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विपक्ष के तो वादे भी छोटे हैं

विपक्ष के तो वादे भी छोटे हैं

सोचें, नरेंद्र मोदी ने कहां से शुरुआत की थी। प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर 2014 में मैदान में उतरे तब काले धन का जुमला बोला था और कहा था कि विदेशों में इतना काला धन है कि अगर वापस आ जाए तो हर भारतीय के खाते में 15-15 लाख रुपए आ सकते हैं। इसके जवाब में विपक्षी नेता क्या कह रहे हैं कि जीते तो खातों में दो-दो हजार या तीन-तीन हजार रुपए डालेंगे। सोचें, कहां 15 लाख और कहां तीन हजार रू! दे तो मोदी भी दो- तीन हजार ही दे रहे हैं लेकिन उन्होंने वादा 15 लाख रू का किया था। यहां विपक्ष वादा ही दो-तीन हजार रुपए का का कर रहा है। अदानी-अंबानी से ले कर 25-50 लाख रू का क्यों नहीं कर रहा? मोदी ने किसानों को दी है छह हजार रुपए की सालाना रेवड़ी लेकिन कहा था कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कर देंगे। इसके जवाब में विपक्षी पार्टियां क्या कह रही हैं? किसानों के लिए उनका क्या वादा है? सिर्फ इतना कि कर्ज माफ कर देंगे। क्या इससे काम चलेगा? किसानों की आय कम से कम चार गुनी कर देना का वादा करना चाहिए।

प्रधानमंत्री बनते ही 2014 के दो अक्टूबर को मोदी ने स्वच्छता अभियान शुरू किया और थोड़े दिन के अभियान के बाद घोषित कर दिया कि देश स्वच्छ हो गया और खुले में शौच से मुक्त हो गया। यह अलग बात है कि राजधानी दिल्ली में अहले सुबह बाहर निकल जाइए तो हजारों लोग बोतल में पानी लेकर शौच के लिए जाते दिख जाएंगे। मोदी के स्वच्छता के जवाब में विपक्ष के पास क्या एजेंडा है? मोदी ने हर घर शौचालय देने की बता कही थी तो ‘इंडिया’ के नेताओं को हर घर में टाइल्स वाले और गीजर लगे बाथरूम देने का वादा करना चाहिए, जिसमें 24 घंटे पानी की सप्लाई हो। बॉलीवुड की बड़ी अभिनेत्री को बुला कर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का अभियान मोदी ने शुरू किया। लोगों से बेटियों के साथ सेल्फी डालने की अपील की गई। लेकिन हकीकत क्या है? महाकाल की नगरी उज्जैन में 12 साल की खून से लथपथ बेटी आठ किलोमीटर तक चलती रही और एक आदमी मदद के लिए सामने नहीं आया। बलात्कार का शिकार हुई नाबालिग बेटी को मंदिर के एक पुजारी राहुल शर्मा से मदद मिली। भाजपा के सांसद महिला पहलवानों से छेड़छाड़ के आरोपी हैं और हर तरह की कार्रवाई से सुरक्षित हैं। हरियाणा सरकार के भाजपा के मंत्री पर महिला कोच के यौन शोषण का आरोप है लेकिन वे मंत्री बने हुए हैं और महिला कोच पर मुकदमा चल रहा है।

मोदी ने एक सौ स्मार्ट सिटी बनाने का ऐलान किया। इसके जवाब में विपक्ष के पास क्या एजेंडा है? विपक्षी पार्टियां तो स्मार्ट सिटी में रहने वाली महिलाओं की मुफ्त में बस यात्रा कराने तक सीमित हैं। अगर उनमें हिम्मत है तो हर महिला को कार देने का वादा करें और उसमें मुफ्त पेट्रोल या डीजल की व्यवस्था करने का भी वादा करें। याद करें कैसे प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी और उनके साथ बाबा रामदेव ने पेट्रोल-डीजल की महंगाई कम करने का वादा किया  था और कहा गया था कि पेट्रोल 40 रुपए लीटर बिकेगा। आज पेट्रोल एक सौ रुपए लीटर बिक रहा है। सोचें, क्या ऐसा झूठ विपक्ष का कोई नेता बोल सकता है कि सत्ता में आए तो पेट्रोल 25 रुपए लीटर बिकेगा? अगर बोल सकते हैं तो बोलें क्योंकि लोग उस पर यकीन करेंगे। मोदी और उनके समर्थकों का वादा डॉलर को 40 रुपए पर लाने का था, जो आज 84 रुपए के करीब है। विपक्ष के नेता उसे 40 से भी नीचे लाने का वादा करें तभी बात बनेगी। प्रधानमंत्री मोदी 81 करोड़ लोगों को पांच किलो अनाज मुफ्त दे रहे हैं। इस बारे में विपक्षी पार्टियां कुछ नहीं कह रही हैं। उनको 140 करोड़ आबादी को तीन टाइम खाना मुफ्त में देने का वादा कर देना चाहिए। जो इंदिरा रसोई एकाध राज्यों में चल रही है उसे पूरे देश में खोलने का वादा करना चाहिए। सस्ता सिलिंडर को सरकार उज्ज्वला योजना के तहत देने लगी इसलिए विपक्षी पार्टियों के पांच सौ रुपए में सिलिंडर देने के वादे का कोई मतलब नहीं है। विपक्ष को चाहिए कि वह हर घर में पाइप से मुफ्त गैस पहुंचाने का वादा करे। हर भारतीय को पक्का छत देने का वादा प्रधानमंत्री कर चुके हैं। विपक्ष को भी वही वादा नहीं करना चाहिए। उसे रोटी, कपड़ा और मकान सब मुफ्त देने के साथ साथ गाड़ी भी मुफ्त में देने का वादा करना चाहिए। विपक्ष चाहे तो घर का साइज भी बता सकता है। चार बेडरूम से कम का घर देने का वादा किया तो फायदा नहीं होगा। सर्वशिक्षा अभियान से कुछ नहीं होना है सबको मेडिकल-इंजीनियरिंग-एमबीए की मुफ्त पढ़ाई का वादा करना चाहिए।

Published by हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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