Arvind Kejriwal Narendra Modi: हिंदुओं का इतिहास और वर्तमान ‘अहम ब्रह्मास्मि’ की दास्तां है। आजाद भारत अपवाद नहीं है।
पार्टियों, उसके नेताओं, प्रदेशों और क्षत्रपों के पुराने और नए सभी चेहरों पर गौर करें तो भारत लगातार अहंकारी और अवतारी नेताओं का मारा है।
21वीं सदी में डॉ. मनमोहन सिंह तथा नवीन पटनायक के अपवाद को छोड़ भारत नरेंद्र मोदी, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी आदि उन नेताओं से भरा है जो अपने को भगवान से कम नहीं मानते, भगवान घोषित किए हुए हैं या हनुमान की शक्ति के गुमान में हैं।
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सोचें, भारत के मौजूदा क्षत्रपों और सत्तावानों पर? क्या कोई एक भी लीडर ऐसा है जो कैबिनेट, पार्टी में या बौद्धिक चिंतन-मंथन, थिंक टैंक में सलाह-मशविरा करता हो?
जो सत्ता के घमंड, अहंकार, अपने ईगो में निर्णय व राजनीति नहीं करता हो? भारत का कैबिनेट हो, पीएमओ हो या सीएमओ या पार्टियों की निर्णय प्रक्रिया सब में एक सुप्रीमो, उसकी सर्वज्ञता, उसके अहंकार में फैसले होते हैं!
सवाल है मौजूदा नेताओं-क्षत्रपों के ईगो में किसका क्या ग्राफ है? दिल्ली में क्योंकि चुनाव है तो जाहिर है सभी का अरविंद केजरीवाल के भविष्य पर फोकस है।
यह अहम मामला इसलिए है क्योंकि 2014 में नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल दोनों एक ही समय जनभावनाओं से उभरे और छाये सूरमा हैं।
प्रजा को जादू दिखाया
दोनों उम्मीदों, लोगों के सपनों के सौदागर। दोनों ‘अहम ब्रह्मास्मि’ के साक्षात प्रतिनिधि। दोनों भारत माता की जय से हिंदू मध्यवर्ग को दिवाना बनाने वाले।
दोनों भ्रष्टाचार से भारत को मुक्त कराने की कसम खाने वाले चौकीदार। दोनों ने सत्ता संभालने के साथ अपने उन मार्गदर्शकों को घर बैठाया, जिनसे वे बने थे।
फिर भले लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी हों या प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव एंड पार्टी हो। दोनों ने प्रजा को जादू दिखाया।
एक ने बिजली, पानी, दवा, चिकित्सा, शिक्षा आदि बांट कर दिल्लीवासियों में अपने इस अहंकार को खिलाया कि केजरीवाल जो कहता है वह करके दिखाता है।
वही नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में में फ्री राशन, नकद पैसा बांट, छप्पन इंची छाती दिखा साबित किया कि मोदी है तो मुमकिन है!
दोनों हिंदू सूरमाओं में अहम की लड़ाई
स्वाभाविक है जो दोनों हिंदू सूरमाओं में शुरू से अहम की लड़ाई है। नरेंद्र मोदी ने अरविंद केजरीवाल एंड पार्टी को जेल की हवा खिलाई।
घर घर हल्ला बनवा दिया कि अरविंद केजरीवाल चोर है, भ्रष्ट है और खुद शीशमहल में रहता है वहीं लोग झुग्गी झोपड़ियों में! पर केजरीवाल को भी हनुमानजी से आशीर्वाद प्राप्त शक्तिमान होने का गुमान है।
इसलिए रणक्षेत्र में पूरे अहंकार के साथ नरेंद्र मोदी को हराने के लिए वैसे ही दहाड़ रहे हैं, जैसे 2015 व 2020 में दहाड़ा था।
इसलिए दिल्ली का विधानसभा दिलचस्प है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की व्यथा है जो वे अरविंद केजरीवाल को ‘आपदा’ बता कर वोट मांग रहे हैं।
वही केजरीवाल को चुनाव जीत कर नरेंद्र मोदी को झूठा प्रमाणित करना है। इन चुनावों में अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी का अस्तित्व सचमुच दांव पर है।
पार्टी में भगदड़ रूकेगी(Arvind Kejriwal Narendra Modi)
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार नहीं बनी तो न पंजाब में उसकी सरकार टिकाऊ रहेगी और न पार्टी में भगदड़ रूकेगी। इसलिए केजरीवाल को दिल्ली में बड़ी और पक्की जीत चाहिए।
ऐसा हुआ तभी अरविंद केजरीवाल के लिए यह कह सकना संभव होगा कि उन्हें जेल भेजने का जवाब नरेंद्र मोदी को जनता ने दिया है।
सो, यदि पिछले दो चुनावों जैसी केजरीवाल की जीत हुई तो निश्चित ही क्षत्रपों में उनका जबरदस्त रूतबा बनेगा। आप तब भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए सचमुच ‘आपदा’ होगी।
मगर नरेंद्र मोदी, भाजपा-संघ के लिए भी बहुत कुछ दांव पर है। मोदी के तीसरे टर्म में दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की तूताड़ी के मायने जी का जंजाल है।
आगे अमित शाह, योगी आदित्यनाथ के लिए भी चिंताजनक है। बाकी क्षत्रपों या राहुल गांधी को हैंडल किया जा सकता है लेकिन दिल्ली में अरविंद केजरीवाल तीसरी बार छप्पर फाड़ बहुमत से जीते तो हनुमानभक्त शक्तिमान का हल्ला बोल थामे नहीं थमेगा।
इसलिए भाजपा चुपचाप पूरी ताकत लगाए हुए है। वहीं कांग्रेस के वोट काटने या कुछ अच्छा करने की स्थिति में गुलगपाड़ा भी संभव है। इसलिए विधानसभा चुनावों में मोदी बनाम केजरीवाल के ईगो का मुकबाला भारी है।