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हरियाणा में दयनीय दशा

हरियाणा में दयनीय दशा

Image Source: ANI

उधर हरियाणा में भी लगातार 10 साल राज करने के बाद भाजपा उन्हीं मुद्दों पर वोट मांग रही है, जिन मुद्दों पर 2014 या 2019 में मांगा था। प्रधानमंत्री हर सभा में दोहरा रहे हैं कि कांग्रेस खर्ची पर्ची से बहाली करती है और कांग्रेस की सरकार आ गई तो वह हरियाणा को बरबाद कर देगी। केंद्र और राज्य दोनों जगह 10 साल राज करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामादा रॉबर्ट वाड्रा पर हमला करके वोट मांग रहे हैं। यह विडम्बना देखिए कि रॉबर्ट वाड्रा ने प्रधानमंत्री को चुनौती दी है कि उनके खिलाफ अगर सबूत हैं तो वे कार्रवाई करें अन्यथा गलत तरीके से उनका नाम लेना बंद करें।

वाड्रा की हिम्मत देखिए। 10 साल पहले 2014 में भी भाजपा ने उनके ऊपर आरोप लगा कर वोट मांगे थे लेकिन तब वाड्रा ने चुनौती नहीं दी थी। वे चुप रहे थे और इससे लोगों में यह मैसेज बना था कि जमीन आवंटन में गड़बड़ी करके वाड्रा को फायदा पहुंचाया गया है। तभी लोगों में यह उम्मीद भी थी कि भाजपा की सरकार बनेगी तो इसकी जांच होगी और वाड्रा को सजा होगी। 10 साल के बाद स्थिति यह है कि प्रधानमंत्री अभी तक आरोप ही लगा रहे हैं लेकिन दूसरी ओर वाड्रा अब सीना चौड़ा करके कह रहे हैं कि सरकार के खिलाफ कोई सबूत नहीं है क्योंकि उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है। उनका दावा है कि हरियाणा सरकार ने कोर्ट को लिख कर दिया है कि वाड्रा के खिलाफ कोई सबूत नहीं है।

सोचें, यह कितनी किरकिरी कराने वाली बात है फिर भी प्रधानमंत्री इस पर वोट मांग रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि लोग उनकी बात पर यकीन करें। अपनी 10 साल की उपलब्धियां भाजपा को नहीं बतानी है क्योंकि साढ़े नौ साल तक जिन मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री रखा उनको चुनाव से पहले हटा दिया। इसका मतलब है कि खट्टर का काम कोई ऐसा नहीं है, जिस पर वोट मांगना है। उनकी जगह पिछड़ी जाति के नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बना कर पिछड़ी जातियों के वोट की राजनीति भाजपा कर रही है। पहले उसने गैर जाट वोट की राजनीति की, जिससे दो चुनावों में उसकी सरकार बनी। अब गैर जाट की बजाय वह पिछड़ी और पंजाबी की राजनीति कर रही है। जाहिर है उसका जातीय आधार भी सिमट गया है। अब उसको लग रहा है कि अपने कथित विकास के नैरेटिव और हिंदुत्व के मुद्दे पर चुनाव नहीं जीता जा सकता है तो वह विपक्षी पार्टी कांग्रेस के वोट बांटने के लिए छोटे छोटे प्रबंधन वाले काम कर रही है। उसे लग रहा है कि दूसरी जाट और दलित पार्टियां कांग्रेस का वोट काट लेंगी तो भाजपा पिछड़ा, पंजाबी, गुर्जर और कुछ यादव, ब्राह्मण वोट लेकर जीत जाएगी।

लेकिन इस कुल वोट का हिसाब भी 50 फीसदी नहीं बनता है। दूसरी ओर कांग्रेस जाट, दलित और मुस्लिम के समीकरण पर लड़ रही है, जिसका वोट 54 फीसदी के करीब है। इसके अलावा किसान, जवान और पहलवान का नैरेटिव भी भाजपा के खिलाफ है। ये तीनों समूह अलग अलग कारणों से भाजपा से नाराज हैं। जवान अग्रिवीर के कारण तो पहलवान भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह की वजह से नाराज हैं। किसानों की नाराजगी पुरानी है। किसानों के घाव को भाजपा सांसद कंगना रनौत ने एक के बाद एक दो बयान देकर और हरा कर दिया है। सो, जम्मू कश्मीर और हरियाणा दोनों राज्यों में भाजपा अपनी कहानी नहीं बना पाई और विपक्ष की ओर से बनाई कहानी की प्रभावी काट भी नहीं खोज पाई।

Published by हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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