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दक्षिण में दो राज्य सबसे अहम

दक्षिण में कर्नाटक और तेलंगाना दो राज्य पूरे देश की तस्वीर बदलने वाले हो सकते हैं। ध्यान रहे 2004 में जब सबसे अप्रत्याशित नतीजे आए थे तब आंध्र प्रदेश ने तस्वीर बदली थी। वाईएसआर रेड्डी की कमान में कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की थी। वह विधानसभा में तो जीती ही थी लोकसभा में एकीकृत आंध्र की 42 में से 29 सीटें कांग्रेस को मिली थीं। अगले चुनाव में ये सीट बढ़ कर 33 हो गई थी। इस बार दिवंगत वाईएसआर रेड्डी की बेटी वाईएस शर्मिला कांग्रेस में शामिल हो गईं हैं। और कांग्रेस ने चुनाव जीत कर तेलंगाना में सरकार बनाई है। सो, तेलंगाना की 17 सीटें बहुत अहम हैं। वहां कांग्रेस को तीन और भाजपा को चार सीटें मिली थीं, जबकि ओवैसी की पार्टी को एक और केसीआर की पार्टी को नौ सीटें मिली थीं। इस बार तस्वीर बदल सकती है।

कर्नाटक में पिछली बार 28 में से 25 सीटें भाजपा ने जीती थीं। निर्दलीय जीतीं सुमनलता अंबरीष भी अब भाजपा के साथ हैं और एक सीट जीतने वाली जेडीएस के साथ भी भाजपा ने तालमेल कर लिया है। सो, उसे अब 27 सीटें बचानी हैं। दूसरी ओर विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस फिर से सिद्धरमैया और डीके शिवकुमार की जोड़ी और मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व के सहारे पासा पलटने की कोशिश में है। एक तरफ भाजपा लिंगायत और वोक्कालिगा को साथ लाकर चमत्कार करना चाहती है तो दूसरी ओर कांग्रेस ओबीसी और दलित के साथ मुस्लिम का समीकरण बनाए हुए है। अगर इसमें शिवकुमार की वजह से कुछ वोक्कालिगा वोट जुड़ता है तो कांग्रेस बड़ी जीत हासिल कर सकती है।

महाराष्ट्र का जहां सवाल है, शिव सेना के अलग होने के नुकसान की भरपाई के लिए भाजपा ने शिव सेना में टूट कराई। एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया। उधर शरद पवार की पार्टी में भी टूट करा कर भाजपा ने अजित पवार को उप मुख्यमंत्री बनाया है। लेकिन एकनाथ शिंदे और अजित पवार मिल कर भी पुरानी शिव सेना की बराबरी नहीं कर पा रहे हैं। ऊपर से सीट बंटवारे को लेकर नई परेशानी है क्योंकि दोनों पार्टियों के जीते हुए सांसद टिकट मांग रहे हैं। दूसरी ओर उद्धव ठाकरे अयोध्या के जवाब में नासिक जा रहे हैं, जहां वे 22 जनवरी को कलाराम मंदिर में पूजा करेंगे। बताया जाता है कि वनवास के समय भगवान राम वहां रूके थे। इसके अलावा उद्धव, शरद पवार और कांग्रेस ने हिंदुत्व के साथ साथ मराठा और ओबीसी का मजबूत सामाजिक समीकरण बनाया है। तीनों के बीच सीट बंटवारे की बात हो रही है और साथ ही प्रकाश अंबेडकर और राजू शेट्टी को भी इस गठबंधन में शामिल किया जा रहा है।

कुल मिलाकरसात राज्यों (महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, पंजाब, बिहार, झारखंड, कर्नाटक और तेलंगाना) की 199 सीटों से फैसला होगा कि अगली सरकार किसकी बनेगी और कैसे बनेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि दक्षिण के बाकी तीन राज्यों में भाजपा है नहीं और उत्तर, पश्चिम व पूर्व के बाकी राज्यों में विपक्ष बहुत कमजोर है। सो, लड़ाई इन्हीं सात राज्यों में होगी।

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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