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मोदी-शाह हर दांव आजमा रहे!

आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया और अदालत में पेश किया तो रिमांड पर बहस के दौरान संजय सिंह की ओर से उनके वकील ने कहा कि नरेंद्र मोदी चुनाव हार रहे हैं इसलिए बौखलाहट में केंद्रीय एजेंसियां इस तरह की कार्रवाई कर रही हैं। संजय सिंह और उनकी पार्टी का यह कहना  सिर्फ एक रणनीति में नहीं है बल्कि विपक्ष की सारी पार्टियां यह सचमुच मान रही हैं कि मोदी चुनाव हार रहे हैं इसलिए विपक्षी नेताओं पर कार्रवाई हो रही है। उनको लग रहा है कि विपक्षी पार्टियों का गठबंधन बन गया तो अब भाजपा हार जाएगी और प्रधानमंत्री को इसकी चिंता हो गई है।

ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री ऐसी संभावना की चिंता में नहीं होंगे। ध्यान रहे नरेंद्र मोदी और अमित शाह हमेशा एक एक बात की चिंता करते हैं। वे कहीं भी जोखिम नहीं लेते हैं और न कोई नट-बोल्ट ढीला छोड़ते हैं, जिससे उनकी गाड़ी का पहिया खुल जाए। वे हर चुनाव ऐसे लड़ते हैं, जैसे यह आखिरी चुनाव है और अगर नहीं जीते तो दुनिया खत्म हो जाएगी। जल्दी ही पांच राज्यों के विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं तो उसे ध्यान में रख कर वे तमाम दांव-पेंच आजमा रहे हैं।

सो, विपक्षी पार्टियों को इस भ्रम से निकलना होगा कि मोदी-शाह चुनाव हार रहे हैं इसलिए सबके ऊपर कार्रवाई हो रही है। यह असल में उनका तरीका है। विपक्ष को इतना कमजोर कर दो और उसका मनोबल इतना तोड़ दो कि वह चुनाव लड़ने के लायक न बचे। विपक्ष को इतना बदनाम करो कि न चाहते हुए भी जनता के मन में यह बात बैठे कि विपक्षी पार्टियों के नेता भ्रष्ट हैं। इसके लिए चाहे जितना झूठ बोलना पड़े और एजेंसियों से जितने भी छापे पड़वाने पड़े। अभी देखिए कैसे एक तरफ एक के बाद एक एजेंसियों की कार्रवाई हो रही है, छापे पड़ रहे हैं तो दूसरी ओर प्रधानमंत्री हर सभा में सिर्फ विपक्ष के भ्रष्टाचार पर हमला कर रहे हैं। ये दोनों बातें मिल कर ऐसा नैरेटिव बना रही हैं, जिससे विपक्ष को भारी नुकसान हो रहा है। यह अभी इसलिए हो रहा है क्योंकि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं।

सोचें, प्रधानमंत्री के छत्तीसगढ़ के एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नहीं शामिल हुए तो प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका ताप ऐसा है कि भ्रष्ट लोग उनके साथ नहीं बैठ सकते हैं। हालांकि सोशल मीडिया में उसके बाद बहुत से लोगों ने अजित पवार और आरोपों से घिरे दूसरे नेताओं के साथ प्रधानमंत्री की फोटो सोशल मीडिया में शेयर किए। लेकिन इससे विपक्ष के भ्रष्ट होने का जो नैरेटिव प्रधानमंत्री बना रहे हैं वह नहीं बदल रहा है।

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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