने लड़ाकू विमान राफेल की खरीद के मामले में घोटाले का आरोप लगाया और कई तरह के तथ्य प्रकाशित किए तो भाजपा के लिए यह भारत विरोधी टूलकिट का हिस्सा था।
लेकिन आज भारतीय जनता पार्टी इसी की एक रिपोर्ट का हवाला देकर राहुल गांधी को घेर रही है। हालांकि वह भी रिपोर्ट का अधूरा इस्तेमाल है। तभी ‘मीडिया पार्ट’ ने भाजपा पर ‘फेक न्यूज’ फैलाने का आरोप लगाया है।
‘मीडिया पार्ट’ की प्रकाशक और निदेशक कैरिन फोटेउ ने अपने बयान में सात दिसंबर को कहा कि उनकी संस्था ने एक खोजी रिपोर्ट मीडिया आउटलेट, ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट पर हाल ही में प्रकाशित किया था।
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लेकिन इस विशेष रिपोर्ट को बीजेपी ने ‘तोड़ मरोड़’ कर पेश किया। इसकी वो ‘निंदा’ करती हैं।
फोटेउ ने आरोप लगाया कि भाजपा ने उनके खोजी लेख का इस्तेमाल किया, जिसका शीर्षक था ‘खोजी पत्रकारिता के दिग्गज और अमेरिकी सरकार के बीच छिपे हुए संबंध’, लेकिन भाजपा ने अपने राजनीतिक एजेंडे को पूरा करने और प्रेस की आजादी पर हमला करने के लिए उसका इस्तेमाल किया।
असल में संस्था ने यह बताया था कि ओसीसीआरपी में अमेरिकी विदेश विभाग की फंडिंग है और कुछ अन्य कारोबारियों की फंडिंग है। लेकिन इससे उस संस्था की रिपोर्ट संदिग्ध या किसी साजिश का हिस्सा नहीं हो जाती है।
भाजपा चुप है(OCCRP Report)
लेकिन इसी ‘मीडिया पार्ट’ ने राफेल के बारे में जो रिपोर्ट दी है उस पर भाजपा चुप है। उसके लिए वह इस संस्था को ही दोषी ठहराएगी।
‘मीडिया पार्ट’ ने 2021 में राफेल सौदे में गड़बड़ी के आरोप लगाते हुए खुलासा किया था लेकिन उसके बाद पिछले साल उसने अपनी एक रिपोर्ट दी थी, जिसमें कहा था कि भारत सरकार राफेल सौदे की फ्रांस में चल रही न्यायिक जांच में बाधा डाल रही है।
संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में हुए राफेल सौदे की जांच कर रहे जजों के काम में भारत सरकार ने बाधा डाली है और जांच में सहयोग नहीं किया है।
‘मीडिया पार्ट’ ने भारत में फ्रांस के पूर्व राजदूत इमैनुएल लेनिन का हवाला दिया है, जिन्होंने कहा था कि भारत की ओर से जवाब नहीं दिए गए या अधूरे जवाब दिए गए।(OCCRP Report)
राजनयिक चैनल से अंतरराष्ट्रीय सहयोग के नियमों के तहत भारत से सहयोग मांगा गया था लेकिन लेनिन ने कहा कि भारत ने वस्तुतः सहयोग करने से इनकार कर दिया।
भारत सरकार भले जांच में सहयोग न करे लेकिन इस रिपोर्ट का मतलब है कि फ्रांस में अब भी राफेल में कथित गड़बड़ी की जांच चल रही है और वह मामला कभी भी खुल कर सामने आ सकता है।